बिल के प्रावधान के बारे में...
डिजिटल व्यक्तिगत डेटा संरक्षण विधेयक 2022 के पुन: प्रस्तुत मसौदे में गैर-कंपनियों से लेकर कंपनियों तक पर 6 प्रकार के दंड का प्रस्ताव किया गया है। डेटा प्रोटेक्शन बिल डेटा सिंद्धांत पर आधारित है।
पहले नियम के अनुसार, देश में यूजर्स के पर्सनल डेटा का कलेक्शन और उपयोग लीगल माध्यम से होना चाहिए और इसके मिसयूज को कंट्रोल करते हुए उसके प्रोटेक्शन को लेकर पारदर्शिता बनाई जानी चाहिए।
व्यक्तिगत डेटा उल्लंघन को रोकने के लिए, मसौदा विधेयक में 250 करोड़ रुपये तक का जुर्माना प्रस्तावित किया गया है।
व्यक्तिगत डेटा उल्लंघन की स्थिति में बोर्ड और प्रभावित पक्षों को सूचित ने करने पर और बच्चों के संबंध में अतिरिक्त दायित्वों को पूरा न करने पर 200 करोड़ रुपये तक का जुर्माना लग सकता है।
इस अधिनियम के (1) से (5) में सूचीबद्ध प्रावधानों के अलावा अन्य प्रावधानों और इसके तहत बनाए गए किसी भी नियम का अनुपालन न करने पर 50 करोड़ रुपये तक का जुर्माना लगाया जाएगा।
डेटा प्रोटेक्शन को लेकर अगर कोई कानून तोड़ता है तो संबंधित व्यक्ति अदालत जा सकता है। इसके जरिए लोगों को अपने डेटा कलेक्शन, स्टोरेज और प्रोसेसिंग के बारे में डिटेल मांगने का अधिकार होगा।
कोई भी कंपनी अगर लोगों का पर्सनल डेटा इकट्ठा करती है, तो वो डेटा पूरी तरह से सुरक्षित रहे इसकी जिम्मेदारी भी कंपनी को लेनी होगी। इतना ही नहीं डेटा सिर्फ तब स्टोर किया जा सकेगा जब तक बेहद जरूरी न हो। डेटा प्रोटेक्शन बिल आने से देश में डिजिटल इकॉनमी बढ़ेगी। कंपनियों को देश में सर्वर रखना होगा।
इस विधेयक के अनुसार, अगर कोई प्लेटफॉर्म किसी व्यक्ति का पर्सनल डेटा जमा करना चाहता है तो उसे पहले संबंधित व्यक्ति या संस्थान को नोटिस देना होगा। इस नोटिस में उसे संबंधित व्यक्ति के डेटा का विवरण और उसे इसकी जरूरत क्यों है, इसकी जानकारी भी देनी होगी।