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ईगो को कहें गो

ईगो यानी अहंकार हमारे व्यक्तित्व को खोखला बना देता है। इस नकारात्मक भावना को कैसे नियंत्रित किया जाए, बता रहे हैं दिल्ली स्थित विमहांस हॉस्पिटल के क्लिनिकल साइकोलॉजिस्ट डॉ. पुलकित शर्मा।

By Edited By: Updated: Tue, 02 Jul 2013 02:32 PM (IST)
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अपने आसपास आपने कुछ ऐसे अहंकारी लोगों को जरूर देखा होगा, जो अकसर अपनी तारीफ करते रहते हैं और दूसरों को नीचा दिखाने से बाज नहीं आते। ऐसे लोगों को कोई भी पसंद नहीं करता, लेकिन दूसरों के बारे में बातें करने से पहले हमें अपने अंतर्मन में झांक कर देखने की कोशिश करनी चाहिए कि कहीं यह नकारात्मक भावना हमारे भीतर तो नहीं पनप रही? अहं व्यक्ति को झगडालू, जिद्दी, स्वार्थी और आत्मकेंद्रित बना देता है। अपनी इच्छा पूरी न होने पर कई बार अहंकारी लोग डिप्रेशन के भी शिकार हो जाते हैं।

क्यों होता है ऐसा

जब व्यक्ति अपना मूल्यांकन ईमानदारी से नहीं कर पाता तो खुद को सर्वश्रेष्ठ समझने की आदत उसे अहंकारी बना देती है। बचपन में जिन लोगों को माता-पिता का प्यार नहीं मिलता। ऐसे लोग ताउम्र हीन भावना से ग्रस्त रहते हैं। इसी से उनके मन में ईगो की भावना पनपने लगती है। अगर माता-पिता के व्यवहार में अहंकार झलकता है तो भी बच्चे घमंडी बन जाते हैं।

कैसे करें बचाव

इस समस्या से बचने के लिए सबसे पहले ईमानदारी से अपने मन के भीतर झांककर देखें। अगर आप हमेशा अपनी तारीफ सुनना पसंद करते हैं और अपनी गलतियों के लिए माफी मांगना आपको जरा भी पसंद नहीं है तो यह सही संकेत नहीं है। आपको सचेत ढंग से अहं की भावना को नियंत्रित करने की कोशिश करनी चाहिए। इसके लिए आप इन उपायों को अपना कर देखें :

-खुद को दूसरों की नजरों से देखने की आदत विकसित करें। सोचें कि आप दूसरों के साथ जैसा व्यवहार करते हैं क्या अपने लिए भी पसंद करेंगे?

-अपने पास-पडोस या ऑफिस की ऐसी एक्टिविटीज में शामिल हों, जहां आपको टीम भावना के साथ काम करने मौका मिले।

-अपने से छोटों (उम्र, पद, सामाजिक या आर्थिक दृष्टि से ) के साथ कभी विनम्र व्यवहार करके देखें। इससे उनके दिल में आपकी इज्जत बढ जाएगी।

-आत्मविश्वास बढाने की कोशिश करें। इससे अहंकार को दूर करना आसान होगा।

-कमजोर लोगों से अपनी तुलना करके खुश होना ठीक नहीं है। इससे आपकी तरक्की के रास्ते बंद हो जाएंगे। जो आपसे ज्यादा काबिल हैं, उनसे प्रेरित होकर आगे बढने के लिए प्रयासरत हों।

-दूसरों की बुराई करने की आदत छोड दें। इससे भी व्यक्ति के अहं को संतुष्टि मिलती है, जो उसे अहंकारी बनाती है।

-बच्चों को साथ वक्त बिताएं। खुद को भी उनकी ही तरह सहज बनाने की कोशिश करें। कहा जाता है कि हर इंसान में एक मासूम बच्चा छिपा होता है और हमें उसे हर हाल में जिंदा रखना चाहिए।

-नए लोगों के साथ दोस्ती बढाने की पहल करें। इससे आपके मन में छिपी अहं की भावना आसानी से दूर होगी।

-नियमित रूप से योगाभ्यास करें और कुछ अच्छी आध्यात्मिक किताबें पढें। इससे आपके लिए अहं दूर करना आसान हो जाएगा।

ईगो से दूर रखती हूं रिश्तों को

अहं की भावना हमें अपनों से दूर कर देती है और हम बहुत अकेले पड जाते हैं। इसकी वजह से हम सही और गलत के बीच फ र्ककरना भूल जाते हैं। दोस्तों या कजंस के साथ जब भी मेरा कोई मतभेद या झगडा होता है तो मैं अहं की वजह से उनके साथ अपने संबंध खराब नहीं करती। रिश्ते बेहद कीमती होते हैं। इसलिए गलती न होने पर भी मुझे उनसे माफी मांगने में कोई संकोच नहीं होता।

सुरभि शर्मा, जयपुर

सखी प्रतिनिधि