घूंघट की ओट से बरसे लट्ठ.... बही आस्था, श्रद्धा और परंपरा की त्रिवेणी

  • Story By: Nitesh Srivastava

बरसाना की जग प्रसिद्ध लठामार होली के साक्षी बने लाखों श्रद्धालु, राधाकृष्ण के जयकारों से गूंजी धर्मनगरी, खूब बरसा प्रेम का रंग

आस्था और श्रद्धा के रंगों से सजी यह तस्वीर राधारानी के धाम बरसाना की जगप्रसिद्ध लठामार होली की है। नंदगांव के हुरियारे शनिवार को बरसाना होली खेलने पहुंचे, तो हास-परिहास के बीच बरसाना की हुरियारिन ने उन पर जमकर लट्ठ बरसाए, ढाल पर हर वार हुरियारों ने सहा। फोटो-कासिम खान

यह कृष्ण और राधा के अनुपम और अलौकिक प्रेम की गाथा है। कृष्ण के सखा के रूप में नंदगांव के हुरियारों पर राधारानी की सखा बन बरसाना की सजी-धजी हुरियारिनों ने घूंघट की ओट से लट्ठ बरसाए तो आस्था, श्रद्धा और परंपरा की त्रिवेणी का प्रवाह हुआ। 

बरसाना की अद्भुत लठामार होली में हुरियारिन के लट्ठ हुरियारों के ढाल पर बरसे तो प्रेम के रंग में सब सराबोर हो गए। जगप्रसिद्ध लठामार होली के लाखों श्रद्धालु साक्षी बने। शनिवार को बरसाना की सुबह कुछ अलग थी। हों भी क्यों न, आज वहां लठामार होली जो थी, वह होली जो पूरी दुनिया में अपने अनोखेपन के कारण विख्यात है। 

सुबह छह बजे से ही बरसाना आने वाले हर रास्ते श्रद्धालुओं से अट गए। 11 बजे तक बरसाना की हर गली पर कुछ था तो केवल रंग में सराबोर होने को व्याकुल श्रद्धालु। 

 करीब चार बजे हुरियारे ब्रह्मांचल पर्वत पर स्थित राधारानी के मंदिर पहुंचे। उधर, श्रद्धालुओं की व्याकुलता भी बढ़ती रही। मंदिर के पट करीब साढ़े चार बजे खुले। जयकारों के साथ मंदिर में प्रवेश। 

श्रीकृष्ण के स्वरूप में लेकर आए झंडे को राधारानी के पास रखा और फिर उनके चरणों में गुलाल अर्पित कर होली खेलने की अनुमति मांगी। यह मन के भाव थे, जो समझ गए कि राधारानी ने अनुमति दे दी है। फिर क्या था मंदिर से नीचे जयकारा लगाते उतरे हुरियारे रंगीली गली पहुंची। 

कटारा हवेली में मंदिर में ब्रज दूल्हा से होली खेलने की अनुमति मांगी। फिर क्या था, सजी-धजी हुरियारिन और हुरियारों में पंचम वेद (गाली) के बीच हास-परिहास हुआ। जिन लाठियों के कई दिनों से तेल पिलाकर हुरियारिन तैयार कर रही थीं, वह तड़ातड़ हुरियारों पर पड़ने लगीं। 

हर वार अपनी ढाल में रोकते। यही इस लठामार होली का रस है, जो प्रेम से पगा है। प्रेमपगी लाठियां बरसतीं और हुरियारे कान्हा के जयकारे लगाते रहे। कोई पांच बजे होली शुरू हुई और अंधेरा होने तक लाठियों की आवाज गूंजती रही। हुरियारों ने हुरियारिनों के पैर छुए, उन्हें शगुन दिया और रविवार को बरसाना के हुरियारों को नंदगांव में होली खेलने का निमंत्रण भी।

 बरसाना की लठामार होली से पूर्व राधारानी मंदिर में नंदगांव के हुरियारों पर रंग डालते बरसाना के हुरियारे। फोटो जागरण

बरसाना की लठामार होली से पूर्व राधारानी मंदिर में बरसाना के हुरियारों से हास-परिहास करते नंदगांव के हुरियारे। फोटो जागरण

बरसाना की लठामार होली से पूर्व राधारानी मंदिर में नृत्य करती सखी। फोटो जागरण