Move to Jagran APP

Devshayani Ekadashi 2024: देवशयनी एकादशी व्रत इस कार्य के बिना है अधूरा, जीवन में होगा खुशियों का आगमन

पंचांग के अनुसार आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी को देवशयनी एकादशी के नाम से जाना जाता है। इस तिथि पर भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की पूजा और व्रत किया जाता है। माना जाता है कि देवशयनी एकादशी की उपासना के दौरान आरती (Lord Vishnu Aarti) न करने से पूजा अधूरी रहती है। इसलिए भगवान विष्णु की अवश्य करें। इससे जातक के जीवन में खुशियों का आगमन होगा।

By Kaushik Sharma Edited By: Kaushik Sharma Updated: Wed, 17 Jul 2024 05:18 PM (IST)
Hero Image
Devshayani Ekadashi 2024: देवशयनी एकादशी व्रत इस कार्य के बिना है अधूरा, जीवन में होगा खुशियों का आगमन
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Lord Vishnu Puja Vidhi: आज यानी 17 जुलाई 2024 को देवशयनी एकादशी व्रत किया जा रहा है। एकादशी तिथि को सनातन धर्म में बेहद पवित्र और पुण्यदायिनी कहा गया है। इस तिथि से एकादशी से श्री हरि क्षीर सागर में विश्राम करने चले जाते हैं और कार्तिक माह में पड़ने वाली देवउठनी एकादशी पर जागृत होते हैं।

यह भी पढ़ें: Devshayani Ekadashi 2024: देवशयनी एकादशी पर घर ले आएं ये 3 चीजें, चंद दिनों में आर्थिक तंगी हो जाएगी दूर

भगवान विष्णु जी की आरती (Lord Vishnu Aarti)

ॐ जय जगदीश हरे, स्वामी ! जय जगदीश हरे।

भगवान विष्णु की आरती

भक्त जनों के संकट, क्षण में दूर करे॥

ॐ जय जगदीश हरे।

जो ध्यावे फल पावे, दुःख विनसे मन का।

स्वामी दुःख विनसे मन का।

सुख सम्पत्ति घर आवे, कष्ट मिटे तन का॥

ॐ जय जगदीश हरे।

मात-पिता तुम मेरे, शरण गहूँ मैं किसकी।

स्वामी शरण गहूँ मैं किसकी।

तुम बिन और न दूजा, आस करूँ जिसकी॥

ॐ जय जगदीश हरे।

तुम पूरण परमात्मा, तुम अन्तर्यामी।

स्वामी तुम अन्तर्यामी।

पारब्रह्म परमेश्वर, तुम सबके स्वामी॥

ॐ जय जगदीश हरे।

तुम करुणा के सागर, तुम पालन-कर्ता।

स्वामी तुम पालन-कर्ता।

मैं मूरख खल कामी, कृपा करो भर्ता॥

ॐ जय जगदीश हरे।

तुम हो एक अगोचर, सबके प्राणपति।

स्वामी सबके प्राणपति।

किस विधि मिलूँ दयामय, तुमको मैं कुमति॥

ॐ जय जगदीश हरे।

दीनबन्धु दुखहर्ता, तुम ठाकुर मेरे।

स्वामी तुम ठाकुर मेरे।

अपने हाथ उठा‌ओ, द्वार पड़ा तेरे॥

ॐ जय जगदीश हरे।

विषय-विकार मिटा‌ओ, पाप हरो देवा।

स्वमी पाप हरो देवा।

श्रद्धा-भक्ति बढ़ा‌ओ, सन्तन की सेवा॥

ॐ जय जगदीश हरे।

श्री जगदीशजी की आरती, जो कोई नर गावे।

स्वामी जो कोई नर गावे।

कहत शिवानन्द स्वामी, सुख संपत्ति पावे॥

भगवान विष्णु के मंत्र

1. ॐ नमोः नारायणाय।।

2. ॐ नमोः भगवते वासुदेवाय।।

3. ॐ श्री विष्णवे च विद्महे वासुदेवाय धीमहि।

तन्नो विष्णुः प्रचोदयात्।।

4. शान्ताकारम् भुजगशयनम् पद्मनाभम् सुरेशम्

विश्वाधारम् गगनसदृशम् मेघवर्णम् शुभाङ्गम्।

लक्ष्मीकान्तम् कमलनयनम् योगिभिर्ध्यानगम्यम्

वन्दे विष्णुम् भवभयहरम् सर्वलोकैकनाथम्।।

यह भी पढ़ें: Devshayani Ekadashi 2024: देवशयनी एकादशी पर अपनी राशि अनुसार लगाएं ये भोग, सभी मनोकामनाएं होंगी पूरी

अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।