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Dev Uthani Ekadashi 2024: देवउठनी एकादशी पर इन गीतों से जगाएं देव, बरसेगी अपार कृपा

साल की सभी एकादशी में से देवउठनी एकादशी को विशेष महत्व दिया जाता है। क्योंकि ऐसी मान्यता है कि इस तिथि पर प्रभु श्रीहरि 4 माह बाद पुनः योग निद्रा से जागते हैं। इसी तिथि से विवाह जैसे शुभ कार्यों की शुरुआत होती है। इस दिन देवताओं को निद्रा से जगाने के लिए विशेष रूप से पूजा-अर्चना की जाती है।

By Suman Saini Edited By: Suman Saini Updated: Tue, 12 Nov 2024 09:51 AM (IST)
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Dev Uthani Ekadashi 2024 देवउठनी एकादशी पर इन गीतों से जगाएं देव।
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। आज यानी 12 नवंबर को देवउठनी एकादशी, जिसे प्रबोधिनी एकादशी भी कहा जाता है, का व्रत किया जा रहा है। यह एक अबूज मुहूर्त भी माना जाता है, क्योंकि इस तिथि पर शुभ मुहूर्त देखे बिना भी विवाह आदि किए जा सकते हैं। इसके अगले दिन तुलसी व शालिग्राम विवाह करने का भी विधान है। ऐसे में चलिए पढ़ते हैं देवउठनी एकादशी पर देवों को उठाने के गीत।

देवउठनी एकादशी गीत

मूली का पत्ता हरिया भरिया ईश्वर का मुख पानी भरिया,

मूली का पत्ता हरिया भरिया बबीता का मुख पानो भरिया

(इसी तरह से परिवार की सभी बहुओं के नाम लेते हैं)

ओल्या-कोल्या धरे अनार जीयो वीरेन्द्र तेरे यार

ओल्या-कोल्या धरे अनार जीयो पुनीत तेरे यार

(इसी तरह से परिवार की सभी पुरुषों का नाम लेते हैं)

ओल्या कोल्या धरे पंज गट्टे जीयो ललिता तेरे बेटे

ओल्या-कोल्या धरे पंज गट्टे जीयो मनीषा तेरे बेटे

(इसी तरह से परिवार की सभी बहुओं के नाम लेते हैं)

ओल्या-कोल्या धरे अंजीर जीयो सरोज तेरे वीर

ओल्या कोल्या धरे अंजीर जीयो पूजा तेरे बीर

(इसी तरह से परिवार की सभी लड़कियों के नाम लेते हैं)

ओल्या-कोल्या लटके चाबी, एक दीपा ये तेरी भाभी

ओल्या-कोल्या लटके चाबी एक शगुन ये तेरी भाभी

(इसी तरह से परिवार की सभी लड़कियों के नाम लेते हैं)

बुल बुलड़ी नै घालो गाड़ी राज करे अशोक की दादी

बुल बुलड़ी नै घालो गाड़ी राज करे पुनित की दादी

बुल बुलड़ी नै घालो गाड़ी राज करे रोहन की दादी

(इसी तरह से परिवार के सभी लड़कों के नाम लेते हैं)

जितनी इस घर सींक सलाई उतनी इस घर बहूअड़ आई

जितनी खूंटी टाँगू सूत उतने इस घर जनमे पूत

जितने इस घर ईंट रोड़े उतने इस घर हाथी घोड़े

उठ नारायण, बैठ नारायण, चल चना के खेत नारायण

में बोऊँ तू सींच नारायण, में काटृ तू उठा नारायण

मैं पीस तू छान नारायण, में पोऊ तू खा नारायण

कोरा करवा शीतल पानी, उठो देवो पियो पानी |

उठो देवा, बैठो देवा, अंगुरिया चटकाओ देवा ॥

जागो जागो हरितश (अपने गोत का नाम) गोतियों के देवा

देवउठनी एकादशी पर देवों को उठाने के लिए गीत गाने की परम्परा है। ऐसा करने से साधक को देवी-देवताओं का आशीर्वाद मिलता है और घर-परिवार में सुख-समृद्धि का वास बना रहता है।

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देवों को उठाने के गीत

उठो देव बैठो देव

हाथ-पांव फटकारो देव

उंगलियां चटकाओ देव

सिंघाड़े का भोग लगाओ देव

गन्ने का भोग लगाओ देव

सब चीजों का भोग लगाओ देव ॥

उठो देव बैठो देव

उठो देव, बैठो देव

देव उठेंगे कातक मोस

नयी टोकरी, नयी कपास

ज़ारे मूसे गोवल जा

गोवल जाके, दाब कटा

दाब कटाके, बोण बटा

बोण बटाके, खाट बुना

खाट बुनाके, दोवन दे

दोवन देके दरी बिछा

दरी बिछाके लोट लगा

लोट लगाके मोटों हो, झोटो हो

गोरी गाय, कपला गाय

जाको दूध, महापन होए,

सहापन होए।

जितनी अम्बर, तारिइयो

इतनी या घर गावनियो

जितने जंगल सीख सलाई

इतनी या घर बहुअन आई

जितने जंगल हीसा रोड़े

जितने जंगल झाऊ झुंड

इतने याघर जन्मो पूत

ओले कोले, धरे चपेटा

ओले कोले, धरे अनार

ओले कोले, धरे मंजीरा

उठो देव बैठो देव

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अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।