'दरवाजे पे दस्तक': आत्महत्याओं को रोकने के लिए कोटा पुलिस की पहल, वार्डन छात्रों का रखेंगे खास ख्याल
कोटा में छात्रों के आत्महत्या के मामलों को लेकर पूरा देश चिंतित है। इसी बीच कोटा पुलिस ने दरवाजे पे दस्तक अभियान चलाया है। कोटा के सहायक पुलिस अधीक्षक (ASP) चंद्रशील ठाकुर ने बताया कि इस अभियान के जरिए वार्डन को हम प्रोत्साहित कर रहे हैं कि वे रात में तकरीबन 11 बजे प्रत्येक छात्र के दरवाजे पर दस्तक दें और उनका हालचाल पूछें।
कोटा, पीटीआई। देश के सबसे बड़े कोचिंग हब में से एक कोटा में छात्रों की आत्महत्याओं की घटनाओं में लगातार हो रही वृद्धि से पुलिस प्रशासन चिंतित नजर आ रहा है। ऐसे में छात्रों से संवाद स्थापित करने की कोशिश की जा रही है, ताकि उन्हें अवसाद से उबारा जा सका। इसके अलावा पुलिस प्रशासन वार्डन, मेस कर्मचारियों और टिफिन सर्विस मुहैया कराने वाले लोगों से भी बात कर रहा है।
दरवाजे पर दस्तक अभियान
'दरवाजे पे दस्तक' यह महज एक नाम नहीं बल्कि कोटा पुलिस द्वारा चलाया जाने वाला एक अभियान है। इस अभियान के जरिए पुलिस आत्महत्या के मामलों को कम करने में जुटी हुई है। दरअसल, पुलिस प्रशासन वार्डन को 'दरवाजे पे दस्तक' अभियान में सक्रिय भूमिका निभाने के लिए प्रोत्साहित कर रहा है।
इसके अलावा मेस कर्मियों और टिफिन सर्विस मुहैया कराने वालों से आग्रह किया जा रहा है कि वह छात्रों की अनुपस्थित की जानकारी दें... यदि कोई छात्र बार-बार मेस से गायब रहता है या फिर टिफिन इत्यादि का खाना छोड़ रहा है तो इसकी जानकारी मुहैया कराई जाएं।
वार्डन छात्रों का रखेंगे ध्यान
कोटा के सहायक पुलिस अधीक्षक (ASP) चंद्रशील ठाकुर ने समाचार एजेंसी पीटीआई को बताया कि कोचिंग के बाद छात्र अपना अधिकतम समय हॉस्टल में ही व्यतीत करते हैं। उन्होंने कहा कि हमने 'दरवाजे पे दस्तक' नामक एक अभियान शुरू किया है, जिसके जरिए वार्डन को हम प्रोत्साहित कर रहे हैं कि वे रात में तकरीबन 11 बजे प्रत्येक छात्र के दरवाजे पर दस्तक दें। उन्होंने कहा,
'दरवाजे पे दस्तक' के जरिए वार्डन प्रत्येक छात्र से पूछे कि क्या वह ठीक हैं? साथ ही उनके हावभाव पर ध्यान दें और नजर रखें। ताकि यह सुनिश्चित किया जा सकें कि छात्र में तनाव, अवसाद इत्यादि के कोई लक्षण नहीं है।
अबतक कितने छात्रों ने की आत्महत्या?
बता दें कि साल 2023 में अबतक छात्रों की आत्महत्या के सबसे अधिक 22 मामले सामने आ चुके हैं, जबकि पिछले साल 15 छात्रों ने आत्महत्या की थी। इंजीनियरिंग के लिए जेईई (JEE) और मेडिकल कॉलेजों में प्रवेश के लिए नीट (NEET) जैसी प्रतिस्पर्धी परीक्षाओं की तैयारी के लिए सालाना ढाई लाख से ज्यादा छात्र कोटा जाते हैं।