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Aja Ekadashi 2024: अजा एकादशी पर करें इन मंत्रों को जप, चमक जाएगी आपकी फूटी किस्मत

सनातन धर्म में जगत के पालनहार भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की पूजा का विशेष महत्व है। प्रत्येक माह में प्रभु की उपासना के लिए साधक एकादशी व्रत रखते हैं और विशेष चीजों का दान करते हैं। धार्मिक मान्यता है कि अजा एकादशी (Aja Ekadashi 2024 Mantra) पर इन कार्यों को करने से जीवन में आ रही कई प्रकार की समस्याएं दूर हो जाती हैं।

By Kaushik Sharma Edited By: Kaushik Sharma Updated: Tue, 27 Aug 2024 09:00 AM (IST)
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Lord Vishnu: बेहद चमत्कारी हैं विष्णु जी के ये मंत्र
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Aja Ekadashi 2024: सनातन धर्म में सभी तिथि किसी न किसी देवी-देवताओं को समर्पित है। ठीक इसी प्रकार एकादशी तिथि पर भगवान विष्णु की पूजा-अर्चना की जाती है। पंचांग के अनुसार, भाद्रपद माह में अजा एकादशी व्रत 29 अगस्त को किया जाएगा। इस दिन पूजा के समय श्रीहरि के मंत्रो का जप जरूर करें। मान्यता है कि ऐसा करने से साधक किस्मत चमक सकती है और सुख-शांति की प्राप्ति होगी।

धन-समृद्धि मंत्र

ॐ भूरिदा भूरि देहिनो, मा दभ्रं भूर्या भर। भूरि घेदिन्द्र दित्ससि।

ॐ भूरिदा त्यसि श्रुत: पुरूत्रा शूर वृत्रहन्। आ नो भजस्व राधसि।


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विष्णु गायत्री मंत्र

श्री विष्णवे च विद्महे वासुदेवाय धीमहि।

तन्नो विष्णुः प्रचोदयात्॥


लक्ष्मी विनायक मंत्र

दन्ता भये चक्र दरो दधानं,

कराग्रगस्वर्णघटं त्रिनेत्रम्।

धृता ब्जया लिंगितमब्धि पुत्रया,

लक्ष्मी गणेशं कनकाभमीडे।।

दुख नाशक मंत्र

कृष्णाय वासुदेवाय हरये परमात्मने ।

प्रणत क्लेश नाशाय गोविन्दाय नमो नमः।


विष्णु के पंचरूप मंत्र

ॐ अं वासुदेवाय नम:।।

ॐ आं संकर्षणाय नम:।।

ॐ अं प्रद्युम्नाय नम:।।

ॐ अ: अनिरुद्धाय नम:।।

ॐ नारायणाय नम:।।

ॐ ह्रीं कार्तविर्यार्जुनो नाम राजा बाहु सहस्त्रवान। यस्य स्मरेण मात्रेण ह्रतं नष्‍टं च लभ्यते।।

विष्णु मंगल मंत्र

मङ्गलम् भगवान विष्णुः, मङ्गलम् गरुणध्वजः।

मङ्गलम् पुण्डरी काक्षः, मङ्गलाय तनो हरिः॥


महाप्रसाद जननी, सर्व सौभाग्यवर्धिनी ।

आधि व्याधि हरा नित्यं, तुलसी त्वं नमोस्तुते ।

देवी त्वं निर्मिता पूर्वमर्चितासि मुनीश्वरैः !

नमो नमस्ते तुलसी पापं हर हरिप्रिये।।


तुलसी श्रीर्महालक्ष्मीर्विद्याविद्या यशस्विनी।

धर्म्या धर्मानना देवी देवीदेवमन: प्रिया ।।

लभते सुतरां भक्तिमन्ते विष्णुपदं लभेत्।

तुलसी भूर्महालक्ष्मी: पद्मिनी श्रीर्हरप्रिया ।।


ऊँ श्री त्रिपुराय विद्महे तुलसी पत्राय धीमहि तन्नो: तुलसी प्रचोदयात।।

वृंदा,वृन्दावनी,विश्वपुजिता,विश्वपावनी | 

पुष्पसारा,नंदिनी च तुलसी,कृष्णजीवनी ।।

एत नाम अष्टकं चैव स्त्रोत्र नामार्थ संयुतम |

य:पठेत तां सम्पूज्य सोभवमेघ फलं लभेत।।

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अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।