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Devshayani Ekadashi 2024: देवशयनी एकादशी पर करें इस कथा का पाठ, पापों से मिलेगी मुक्ति

आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष में देवशयनी एकादशी व्रत किया जाता है। धार्मिक मत है कि इस व्रत करने से जातक को सभी पापों से मुक्ति मिलती है। देवशयनी एकादशी व्रत (Devshayani Ekadashi Vrat Katha) में कथा का पाठ न करने से पूजा पूर्ण नहीं होती है। इसलिए कथा जरूर पढ़नी चाहिए। ऐसे आइए पढ़ते हैं देवशयनी एकादशी व्रत कथा।

By Kaushik Sharma Edited By: Kaushik Sharma Updated: Mon, 15 Jul 2024 03:13 PM (IST)
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Devshayani Ekadashi 2024 Date: देवशयनी एकादशी व्रत कथा

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Devshayani Ekadashi 2024 Vrat Katha: एकादशी तिथि जगत के पालनहार भगवान विष्णु को समर्पित है। साल में कुल 24 एकादशी होती हैं, जिन्हें अलग-अलग नामों से जाना जाता है। आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी को देवशयनी एकादशी कहा जाता है। धार्मिक मान्यता है कि इस दिन विधिपूर्वक श्री हरि और मां लक्ष्मी की पूजा करने से साधक को शुभ फल की प्राप्ति होती है।

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देवशयनी एकादशी व्रत कथा (Devshayani Ekadashi Vrat Katha)

पौराणिक कथा के अनुसार, सतयुग में मांधाता नामक एक चक्रवर्ती राजा का राज था। उनके राज में प्रजा बेहद सुखी थी। एक बार मांधाता के राज्य में तीन वर्ष तक बारिश नहीं हुई, जिसकी वजह से अकाल पड़ा गया था। हर तरफ त्रासदी का माहौल बन गया था। इस कारण लोग पिंडदान, हवन, यज्ञ कथा और व्रत समेत आदि कार्य करने लगे। प्रजा ने राजा मांधाता को इस बारे में विस्तार से बताया।

राज्य में अकाल को देखकर राजा अधिक चिंतित हुआ। उन्हें लगता था कि उनसे आखिर ऐसा कौन सा पाप हो गया, जिसके कारण इतनी कठोर सजा मिल रही है। इस समस्या से निजात पाने के लिए राजा सेना को लेकर जंगल की ओर चल दिए। इस दौरान वह लोग ब्रह्माजी के पुत्र अंगिरा ऋषि के आश्रम पहुंचे गए। ऋषिवर ने राजा का कुशलक्षेम और जंगल में आने की वजह पूछी।

राजा ने कहा कि मैं पूरी निष्ठा से धर्म का पालन करता हूं। इसके बाद भी राज्य में ऐसा अकाल क्यों पड़ रहा है? आप मेरी इस समस्या का समाधान करें। मांधाता की बात को सुनकर महर्षि अंगिरा ने कहा कि यह सतयुग है। ऐसे में छोटे से पाप का बड़ा दंड का सामना करना पड़ता है। उन्होंने कहा कि आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी का व्रत करें। इस व्रत को करने से राज्य में बारिश जरूर होगी।

इसके बाद राजा ने एकादशी व्रत को किया। इस व्रत के पुण्य-प्रताप से राज्य में मूसलधार वर्षा हुई। ब्रह्म वैवर्त पुराण में देवशयनी एकादशी के विशेष महत्व का वर्णन किया गया है। देवशयनी एकादशी के व्रत से व्यक्ति की समस्त मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।

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अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।