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सड़क पर आया उदयपुर के पूर्व राजघराने का झगड़ा, राजतिलक के बाद 'विश्वराज' को पैलेस में नहीं मिला प्रवेश; पथराव में महिला घायल

Udaipur royal family Dispute महेंद्र सिंह मेवाड़ के बड़े बेटे विश्वराज सिंह मेवाड़ के राजतिलक की रस्म के बाद वह धूणी के दर्शन के लिए सिटी पैलेस जा रहे थे। इस दौरान चाचा अरविंद सिंह मेवाड़ के परिवार ने उन्हें सिटी पैलेस में प्रवेश से रोकते हुए दरवाजे बंद कर दिए। अरविंद सिंह का परिवार महाराणा प्रताप का वंशज है और उन्होंने परंपरा निभाने से मना किया।

By Jagran News Edited By: Mahen Khanna Updated: Tue, 26 Nov 2024 01:31 AM (IST)
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Udaipur royal family Dispute महाराणा प्रताप के वंशज में हुआ झगड़ा।
जेएनएन, उदयपुर। Udaipur royal family Dispute महेंद्र सिंह मेवाड़ के निधन के बाद उदयपुर के पूर्व राजपरिवार के बीच विवाद सड़क पर आ गया है। महेंद्र सिंह मेवाड़ के बड़े बेटे विश्वराज सिंह मेवाड़ के राजतिलक की रस्म के बाद वह धूणी के दर्शन के लिए सिटी पैलेस जा रहे थे। 

इस दौरान चाचा अरविंद सिंह मेवाड़ के परिवार ने उन्हें सिटी पैलेस में प्रवेश से रोकते हुए दरवाजे बंद कर दिए। अरविंद सिंह का परिवार महाराणा प्रताप का वंशज है और उन्होंने परंपरा निभाने से मना किया।

समर्थकों ने बैरिकेड हटाए

विश्वराज सिंह मेवाड़ और उनके समर्थकों ने सिटी पैलेस के रास्ते पर लगे बैरिकेड हटा दिए और काफिले की छह गाडि़यां जगदीश चौक तक पहुंची, जहां पुलिस ने रास्ता रोक लिया। इस दौरान सिटी पैलेस के अंदर से पत्थरबाजी हुई और समर्थकों ने पुलिस का घेरा तोड़ दिया। कुछ समर्थक महल की दीवारों पर चढ़ गए।

पथराव में महिला घायल

विश्वराज सिंह मेवाड़ और उनके समर्थक धूणी दर्शन पर अड़े रहे, जबकि सिटी पैलेस के लोग किसी को भी अंदर जाने नहीं दे रहे थे। पथराव में एक महिला घायल हो गई, जिसके सिर पर बोतल का प्रहार लगा था। प्रशासन ने स्थिति को नियंत्रण में लाने के लिए कलेक्टर और एसपी से बातचीत की, लेकिन कोई सहमति नहीं बन पाई। प्रशासन ने अब विवादित धूणी स्थल पर रिसीवर नियुक्त करने का निर्णय लिया है, ताकि यथास्थिति बनी रहे और विश्वराज सिंह मेवाड़ को सिटी पैलेस में प्रवेश न मिल सके।

493 वर्षों बाद हुआ ऐतिहासिक राजतिलक

मेवाड़ राजपरिवार के इतिहास में 493 वर्षों बाद सोमवार को नया अध्याय जुड़ गया। नाथद्वारा विधायक और महाराणा प्रताप के वंशज विश्वराज सिंह मेवाड़ का चित्तौड़गढ़ दुर्ग स्थित फतह प्रकाश महल के प्रांगण में राजतिलक हुआ। महाराणा बनने के बाद विश्वराज मेवाड़ के 77वें दीवान भी घोषित हुए। मंगलाचार गाने के बाद 21 तोपों की सलामी दी गई। परंपरा के अनुसार, सलूम्बर के रावत देवव्रत सिंह ने तलवार से अंगूठे को चीरा लगाकर रक्त से तिलक किया।

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