Dev Uthani Ekadashi के दिन मां लक्ष्मी को ऐसे करें प्रसन्न, कभी नहीं होगी धन की कमी
सनातन धर्म में एकादशी का अधिक महत्व है। एकादशी तिथि पर भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी जी की सच्चे मन उपासना करनी चाहिए। कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी को देवउठनी एकादशी (Dev Uthani Ekadashi 2024) के नाम से जाना जाता है। धार्मिक मान्यता है कि इस व्रत को करने से जातक को सभी पापों से छुटकारा मिलता है। साथ ही शुभ फल की प्राप्ति होती है।
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। जगत के पालनहार भगवान विष्णु और धन की देवी मां लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए देवउठनी एकादशी व्रत को शुभ माना जाता है। पंचांग के अनुसार, कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष में देवउठनी एकादशी मनाई जाती है। इस वर्ष यह व्रत 12 नवंबर (Dev Uthani Ekadashi 2024 Date) को है। ऐसी मान्यता है कि देवउठनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की उपासना करने से धन लाभ के योग बनते हैं। इस दिन लक्ष्मी चालीसा का पाठ करना फलदायी साबित होता है। मान्यता है कि विधिपूर्वक लक्ष्मी चालीसा का पाठ करने से देवी लक्ष्मी का आशीर्वाद प्राप्त होता है। साथ ही धन से तिजोरी भरी रहती है। आइए पढ़ते हैं लक्ष्मी चालीसा।
लक्ष्मी चालीसा
॥ सोरठा॥यही मोर अरदास, हाथ जोड़ विनती करुं।सब विधि करौ सुवास, जय जननि जगदंबिका॥
॥ चौपाई ॥सिन्धु सुता मैं सुमिरौ तोही। ज्ञान बुद्धि विद्या दो मोही॥तुम समान नहिं कोई उपकारी। सब विधि पुरवहु आस हमारी॥जय जय जगत जननि जगदंबा सबकी तुम ही हो अवलंबा॥
तुम ही हो सब घट घट वासी। विनती यही हमारी खासी॥जगजननी जय सिन्धु कुमारी। दीनन की तुम हो हितकारी॥विनवौं नित्य तुमहिं महारानी। कृपा करौ जग जननि भवानी॥केहि विधि स्तुति करौं तिहारी। सुधि लीजै अपराध बिसारी॥कृपा दृष्टि चितववो मम ओरी। जगजननी विनती सुन मोरी॥ज्ञान बुद्घि जय सुख की दाता। संकट हरो हमारी माता॥क्षीरसिन्धु जब विष्णु मथायो। चौदह रत्न सिन्धु में पायो॥
चौदह रत्न में तुम सुखरासी। सेवा कियो प्रभु बनि दासी॥पंचांग के अनुसार, इस साल कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि की शुरुआत 11 नवंबर की शाम 6 बजकर 46 मिनट पर होगी। वहीं, इस तिथि की समाप्ति अगले दिन यानी 12 नवंबर को 4 बजकर 14 मिनट पर होगी। ऐसे में उदयातिथि को देखते हुए इस साल देवउठनी एकादशी का व्रत (Dev Uthani Ekadashi 2024 Vrat) 12 नवंबर को रखा जाएगा।
जब जब जन्म जहां प्रभु लीन्हा। रुप बदल तहं सेवा कीन्हा॥स्वयं विष्णु जब नर तनु धारा। लीन्हेउ अवधपुरी अवतारा॥तब तुम प्रगट जनकपुर माहीं। सेवा कियो हृदय पुलकाहीं॥अपनाया तोहि अन्तर्यामी। विश्व विदित त्रिभुवन की स्वामी॥तुम सम प्रबल शक्ति नहीं आनी। कहं लौ महिमा कहौं बखानी॥मन क्रम वचन करै सेवकाई। मन इच्छित वांछित फल पाई॥तजि छल कपट और चतुराई। पूजहिं विविध भांति मनलाई॥
यह भी पढ़ें: Dev Uthani Ekadashi के दिन विष्णु जी को इन कार्यों से करें प्रसन्न, जानें क्या करें और क्या न करें?और हाल मैं कहौं बुझाई। जो यह पाठ करै मन लाई॥ताको कोई कष्ट नोई। मन इच्छित पावै फल सोई॥
त्राहि त्राहि जय दुःख निवारिणि। त्रिविध ताप भव बंधन हारिणी॥जो चालीसा पढ़ै पढ़ावै। ध्यान लगाकर सुनै सुनावै॥ताकौ कोई न रोग सतावै। पुत्र आदि धन सम्पत्ति पावै॥पुत्रहीन अरु संपति हीना। अन्ध बधिर कोढ़ी अति दीना॥विप्र बोलाय कै पाठ करावै। शंका दिल में कभी न लावै॥पाठ करावै दिन चालीसा। ता पर कृपा करैं गौरीसा॥देवउठनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी को प्रिय चीजों का भोग लगाना चाहिए। साथ ही जीवन में सुख-शांति की प्राप्ति के लिए करें। मान्यता है कि भोग अर्पित करने से श्रीहरि प्रसन्न होते हैं।
सुख सम्पत्ति बहुत सी पावै। कमी नहीं काहू की आवै॥बारह मास करै जो पूजा। तेहि सम धन्य और नहिं दूजा॥प्रतिदिन पाठ करै मन माही। उन सम कोइ जग में कहुं नाहीं॥बहुविधि क्या मैं करौं बड़ाई। लेय परीक्षा ध्यान लगाई॥करि विश्वास करै व्रत नेमा। होय सिद्घ उपजै उर प्रेमा॥जय जय जय लक्ष्मी भवानी। सब में व्यापित हो गुण खानी॥तुम्हरो तेज प्रबल जग माहीं। तुम सम कोउ दयालु कहुं नाहिं॥
मोहि अनाथ की सुधि अब लीजै। संकट काटि भक्ति मोहि दीजै॥भूल चूक करि क्षमा हमारी। दर्शन दजै दशा निहारी॥बिन दर्शन व्याकुल अधिकारी। तुमहि अछत दुःख सहते भारी॥नहिं मोहिं ज्ञान बुद्घि है तन में। सब जानत हो अपने मन में॥रुप चतुर्भुज करके धारण। कष्ट मोर अब करहु निवारण॥केहि प्रकार मैं करौं बड़ाई। ज्ञान बुद्घि मोहि नहिं अधिकाई॥॥ दोहा॥त्राहि त्राहि दुख हारिणी, हरो वेगि सब त्रास।
जयति जयति जय लक्ष्मी, करो शत्रु को नाश॥रामदास धरि ध्यान नित, विनय करत कर जोर।मातु लक्ष्मी दास पर, करहु दया की कोर॥यह भी पढ़ें: Dev Uthani Ekadashi 2024: चार महीने बाद योग निद्रा से जाग रहे हैं श्री हरि, जानिए देवों को जगाने की विधि
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