Dwadash Jyotirling: भगवान शिव के द्वादश ज्योतिर्लिंग और उनसे जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण बातें

  • Story By: Shantanoo Mishra

हिन्दू धर्म में भगवान शिव की उपासना का विशेष महत्व है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार भगवान शिव की उपासना करने से जीवन में सुख-समृद्धि प्राप्त होती हैं। भगवान शिव के द्वादश ज्योतिर्लिंगों की उपासना करने से साधक को अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है।

सनातन धर्म में भगवान शिव की उपासना सृष्टि के संहारक के रूप में की जाती है। माना जाता है कि भगवान शिव की उपासना करने से व्यक्ति के सभी कष्टों का संहार हो जाता है। इसके साथ हिंदू धर्म में भगवान शिव के द्वादश ज्योतिर्लिंगों की उपासना की भी विशेष मान्यता है। बता दें कि ज्योतिर्लिंग शब्द का संधि विच्छेद ज्योति एवं लिंग है, जिसमें ज्योति का अर्थ प्रकाश और लिंग का अर्थ प्रतीक है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, भगवान शिव के इन सभी द्वादश ज्योतिर्लिंगों की उपासना करने से सभी कष्ट दूर हो जाते हैं और उन्हें सुख एवं समृद्धि का आशीर्वाद प्राप्त होता है। आज हम इसी विषय पर बात करेंगे और जानेंगे भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंग और उनके विषय में कुछ महत्वपूर्ण जानकारी।

सोमनाथ ज्योतिर्लिंग

गुजरात के सौराष्ट्र जिले में समुद्र के किनारे मौजूद भगवान सोमनाथ ज्योतिर्लिंग की गणना सभी 12 ज्योतिर्लिंगों में प्रथम स्थान पर की जाती है। माना जाता है कि यहां पूजा-पाठ करने से जीवन में सुख एवं समृद्धि की प्राप्ति होती है।


मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग

आंध्र प्रदेश के कृष्णा जिले में कृष्णा नदी के किनारे श्री शैल पर्वत पर स्थित है। इस पवित्र धार्मिक स्थल पर माता पार्वती के साथ महादेव के ज्योति रूप के दर्शन होते हैं। यहां दर्शन मात्र से ही साधक को अश्वमेध यज्ञ के समान पुण्य की प्राप्ति होती है।

महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग

मध्य प्रदेश उज्जैन में स्थित महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग एकमात्र ज्योतिर्लिंग है जहां दक्षिणमुखी ज्योतिर्लिंग की उपासना की जाती है। मान्यता है कि इस स्थान पर भगवान महाकाल के दर्शन करने से सभी प्रकार के भय, रोग एवं दोष से मुक्ति प्राप्त हो जाती है।


ओम्कारेश्वर ज्योतिर्लिंग

मध्य प्रदेश के खंडवा जिले में स्थित ओम्कारेश्वर ज्योतिर्लिंग नर्मदा नदी के बीच मन्धाता या शिवपुरी नामक द्वीप पर स्थित है, ऊंचाई से देखने पर इस स्थान का आकार 'ॐ' आकार का दिखाई देता है। यहां भगवान शिव के दर्शन करने से सभी कष्ट दूर हो जाते हैं।

केदारनाथ ज्योतिर्लिंग

हिमालय की गोद में बसे केदारनाथ मंदिर का हिंदू धर्म में विशेष महत्व है। इस स्थान का संबंध महाभारत काल से भी जुड़ता है। मान्यता है कि महाभारत काल में भगवान शिव ने पांडवों को इसी स्थान पर बैल रूप में दर्शन दिया था। केदारनाथ धाम का निर्माण आठवें या 9 वीं सदी में आदि गुरु शंकराचार्य द्वारा कराया गया था।


भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग

महाराष्ट्र के पुणे जिले में सह्याद्रि पर्वत पर भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग स्थित है। इन्हें मोटेश्वर महादेव के नाम से भी जाना जाता है मान्यता है कि इसी स्थान पर भगवान शिव ने भीम नामक दैत्य का वध किया था। मान्यता है कि इस स्थान पर दर्शन मात्र से ही साधकों भय योग एवं दोष से मुक्ति मिल जाती है।

काशी विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग

द्वादश ज्योतिर्लिंगों में सातवें स्थान पर काशी विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग हैं। यहां भगवान शिव के दर्शन के लिए स्वर्ग लोक से देवी देवता स्वयं पृथ्वी लोक पर आते हैं। माना जाता है कि जिस व्यक्ति की यहां मृत्यु होती है उसे निश्चित रूप से मोक्ष की प्राप्ति होती है।


त्रयम्बकेश्वर ज्योतिर्लिंग

महाराष्ट्र के नासिक में स्थित भगवान त्रयम्बकेश्वर ज्योतिर्लिंग का स्थान द्वादश ज्योतिर्लिंगों में आठवें स्थान पर आता है। गवान त्रयम्बकेश्वर का मंदिर ब्रह्मागिरी पर्वत पर स्थित है और इसी पर्वत से गोदावरी नदी शुरू होती है। इसी स्थान पर गौतम ऋषि ने भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए कठोर तपस्या की थी।

वैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग

झारखंड के देवघर जिले में वैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग का भी हिंदू धर्म में विशेष महत्व है। मान्यता है कि वैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग को रावण द्वारा स्थापित किया गया था। इस स्थान पर पूजा-पाठ करने से भक्तों के सभी कष्ट दूर हो जाते हैं। श्रावण मास में लाखों की संख्या में कांवड़िए जल चढ़ाने आते हैं।


नागेश्वर ज्योतिर्लिंग

गुजरात के द्वारका में स्थित नागेश्वर ज्योतिर्लिंग की गणना द्वादश ज्योतिर्लिंगों में दसवें स्थान पर आते हैं। शिवपुराण में भी इस ज्योतिर्लिंग का वर्णन किया गया है। बता दें कि शिव पुराण में नागेश्वर ज्योतिर्लिंग को दारूकावन क्षेत्र में ही वर्णित किया गया है।


रामेश्वरम ज्योतिर्लिंग

तमिलनाडु के रामनाथपुरम में रामेश्वरम ज्योतिर्लिंग मौजूद हैं। मान्यता है कि त्रेतायुग में भगवान श्री राम ने समुद्र के तट पर बालू से शिवलिंग का निर्माण किया था। समय के साथ यह शिवलिंग वज्र के समान हो गया था। श्री राम द्वारा निर्मित शिवलिंग के कारण ही इस ज्योतिर्लिंग को रामेश्वरम कहा जाता है।


घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग

भगवान शिव का अंतिम ज्योतिर्लिंग अर्थात घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग महाराष्ट्र के वेरुल नामक गांव में स्थित है। शिव पुराण में भी भगवान शिव के इस अंतिम ज्योतिर्लिंग का उल्लेख मिलता है। यहां भगवान शिव के दर्शन और पूजा-पाठ करने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती हैं।