Rajasthan: आधार कार्ड व फिंगर प्रिंट से लगाई ग्राहकों को 26 लाख रुपये की चपत
Rajasthan ग्राहकों के आधार कार्ड और फिंगर प्रिंट का दुरुपयोग करते हुए उनके बैंक खाते से 26 लाख रुपये निकालने का मामला सामने आया है। पुलिस इस मामले के हर पहलू की जांच कर रहे हैं। इस मामले में बड़े खुलासे की संभावना है।
By Sachin Kumar MishraEdited By: Updated: Fri, 10 Sep 2021 06:52 PM (IST)
जोधपुर, संवाद सूत्र। एक्सल वन स्टाप सोल्युशन प्राइवेट लिमिटेड कंपनी के कुछ कर्मचारियों ने ग्राहकों के आधार कार्ड और फिंगर प्रिंट का दुरुपयोग करते हुए उनके बैंक खाते से 26 लाख रुपये की रकम साफ कर डाली। कंपनी के कर्मचारी की तरफ से दस कार्मिकों के खिलाफ अब धोखाधड़ी की रिपोर्ट दी गई है। कंपनी में ज्यादातर हरियाणा, बिहार व उत्तर प्रदेश के लोग कार्यरत थे। कंपनी बैंकों से कनेक्टिीविटी रखकर लोगों को रुपये उपलब्ध करवाती है। घटना को लेकर शास्त्रीनगर थाने में धोखाधड़ी का केस दर्ज हुआ है। मामले की जांच जारी है। शास्त्रीनगर थानाधिकारी पंकज राज माथुर ने बताया कि जोधपुर के आइटीआइ सर्किल के पास में एक्सल वन स्टाप सोल्युशन प्राइवेट लिमिटेड कंपनी संचालित हो रही है।
कंपनी की तरफ से बैंकों से कनेक्टीविटी रखकर लोगों को पैसे उपलब्ध करवाए जाते हैं। इसके लिए ग्राहकों के आधार कार्ड और फ्रिंगर प्रिंट लिए जाते हैं। अब कंपनी के एक कार्मिक दीपक अग्रवाल की तरफ से कंपनी में काम करने वाले दस लोगों के खिलाफ धोखाधड़ी में रिपोर्ट दी गई है। इसमें बताया कि विगत कुछ दिनों में कंपनी के ग्राहकों के खातों से रकम साफ हो रही है। कंपनी की इंटरनल जांच में सामने आया कि कंपनी में काम करने वाले कार्मिक ही इस वारदात को अंजाम दे रहे हैं। ये लोग ग्राहकों द्वारा दिए आधार कार्ड व फिंगर प्रिंट का दुरुपयोग कर उनके बैंक खाते से रुपये निकाल रहे हैं। दस कार्मिकों ने मिलकर साजिश पूर्ण ढंग से ग्राहकों के खातों से 26 लाख रुपये से ज्यादा की रकम निकाली है। किसी के खाते से दो लाख, किसी के 13 लाख, किसी के सवा दो लाख रुपये की रकम निकाली गई है। इसमें कंपनी में काम करने वाले हरियाणा में जींद के अनिल कुमार यादव सहित दस लोगों के खिलाफ रिपोर्ट दी गई है।
इस तरह कंपनी कर रही थी काम
स्त्री नगर थाना अधिकारी पंकज राज माथुर के अनुसार मामले में अनुसंधान जारी है प्रारंभिक स्तर पर यह सामने आया है कि कंपनी के प्रतिनिधि अलग-अलग जगह नियुक्त हैं, जो कि ग्रामीण क्षेत्रों से जुड़े लोगों को स्माल बैंकिंग सिस्टम के जरिए जुड़ी बैंक से राशि हस्तांतरित करते थे। राशि हस्तांतरित करने से पहले व्यक्ति की आधार और फिंगर प्रिंट मैच होने पर उसे भुगतान किया जाता है। कोरोना काल के समय ऐसे सिस्टम अधिक सक्रिय थे, जो कि बैंक के आधार और फिंगर प्रिंट को कनेक्ट कर रुपये हस्तांतरित करते थे। इस मामले में अलग-अलग स्थानों से लोगों के जुड़े होने के कारण आथराइज करने वाले लोग फिजिकली एक-दूसरे से आपस में संपर्क में नहीं थे, ऐसे में बैंकों द्वारा पेमेंट लिस्ट की जांच के बाद स्थिति स्पष्ट हो जाएगी कि वास्तव में पेमेंट का भुगतान कहां से हुआ है और किसने किया है।
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