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Rajasthan: भय के माहौल में जी रहे हैं कन्हैयालाल के हत्यारों को पकड़वाने वाले युवक, जानें क्यों हैं परेशान

Udaipur News राजसमंद जिले के देवगढ़ तहसील क्षेत्र के युवक शक्ति सिंह और प्रहलाद सिंह ने कन्हैयालाल की हत्या कर भाग रहे मोहम्मद रियाज और गौस मोहम्मद का पीछा कर उन्हें पकड़वाया था। लेकिन वादे पूरे ना होने से अब दोनों परेशान हैं।

By Jagran NewsEdited By: Devshanker ChovdharyUpdated: Mon, 09 Jan 2023 01:18 PM (IST)
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ouths who caught Kanhaiyalal killers are living in fear
उदयपुर, सुभाष शर्मा। Kanhaiyalal Murder Case: पिछले साल देश में सबसे अधिक चर्चित रहे कन्हैयालाल हत्याकांड के मुख्य आरोपितों का पीछा कर उनको पकड़वाने वाले राजसमंद जिले के दो युवक छह माह बीतने के बाद भी भय के माहौल में जी रहे हैं। उन्हें ना तो सुरक्षा मिल पाई और ना ही नौकरी। जिसका खामियाजा उनका परिवार भी भुगत रहा है। बेरोजगारी का दंश झेल रहे दोनों युवक घर से बाहर निकलने में घबराते हैं कि कहीं कोई उन पर हमला नहीं कर दे।

पूरे नहीं हुए वादे

हम बात कर रहे हैं राजसमंद जिले के देवगढ़ तहसील क्षेत्र के युवक शक्ति सिंह और प्रहलाद सिंह की। जिन्होंने कन्हैयालाल की जघन्य हत्या कर बाइक से भाग रहे हत्या के आरोपित मोहम्मद रियाज अत्तारी तथा गौस मोहम्मद का पीछा किया। उनके सहयोग से पुलिस दोनों हत्या आरोपितों को पकड़ने में सफल रही। तब पुलिस और प्रशासन ने दोनों युवकों की जमकर प्रशंसा की। राज्य सरकार ने उनकी बहादुरी पर दोनों को पुलिस सुरक्षा उपलब्ध कराए जाने के साथ बंदूक का लाइसेंस उपलब्ध कराने के साथ सरकारी सेवा प्रदान की करने का वादा किया था। इस घटना को छह महीने से अधिक हो गए लेकिन अभी तक एक भी वादा पूरा नहीं हो पाया है। दोनों युवक पहले निजी कंपनी में काम करते थे लेकिन अब कोई भी कंपनी या संस्था उन्हें काम नहीं देना चाहती। उन्हें लगता कि कोई आतंकी कब उन पर हमला कर दे।

25 किलोमीटर तक किया पीछा 

युवक शक्ति सिंह तथा प्रहलाद सिंह का कहना है कि वो भीम कस्बे के चौराहे पर चाय पी रहे थे। इसी बीच उन्हें देवगढ़ थाने के परिचित सिपाही ने फोन पर उदयपुर में कन्हैयालाल हत्याकांड की जानकारी देते हुए दो आतंकियों के फरार होने की जानकारी दी थी। जिसने बताया कि दो आतंकी 2611 नंबर की बाइक से फरार हुए हैं। इसके ठीक दो मिनट बाद उन्होंने 2611 की बाइक से जा रहे दो युवकों को देखा। जिनके बारे में उन्होंने देवगढ़ थाना पुलिस को सूचना दी थी। वहां से उन्हें कहा गया कि वह उनका पीछा करें। उन्होंने बिना कोई विचार किए तत्काल अपनी बाइक स्टार्ट की और दोनों का पीछा शुरू कर दिया। लगभग 25 किलोमीटर तक पीछा करते हुए वह मिनट-मिनट की जानकारी पुलिस को देते रहे। जिसके चलते टोंगा के समीप पुलिस ने घेराबंदी दोनों को दबोच लिया। यदि शक्ति सिंह और प्रहलाद सिंह पुलिस की मदद नहीं करते तो दोनों आरोपित फरार हो जाते। अजमेर जाने के बाद उनकी नेपाल भागने की योजना थी।

पुलिस नहीं पकड़ पाई

शक्ति सिंह और प्रहलाद ने बताया कि जब उन्होंने कन्हैयालाल के हत्यारों का पीछा किया तब दो जगह पुलिस की नाकाबंदी थी लेकिन वह उन्हें पकड़ने में सफल नहीं रही। पुलिस की नाकाबंदी तोड़कर ही वह भाग रहे थे लेकिन किसी पुलिसकर्मी का ध्यान उनकी बाइक के नंबरों पर नहीं पड़ा।

कन्हैयालाल के बेटे ने की मदद

कन्हैयालाल के हत्या आरोपितों को पकड़वाने में सफल रहे प्रहलाद सिंह और शक्ति सिंह के सहयोग के लिए ना तो राज्य सरकार सामने आई और ना कोई अन्य संस्था और समाज। हालांकि रविवार को कन्हैयालाल के बड़े बेटे यश ने अपनी ओर से दोनों युवकों को 25-25 हजार रुपए की आर्थिक सहायता प्रदान की। यश का कहना था कि यदि ये युवक बहादुरी नहीं दिखाते तो उनके पिता के हत्यारे देश छोड़कर भागने में सफल हो जाते।

ऐसे तो लोग मदद नहीं करना छोड़ देंगे

शक्ति सिंह का कहना है जब उन्होंने कन्हैयालाल के हत्यारों को पकड़वा दिया तो उनकी प्रशंसा के पुल बांधे गए। राज्य सरकार ने नौकरी देने, सुरक्षा प्रदान करने के साथ ही हथियार के लिए लाइसेंस जारी करने की घोषणा की थी। छह माह बीतने के बाद एक भी वादा पूरा नहीं हुआ। अब ग्रामीण उन पर हंसते हैं। ऐसे ही हालात रहे तो आगे से कोई व्यक्ति मदद के लिए सामने नहीं आएगा।

हमेशा बना रहता है डर

प्रहलाद सिंह का कहना है कि यदि राज्य सरकार और जिला प्रशासन को झूठा वादा करना था तो ना तो उनके नाम सार्वजनिक करने चाहिए और ना ही फोटो जारी करना चाहिए था। तब तो मीडिया के समक्ष उनकी पहचान बता दी और अब पल्ला छाड़ लिया। इस घटना से पहले वह गुजरात के राजकोट में नौकरी करता था लेकिन हत्याकांड की घटना के बाद उसे कहीं पर काम नहीं मिला। बेरोजगारी में जीते हुए हमेशा डर लगा रहता है कि कहीं कोई बदला लेने उन पर हमला तो नहीं कर दे।

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