शिव के गणों ने खेली चिता भस्म की होली

  • Story By: Nitesh Srivastava

रंगभरी एकादशी पर एक ओर बाबा के गौना की बरात निकली तो हरिश्चंद्र घाट पर ‘मसाने की होली’ सजी। शिव के गण स्वरूप व झांकियों के साथ शोभायात्रा निकली। घाट पर मसाननाथ मंदिर में हाजिरी लगा कर संत, महंत व गृहस्थजन ने चिता भस्म से होली खेली।

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शिव की नगरी काशी में फाल्गुन शुक्ल एकादशी पर रंगभरी एकादशी के मान विधान अनुसार एक ओर बाबा की गौना बरात निकली तो दूसरी ओर महाश्मशान हरिश्चंद्रघाट पर उनके गणों ने चिता भस्म से होली खेली।

मसाने की इस खास होली के लिए अघोरपीठ बाबा कीनाराम स्थली रवींद्रपुरी से शोभायात्रा निकाली गई। इसमें अड़भंगी बाबा शिव के गण भूत-पिशाच, गंधर्व, किन्नर, नाग, यक्ष सभी एक साथ झूमते-गाते-लहराते निकले। 

मसाने की होली सन्यांसियों का अवतार देख लोग हतप्रभ रह गए।

समूची काशी को शिवलोक में बदल जाने और शिवपुराण में वर्णित शिव बरात का दृश्य उभर आने का अहसास कराया।

काशी मोक्षदायिनी सेवा समिति की ओर से दोपहर में निकली शोभायात्रा में उत्सव का उल्लास इस तरह छाया की लगभग दो किलोमीटर की दूरी तय करने में तीन घंटे लग गए।

गाजे-बाजे के साथ निकली शोभायात्रा में खेले मसाने में होली दिगंबर... जैसे गीतों पर लोग थिरकते रहे। 

प्रतिरूपों के करतब व लुभावने नृत्यों पर रीझे देशी-विदेशी श्रद्धालु भी झूम उठे। 

सड़क के दोनों किनारों पर कतारबद्ध अपार जनसमूह उत्सव के उल्लास में भागीदार बनता जा रहा था। 

शोभायात्रा विजया चौराहा, सोनारपुरा होते हरिश्चंद्रघाट तक पहुंची तो वहां पहले से इंतजार में खड़े शिव भक्तों ने हर हर महादेव के उद्घोष से स्वागत किया। घाट पर पहुंचते ही मसाननाथ को भस्म अर्पित की गई।