Dev Uthani Ekadashi 2024 Katha: देवउठनी एकादशी पर करें इस कथा का पाठ, भगवान विष्णु की बरसेगी कृपा
सभी एकादशी में से देवउठनी एकादशी ( Dev Uthani Ekadashi 2024) को बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है। इस शुभ तिथि पर भगवान विष्णु जागते हैं और मांगलिक कार्यों की शुरुआत होती है। मान्यता है कि इस व्रत को सच्चे मन करने से विष्णु जी की कृपा प्राप्त होती है। साथ ही व्रत कथा का पाठ करने से जीवन खुशहाल होता है।
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। हर साल कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को देवउठनी एकादशी मनाई जाती है। तदनुसार, इस वर्ष देवउठनी एकादशी ( Dev Uthani Ekadashi 2024 Date) आज यानी 12 नवंबर को मनाई जा रही है। इस तिथि पर जगत के पालनहार भगवन विष्णु और मां लक्ष्मी की पूजा-अर्चना करने का विधान है। साथ ही सभी पापों से छुटकारा पाने के लिए व्रत भी किया जाता है। देवउठनी एकादशी के दिन व्रत कथा का पाठ जरूर करना चाहिए। इसके पाठ के बिना पूजा अधूरी मानी जाती है। आइए पढ़ते हैं देवउठनी एकादशी की व्रत कथा (Dev Uthani Ekadashi 2024 Katha)।
देवउठनी एकादशी व्रत कथा (Dev Uthani Ekadashi Vrat Katha)
पौराणिक कथा (Dev Uthani Ekadashi Katha) के अनुसार, एक राजा के राज्य में सभी एकादशी का व्रत करते थे। व्रत के दौरान पूरे राज्य में किसी को अन्न नहीं दिया जाता था। एक बार ऐसा समय आया कि एक दिन एक व्यक्ति नौकरी मांगने के लिए राजा के दरबार में आया। उसकी बातें सुनने के बाद राजा ने कहा कि नौकरी तो मिल जाएगी, लेकिन एकादशी के दिन अन्न नहीं दिया जाएगा। नौकरी मिलने की खुशी में उस व्यक्ति ने राजा की बात मान ली।एकादशी का व्रत आया। सभी ने विधिपूर्वक व्रत किया। साथ ही उसने भी फलाहार किया, लेकिन भूख नहीं मिटी। वह राजा के पास अन्न मांगने के लिए गया। उसने राजा से कहा कि फलाहार से उनकी भूख नहीं मिटी है, वह भूखों मर जाएगा। उसे खाने के लिए अन्न दिया जाए। इस पर राजा ने अपनी शर्त वाली बात दोहराई।यह भी पढ़ें: Dev Uthani Ekadashi 2024: देवउठनी एकादशी पर अवश्य करें इन चीजों का दान, धन से भर जाएगा आपका घर
उस व्यक्ति ने कहा कि वह भूख से मर जाएगा, उसे अन्न की आवश्यकता है। तब राजा ने उसे भोजन के लिए आटा, दाल, चावल दिलवा दिया। इसके बाद वह नदी के किनारे स्नान किया और भोजन बनाया। उसने भोजन निकाला और भगवान को निमंत्रण दिया। तब भगवान विष्णु वहां आए और भोजन किए। फिर चले गए। वह भी अपने काम में लग गया।फिर दूसरे मास की एकादशी आई। इस बार उसने अधिक अनाज मांगा। राजा ने कारण पूछा तो उसने बताया कि पिछली बार भगवान भोजन कर लिए, इससे वह भूखा रह गया। इतने अनाज से दोनों का पेट नहीं भरता। राजा चकित थे, उनको उस व्यक्ति की बात पर विश्वास नहीं हुआ। तब वह राजा को अपने साथ लेकर गया।
उसने स्नान करके भोजन बनाया और भगवान को निमंत्रण दिया। लेकिन इस बार भगवान नहीं आए। वह शाम तक भगवान का इंतजार करता रहा। राजा पेड़ के पीछे छिपकर सब देख रहे थे। अंत में उसने कहा कि हे भगवान! यदि आप भोजन करने नहीं आएंगे तो नदी में कूदकर जान दे देगा। भगवान के न आने पर उस नदी की ओर जाने लग, तब भगवान प्रकट हुए। उन्होंने भोजन किया। फिर उस पर भगवत कृपा हुई और वह प्रभु के साथ उनके धाम चला गया।
राजा को ज्ञान हो गया कि भगवान को भक्ति का आडंबर नहीं चाहिए। वे सच्ची भावना से प्रसन्न होते हैं और दर्शन देते हैं। इसके बाद से राजा भी सच्चे मन से एकादशी का व्रत करने लगे। अंतिम समय में उनको भी स्वर्ग की प्राप्ति हो गई।यह भी पढ़ें: Dev Uthani Ekadashi 2024: देवउठनी एकादशी पर करें मां तुलसी की विशेष पूजा, जीवन की सारी बाधाएं होंगी समाप्त
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