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Udaipur News: बांसवाड़ा में बीच सड़क पर एंबुलेंस में खत्म हो गया डीजल, परिजन लगाते रहे धक्का, मरीज की मौत

Udaipur News मरीज की जान बचाने के लिए एक किलोमीटर तक परिजनों ने एम्बुलेंस को दिया धक्का दूसरी एम्बुलेंस आने में लगे चालीस मिनट इस दौरान परिजन मरीज को लेकर काफी परेशान रहे। आखिर में वो उसकी जान नहीं बचा पाए।

By Jagran NewsEdited By: Vinay Kumar TiwariUpdated: Fri, 25 Nov 2022 09:43 PM (IST)
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Udaipur News: परिजनों ने सोचा कि वो एंबुलेस से लेकर मरीज को जल्दी अस्पताल पहुंच जाएंगे मगर ऐसा नहीं हुआ।
उदयपुर, संवाद सूत्र। Udaipur News: बांसवाड़ा जिले में दिल दहलाने वाली घटना सामने आई है। जिसमें एक मरीज को लेकर जा रही एंबुलेंस का बीच सड़क पर डीजल खत्म हो गया। इसके बाद मरीज की परिजनों ने एक किलोमीटर तक एंबुलेंस को धक्का दिया लेकिन मरीज को बचाया नहीं जा सका। बीच राह में ही मरीज ने तड़पते हुए दम तोड़ दिया। दूसरी एंबुलेंस तत्काल बुलाई गई लेकिन उसे पहुंचने में 40 मिनट लग गए। 

घटना बांसवाड़ा जिले के दानापुर का है। यह घटना गुरुवार की है लेकिन जब इसका वीडियो वायरल हुआ तब घटना का खुलासा हुआ। अब चिकित्सा महकमा एम्बुलेंस का ठेका लेने वाली कंपनी के खिलाफ कार्रवाई की बात कह रहा है। बताया गया कि एंबुलेंस में प्रतापगढ़ जिले के सूरजपुरा निवासी तेजिया गणावा (40) को लाया जा रहा था। जो अपनी बेटी के ससुराल भानुपरा (बांसवाड़ा) आए थे। जहां तेजपाल की खेत में अचानक गिरने से तबियत खराब हो गई थी।  

हीरालाल ताबियार (CMHO, बांसवाड़ा) का कहना है कि मामले में जांच शुरू कर दी गई है। 108 एंबुलेंसों को एक निजी एजेंसी द्वारा संचालित किया जाता है, एजेंसी राज्य सरकार द्वारा अधिकृत है और कंपनी के ऊपर एंबुलेंस के रखरखाव का ज़िम्मा होता है। कहां लापरवाही रही है यह जांच के बाद सामने आएगा। 

इस बारे में राजस्थान सरकार में मंत्री प्रताप सिंह खचरियावास का कहना है कि अगर एंबुलेंस में पेट्रोल खत्म हो गया और मरीज़ की मृत्यु हो गई है तो यह व्यवस्था की असफलता नहीं है बल्कि प्रबंधन की असफलता है। जो भी व्यक्ति इसके ख़िलाफ ज़िम्मेदार हैं उन पर सख्त कार्रवाई की जाएगी।

पिता की तबियत खराब होने की जानकारी बेटी ने अपने पति मुकेश मइडा को दी थी। जिस पर उसने एम्बुलेंस 108 पर सूचना दी थी। इस बीच बेटी अपने पिता को लेकर तेजपुर के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पर ले गई, जहां ईसीजी मशीन नहीं होने पर उन्हें छोटी सरवन के सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र पर भेजा। इस बीच मुकेश मइडा जो बांसवाड़ा में किराए का कमरा लेकर नीट की तैयारी कर रहा था वह बाइक से गांव आया और उसने अपने ससुर को सीधे जिला अस्पताल ले जाने की तैयारी की।

सूचना से सवा घंटे देरी से पहुंची एंबुलेंस से पिता को जिला अस्पताल ले जाया जा रहा था कि रतलाम रोड पर टोल के आगे पहुंचते ही एंबुलेंस का डीजल खत्म हो गया। एम्बुलेंस के पायलट ने पांच सौ रुपए देकर मरीज के रिश्तेदार को डीजल लेने भेजा लेकिन डीजल लेकर आने में समय लग गया।

इस बीच मरीज के परिजन एम्बुलेंस को एक किलोमीटर तक धक्का लेकर चलाते रहे। जब वह थककर चूर हो गए तो उन्होंने एंबुलेंस चालक काके दूसरी एंबुलेंस मंगाने की गुहार की। तब एंबुलेंस चालक ने दूसरे चालक को फोन कर दूसरी एंबुलेंस बुलाई लेकिन उसे आने में चालीस मिनट लग गए और मरीज ने तड़पते हुए दम तोड़ दिया। हालांकि मरीज को जिला अस्पताल ले जाया गया लेकिन चिकित्सकों मरीज को मृत घोषित कर दिया।

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