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Dev Uthani Ekadashi 2024: चार महीने बाद योग निद्रा से जाग रहे हैं श्री हरि, जानिए देवों को जगाने की विधि

देवउठनी एकादशी को प्रबोधिनी एकादशी भी कहा जाता है। इस दिन को एक अबूज मुहूर्त भी माना जाता है क्योंकि इस तिथि पर बिना शुभ मुहूर्त देखे विवाह जैसे शुभ कार्य किए जा सकते हैं। इसके एक दिन बाद यानी द्वादशी तिथि पर तुलसी और शालिग्राम विवाह किया जाता है। तो चलिए जानते हैं देवउठनी एकादशी पर प्रभु श्री हरि को जगाने की विधि।

By Suman Saini Edited By: Suman Saini Updated: Wed, 06 Nov 2024 01:18 PM (IST)
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Dev Uthani Ekadashi 2024 जानिए देवों को जगाने की विधि।
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। भगवान विष्णु 4 माह के लिए कार्तिक माह की शुक्ल पक्ष की एकादशी पर योग निद्रा से जागते हैं, इसलिए इस दिन को देवउठनी एकादशी के रूप में जाना जाता है। देवउठनी एकादशी पर भगवान विष्णु को निद्रा से जगाने के लिए विशेष पूजा-अर्चना की जाती है। ऐसे में चलिए जानते हैं कि आप किस तरह इस दिन पर भगवान विष्णु की पूजा-अर्चना द्वारा उनकी कृपा प्राप्त कर सकते हैं।

देवउठनी एकादशी शुभ मुहूर्त (Dev Uthani Ekadashi Muhurat)

कार्तिक माह की शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि 11 नवंबर को शाम 06 बजकर 46 मिनट पर प्रारंभ हो रही है। वहीं इसका समापन 12 नवंबर को दोपहर 04 बजकर 04 मिनट पर होगा। ऐसे में देवउठनी एकादशी व्रत मंगलवार, 12 नवंबर को किया जाएगा। इस दिन पारण का समय कुछ इस प्रकार रहेगा -

पारण (व्रत खोलने) का समय - 13 नवंबर सुबह 06 बजकर 42 मिनट से सुबह 08 बजकर 51 मिनट तक

इस विधि से जगाएं देव (Vishnu ji Puja vidhi)

देवउठनी एकादशी के दिन सूर्योदय से पहले उठकर स्नान आदि से निवृत हो जाएं। इसके बाद पूजा स्थल की अच्छे से साफ-सफाई करें। अब घर के आंगन में भगवान विष्णु के पद चिह्न बनाए और उन्हें ढक दें। इसके बाद एक चौकी पर लाल या पीला वस्त्र बिछाकर भगवान विष्णु की मूर्ति या चित्र स्थापित करें। पूजा में प्रभु श्रीहरि को गन्ना, सिंघारा और फल आदि अर्पित करें, साथ ही उन्हें जनेऊ व नए वस्त्र चढ़ाएं।

रात्रि के समय में पूजा स्थल पर मां लक्ष्मी सहित देवी-देवताओं के निमित्त 11 दीपक जलाएं और वंदना करें। अब सहपरिवार भगवान विष्णु और उनके पद चिह्नों की पूजा-अर्चना करें। देवों को जगाने के लिए घंटी और शंख ध्वनि का इस्तेमाल करें और जयकार लगाएं। अंत में देवउठनी एकादशी व्रत की कथा सुनें।

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करें इन मंत्रों का जप

देवों को जगाने के लिए आप पूजा के दौरान इन मंत्रों का जप कर सकते हैं -

“उत्तिष्ठ गोविन्द त्यज निद्रां जगत्पतये, त्वयि सुप्ते जगन्नाथ जगत् सुप्तं भवेदिदम्”

भगवान विष्णु का आह्वान मंत्र -

उत्तिष्ठ गोविन्द त्यज निद्रां जगत्पतये।

त्वयि सुप्ते जगन्नाथ जगत्‌ सुप्तं भवेदिदम्‌॥

उत्थिते चेष्टते सर्वमुत्तिष्ठोत्तिष्ठ माधव।

गतामेघा वियच्चैव निर्मलं निर्मलादिशः॥

शारदानि च पुष्पाणि गृहाण मम केशव।

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अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।