Dev Uthani Ekadashi 2023: इस बार 5 महीने बाद योग निद्रा से जाग रहे हैं श्री हरि, यहां पढ़ें पूजा विधि
Vishnu ji Puja vidhi देवउठनी एकादशी को प्रबोधिनी एकादशी के नाम से भी जाना जाता है। इस विशेष तिथि पर भगवान विष्णु के शालिग्राम स्वरूप की पूजा की जाती है। देवउठनी एकादशी पर भगवान विष्णु को जगाने के लिए विशेष पूजा-अर्चना की जाती है साथ ही गीत भी गाए जाते हैं। तो चलिए जानते हैं देवउठनी एकादशी पर प्रभु श्री हरि को जगाने की विधि।
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Dev Uthani Ekadashi 2023: धार्मिक मान्यताओं के अनुसार आषाढ़ शुक्ल की देवशयनी एकादशी पर भगवान विष्णु 4 महीने के लिए योग निद्रा में चले जाते हैं और देवउठनी एकादशी के दिन भगवान पुनः निद्रा से जागते हैं। लेकिन इस बार अधिकमास के चलते चातुर्मास 5 महीने तक चला था। यानी इस बार भगवान विष्णु 5 महीने बाद योग निद्रा से जाग रहे हैं। ऐसे में देवशयनी एकादशी पर विधि-विधान से पूजा करके भगवान विष्णु की कृपा भी प्राप्त कर सकते हैं।
देवउठनी एकादशी का शुभ मुहूर्त (Dev Uthani Ekadashi Shubh Muhurat)
कार्तिक माह की शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि 22 नवंबर, 2023 को रात 11 बजकर 03 मिनट पर प्रारंभ हो रही है। वहीं इसका समापन 23 नवंबर, 2023 को रात 09 बजकर 01 मिनट पर होगा। ऐसे में देवउठनी एकादशी व्रत 23 नवंबर, गुरुवार के दिन किया जाएगा। वहीं इसके एक दिन बाद यानी द्वादशी तिथि पर तुलसी और शालिग्राम विवाह किया जाएगा।
इस विधि से जगाएं देव (Vishnu Puja vidhi)
सबसे पहले देवउठनी एकादशी के दिन सूर्योदय से पहले उठ जाएं। इसके बाद स्नान करें। पूजा स्थल की अच्छे से साफ-सफाई करें। इस दिन अपने आंगन में भगवान विष्णु के पद चिह्न बनाए और उन्हें ढक दें। एक चौकी पर भगवान विष्णु की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें। पूजा के दौरान भगवान विष्णु को गन्ना, सिंघाड़ा आदि फल अर्पित करें। साथ ही भगवान को जनेऊ और नए वस्त्र अर्पित करें।
रात में पूजा स्थल और घर के बाहर दीये जलाएं। रात्रि में पूरे परिवार के साथ मिलकर विष्णु जी और उनके पद चिह्न की पूजा करें। साथ ही भगवान को जगाने के लिए घड़ी, घंटा और शंख ध्वनि करते हुए भगवान का जयकार करें और अंत में देवउठनी एकादशी व्रत की कथा सुनें।
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