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Aja Ekadashi पर भगवान विष्णु के भोग में शामिल करें प्रिय चीजें, जीवन में कभी नहीं होगी धन की कमी

एकादशी व्रत को महत्वपूर्ण माना जाता है। हर माह के कृष्ण और शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि पर व्रत किया जाता है। साथ ही प्रभु को विशेष चीजों को भोग लगाया जाता है। अगर आप भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त करना चाहते हैं तो इस लेख में दिए गए भोग अजा एकादशी पर प्रभु को अवश्य अर्पित करें। इससे धन लाभ के योग बनेंगे।

By Kaushik Sharma Edited By: Kaushik Sharma Updated: Mon, 26 Aug 2024 02:11 PM (IST)
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Aja Ekadashi 2024: इन भोग से भगवान विष्णु को करें प्रसन्न

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Aja Ekadashi 2024: एकादशी के दिन भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की पूजा-अर्चना करने का विधान है। हर साल भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि पर अजा एकादशी व्रत किया जाता है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, इस एकादशी व्रत को करने से साधक को सभी पापों से छुटकारा मिलता है और मोक्ष की प्राप्ति होती है। अजा एकादशी की पूजा के दौरान प्रभु को प्रिय चीजों का भोग लगाना बिल्कुल भी न भूलें। ऐसा न करने से साधक पुण्य की प्राप्ति से वंचित रहता है।

कब है अजा एकादशी? (Aja Ekadashi 2024 Shubh Muhurat)

पंचांग के अनुसार, भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि की शुरुआत 29 अगस्त को देर रात 1 बजकर 19 मिनट पर होगा। वहीं, इसका समापन शुक्रवार 30 अगस्त को देर रात 01 बजकर 37 मिनट पर होगा। ऐसे में अजा एकादशी 29 अगस्त को किया जाएगा।

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इन चीजों का लगाएं भोग (Lord Vishnu Favourite Bhog)

  • माना जाता है कि भगवान विष्णु को पीला रंग प्रिय है। ऐसे में प्रभु की पूजा में पीली चीजों को जरूर शामिल करें। अजा एकादशी की पूजा में श्रीहरि को केले और पीली मिठाई का भोग लगाएं। मान्यता के अनुसार, इन चीजों का भोग लगाने से साधक को भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त होती है। साथ ही तुलसी दल को जरूर शामिल करें।
  • अजा एकादशी के दिन श्रीहरि को पंचामृत का भी जरूर भोग लगाएं। ऐसा कहा जाता है कि पंचामृत अर्पित करने से प्रभु प्रसन्न होते हैं और साधक को जीवन में कभी भी धन की कमी का सामना नहीं करना पड़ता है।
  • इसके अलावा श्रीहरि को केसर की मिठाई, मखाने की खीर, पंजीरी और ऋतु फल आदि का भोग लगाएं।

भोग मंत्र (Bhog Mantra)

अजा एकादशी पर श्रीहरि को भोग अर्पित करते समय निम्न मंत्र का जप करना बेहद शुभ माना जाता है। मंत्र के जप के बिना प्रभु भोग स्वीकार नहीं करते हैं।

त्वदीयं वस्तु गोविन्द तुभ्यमेव समर्पये।

गृहाण सम्मुखो भूत्वा प्रसीद परमेश्वर ।।

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