कोना-कोना हुआ प्रकाशमान, झिलमिलाहट संग हिलोर लेती रही आस्था

  • Story By: Nitesh Srivastava

मन को हरने वाला रहा सरयू की जलधारा में उभरता बिंब... कुंड, मठ मंदिर सहित शिक्षा के मंदिर भी हुए आलोकित

दीपोत्सव के आठवें संस्करण में रामनगरी का कोना-कोना प्रकाशमान हो उठा। पौराणिक कुंडों से लेकर मठ मंदिर व शिक्षा के मंदिर भी दीपोत्सव की प्रभा से आलोकित हुए। आस्था के प्रमुख केंद्र कनक भवन में पांच हजार, दशरथ महल में आठ हजार और बजरंगबली की प्रधानतम पीठ हनुमानगढ़ी में पांच हजार दीये प्रज्वलित किए गए। 


सुग्रीव किला, दिगंबर अखाड़ा, रामवल्लभाकुंज, बड़ा जानकी घाट, बड़ाभक्तमाल में भी पांच-पांच हजार दीयों की रोशनी फैली। 


सूर्यकुंड, गिरिजा कुंड, गणेश कुंड, विभीषण कुंड, दंताधवन कुंड, बृहस्पति कुंड सहित प्रभु श्रीराम की कुलदेवी बड़ी देवकाली मंदिर में आस्था व आत्मीयता के दीप जले। 


आस्था के प्रमुख केंद्रों पर दीपोत्सव का उल्लास छाया रहा। गुप्तारघाट पर 20 हजार दीये जलाए गए। दीपोत्सव में भाग लेने के लिए बड़ी संख्या में श्रद्धालु रामनगरी में उमड़े। गांव से लेकर शहर तक के श्रद्धालुओं का पहुंचना देर शाम तक जारी रहा। 


कुछ दीपोत्सव देखने को लालायित रहे तो कुछ श्रद्धा के दो दीप जलाने को बेचैन दिखे। 


रामनगरी के प्रमुख मार्गों पर श्रद्धालुओं का ज्वार उमड़ता रहा। 


मंदिरों में दर्शन पूजन के बाद लोग सायंकाल दीपोत्सव देखने पहुंचे तो वहां की मनमोहक आभा मन को बांधती दिखी। 


जगमगाते दीपों की स्वर्णिम आभा मन को लुभाती रही। झिलमिलाती दीपमालिकाएं मानो परियों के नृत्य की अनुभूति करा रही थीं। दीपोत्सव में भाग लेने आये बाराबंकी के सिद्धार्थ ने कहा, लगता है कि मानो स्वर्ग धरती पर उतर आया हो। 


हर ओर फैला प्रकाश आध्यात्मिक चेतना को जागृत करने वाला महसूस हो रहा था। रामकथा पार्क हो या चौधरी चरण सिंह घाट हर जगह जगमग करते दीप त्रेता युगीन अनुभूति बयां कर रहे थे। 


अमानीगंज के अमरनाथ कहते हैं कि इस बार के दीपोत्सव की अलग ही आभा झलक रही है। दीपमालिकाओं की झिलमिलाहट मानो उन्मुक्तता का अनुभव करा रही थी। घाटों पर फैली रोशनी व सरयू की जलधारा में उभरता बिंब मन को हर लेने वाला था।