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Dev Uthani Ekadashi के दिन विष्णु जी को इन कार्यों से करें प्रसन्न, जानें क्या करें और क्या न करें?

देवउठनी एकादशी के दिन से चातुर्मास की समाप्ति होती है। इस दिन से शुभ और मांगलिक कार्यों का शुरुआत होती है। इसके अगले दिन तुलसी विवाह होता है। सभी एकादशी में देवउठनी एकादशी (Dev Uthani Ekadashi 2024) को बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है। मान्यता है कि इस व्रत को करने से जातक को भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त होती है।

By Kaushik Sharma Edited By: Kaushik Sharma Updated: Wed, 06 Nov 2024 12:12 PM (IST)
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Dev Uthani Ekadashi 2024: देवउठनी एकादशी के नियम
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। सनातन धर्म सभी तिथि किसी न किसी देवी-देवता को समर्पित है। इसी प्रकार से हर माह के कृष्ण और शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि जगत के पालनहार भगवान विष्णु को समर्पित है। यह तिथि विष्णु जी और मां लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए शुभ मानी जाती है। कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी को देवउठनी एकादशी (Kab Hai Dev Uthani Ekadashi 2024) के नाम से जाना जाता है। वैदिक पंचांग के अनुसार, इस साल यह एकादशी 12 नवंबर (Dev Uthani Ekadashi 2024 Date) को मनाई जाएगी। इस दिन चातुर्मास का समापन होता है और भगवान विष्णु नींद से जागृत होते हैं। इसलिए देवउठनी एकादशी से मांगलिक कार्यों की शुरुआत हो जाती है। इस दिन भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की पूजा-अर्चना करने का विधान है।

मान्यता है कि सच्चे मन से उपासना करने से जीवन के दुख और दर्द दूर होते हैं। साथ ही जीवन में खुशियों का आगमन होता है। माना जाता है कि इस दिन कुछ कार्यों को करने से जातक को कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है। इसलिए इस दिन कुछ कार्यों को करने से बचना चाहिए। आइए इस लेख में जानते हैं कि देवउठनी एकादशी के दिन क्या करें और क्या न करें?

देवउठनी एकादशी के दिन क्या करें? (What to do on the day of Devuthani Ekadashi)

  • देवउठनी एकादशी के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठना चाहिए।
  • इस दिन सच्चे मन से भगवान विष्णु, मां लक्ष्मी और तुलसी पूजा जरूर करनी चाहिए।  
  • देवउठनी एकादशी व्रत को विधिपूर्वक करना चाहिए।
  • व्रत का पारण द्वादशी तिथि में करें और मंदिर या गरीब लोगों में अन्न, धन और गर्म वस्त्र का दान करें।
  • श्रीहरि को फल और मिठाई का भोग लगाना चाहिए। भोग थाली में तुलसी दल को जरूर शामिल करें। मान्यता है कि तुलसी पत्ते के बिना प्रभु भोग स्वीकार नहीं करते हैं।
  • सुबह की पूजा-अर्चना करने के बाद दिन में नहीं सोना चाहिए।
  • इस दिन कीर्तन करना चाहिए।
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देवउठनी एकादशी के दिन क्या न करें (What not to do on the day of Devuthani Ekadashi)

  • देवउठनी एकादशी के दिन तामसिक भोजन का सेवन न करें।  
  • इसके अलावा किसी से बातचीत के दौरान अभद्र भाषा का इस्तेमाल न करें  
  • इस दिन चावल का सेवन भूलकर भी नहीं करना चाहिए।
  • तुलसी के पत्ते को न तोड़ें, क्योंकि मां लक्ष्मी एकादशी का व्रत रखती हैं। व्रत के दौरान तुलसी के पत्ते तोड़ने से व्रत खंडित होता है।
  • एकादशी के दिन तामसिक चीजों के सेवन से दूर रहें।
  • घर और परिवार में किसी से भी वाद-विवाद न करें।  
  • इसके अलावा धन की बर्बादी न करें।  
  • बड़े बुर्जुगों और महिलाओं का अपमान न करें।  
  • घर को गंदा न रखें, क्योंकि मां लक्ष्मी का वास साफ-सफाई वाली जगह पर होता है।
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अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।