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Aja Ekadashi 2024: अजा एकादशी व्रत में जरूर करें इस कथा का पाठ, सभी पापों का होगा निवारण

एकादशी तिथि जगत के पालनहार भगवान विष्णु को समर्पित है। यह तिथि श्रीहरि की आराधना के लिए बहुत ही शुभ मानी जाती है। इस दिन भक्त प्रभु की कृपा प्राप्त करने के लिए व्रत करते हैं। ऐसे में अजा एकादशी (Aja Ekadashi Vrat Katha) के अवसर पर व्रत कथा का पाठ जरूर करना चाहिए। आइए पढ़ते हैं अजा एकदाशी व्रत कथा

By Kaushik Sharma Edited By: Kaushik Sharma Updated: Thu, 29 Aug 2024 10:30 AM (IST)
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Lord Vishnu: इस कथा के बिना अधूरी है अजा एकदाशी की पूजा

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि पर अजा एकादशी व्रत किया जाता है। पंचांग के अनुसार, इस वर्ष अजा एकादशी व्रत आज यानी 29 अगस्त को किया जा रहा है। इस खास अवसर पर भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की पूजा-अर्चना करने का विधान है। मान्यता है कि ऐसा करने से साधक को सभी पापों से मुक्ति मिलती है और मृत्यु के पश्चात बैकुण्ठ की प्राप्ति होती है। अजा एकादशी पूजा के दौरान व्रत कथा का पाठ न करने साधक शुभ फल की प्राप्ति से वंचित रहता है। इसलिए अजा एकादशी व्रत कथा (Aja Ekadashi Katha) का पाठ करना बिल्कुल भी न भूलें।

अजा एकादशी व्रत कथा

पौराणिक कथा के अनुसार, प्राचीन काल में चक्रवर्ती राजा हरिश्चंद्र थे। उनके जीवन में कुछ ऐसी समस्या आई, जिसकी वजह से उसका सारा राजपाट चौपट हो गया। पत्नी, पुत्र और परिवार सब छूट गए। इसके बाद वह एक चांडाल का दासी बन गया। चांडाल लोग सत्यवादी थे। वह जीवन में सदैव सच बोलते थे। उनका सोचना था कि वह ऐसा क्या उपाय करें, जिसके द्वारा राजा के परिवार का उद्धार हो जाए।

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एक समय ऐसा आया कि वे सभी बैठे हुए थे, तो उस दौरान गौतम ऋषि का आगमन हुआ। हरिश्चंद्र ने उन्हें प्रणाम कर अपनी सभी समस्या को बताया। गौतम ऋषि ने उनके दर्द को सुनकर भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की अजा एकादशी व्रत करने की सलाह दी और कहा कि इस व्रत को करने से सभी पापों का नाश होगा और आपकी पीड़ा भी दूर होगी। इसके पश्चात हरिश्चंद्र ने विधिपूर्वक अजा एकादशी व्रत रख कर भगवान विष्णु की विशेष पूजा-अर्चना की और श्रीहरि का जागरण किया।

अजा एकादशी व्रत करने से हरिश्चंद्र से सभी पाप नष्ट हुए और आसमान से फूलों की वर्षा हुई। साथ ही उनको उनका परिवार और राजपाट दोबारा प्राप्त हो गया। मृत्यु के पश्चात उनको बैकुण्ठ की प्राप्ति हुई। इसी तरह अजा एकादशी व्रत की शुरुआत हुई।

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अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।