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Apara Ekadashi 2024: अपरा एकादशी पर करें इन मंत्रों का जाप, खुल जाएंगे तरक्की के रास्ते

सनातन धर्म में एकादशी को विशेष महत्व दिया गया है। हर माह में दो बार एकादशी का व्रत किया जाता है एक बार कृष्ण पक्ष में और दूसरा शुक्ल पक्ष में। ऐसी मान्यता है कि इस तिथि पर भगवान विष्णु की आराधना करने से साधक को जीवन में अच्छे परिणाम देखने को मिल सकते हैं। ऐसे में चलिए पढ़ते हैं एकादशी के मंत्र।

By Suman Saini Edited By: Suman Saini Updated: Thu, 30 May 2024 05:58 PM (IST)
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Apara Ekadashi 2024: अपरा एकादशी पर करें इन मंत्रों का जाप।

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। हिंदू पंचांग के अनुसार, प्रत्येक वर्ष ज्येष्ठ माह की कृष्ण पक्ष पर आने वाली एकादशी को अपरा एकादशी के नाम से जाना जाता है। हिंदू धर्म में यह व्रत विशेष महत्व रखता है, इस तिथि पर भगवान विष्णु की उपासना की जाती है।

माना जाता है कि श्रद्धापूर्वक एकादशी का व्रत करने से साधक के जीवन में आ रहे सभी दुख-दर्द दूर होते हैं। ऐसे में आप एकादशी (Apara Ekadashi)  के शुभ अवसर पर इन मंत्रों का जाप कर सकते हैं, इससे साधक को भगवान विष्णु की असीम कृपा की प्राप्ति हो सकती है। 

अपरा एकादशी का शुभ मुहूर्त (Apara Ekadashi Shubh Muhurat)

ज्येष्ठ माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि का प्रारंभ 02 जून को प्रातः 03 बजकर 34 मिनट पर हो रहा है। वहीं, इस तिथि का समापन 03 जून को मध्य रात्रि 01 बजकर 11 मिनट पर होगा। ऐसे में उदया तिथि के अनुसार, अपरा एकादशी का व्रत 02 जून, रविवार के दिन किया जाएगा।

धन-समृद्धि मंत्र

ॐ भूरिदा भूरि देहिनो, मा दभ्रं भूर्या भर। भूरि घेदिन्द्र दित्ससि।

ॐ भूरिदा त्यसि श्रुत: पुरूत्रा शूर वृत्रहन्। आ नो भजस्व राधसि।

विष्णु गायत्री मंत्र

ॐ श्री विष्णवे च विद्महे वासुदेवाय धीमहि।

तन्नो विष्णुः प्रचोदयात्॥

लक्ष्मी विनायक मंत्र

दन्ता भये चक्र दरो दधानं,

कराग्रगस्वर्णघटं त्रिनेत्रम्।

धृता ब्जया लिंगितमब्धि पुत्रया,

लक्ष्मी गणेशं कनकाभमीडे।।

दुख नाशक मंत्र

कृष्णाय वासुदेवाय हरये परमात्मने ।

प्रणत क्लेश नाशाय गोविन्दाय नमो नमः।

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विष्णु के पंचरूप मंत्र

ॐ अं वासुदेवाय नम:।।

ॐ आं संकर्षणाय नम:।।

ॐ अं प्रद्युम्नाय नम:।।

ॐ अ: अनिरुद्धाय नम:।।

ॐ नारायणाय नम:।।

ॐ ह्रीं कार्तविर्यार्जुनो नाम राजा बाहु सहस्त्रवान। यस्य स्मरेण मात्रेण ह्रतं नष्‍टं च लभ्यते।।

विष्णु मंगल मंत्र

मङ्गलम् भगवान विष्णुः, मङ्गलम् गरुणध्वजः।

मङ्गलम् पुण्डरी काक्षः, मङ्गलाय तनो हरिः॥

अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।