Devshayani Ekadashi पर तुलसी से जुड़ी ये गलतियां पड़ सकती हैं भारी, जरूर रखें ध्यान
हिंदू धर्म में तुलसी को देवी-देवताओं की तरह ही पूजनीय माना गया है। साथ ही इसमें धन की देवी लक्ष्मी का वास माना जाता है। एकादशी तिथि पर तुलसी का महत्व और भी बढ़ जाता है क्योंकि तुलसी भगवान विष्णु को अति प्रिय मानी गई है। ऐसे में इस दिन पर तुलसी से जुड़े कुछ नियमों का खास ख्याल रखना चाहिए अन्यथा मां लक्ष्मी रुष्ट हो सकती हैं।
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। देवशयनी एकादशी को साल की सबसे महत्वपूर्ण एकादशी में से एक माना जाता है, जो हर साल आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष में मनाई जाती है। ऐसा माना जाता है कि इस एकादशी से भगवान विष्णु चार महीने के लिए शयनकाल में चले जाते हैं, जिसके बाद 4 माह तक यानी देवउठनी एकादशी तक सभी मांगलिक कार्य बंद हो जाते हैं।
भूलकर भी न करें ये काम
ऐसा माना जाता है कि एकादशी तिथि पर तुलसी माता, भगवान विष्णु के के लिए निर्जला व्रत रखती हैं। इसलिए एकादशी पर तुलसी में जल अर्पित नहीं करना चाहिए। साथ ही इस दिन पर तुलसी के पत्ते भी नहीं तोड़ने चाहिए।
नाराज होंगी मां लक्ष्मी
यदि आप श्री हरि की कृपा के पात्र बने रहना चाहते हैं, तो इसके लिए एकादशी पर तुलसी के आस-पास साफ-सफाई का विशेष ध्यान रखें। तुलसी के आस-पास भूल से भी जूते-चप्पल या कूड़ेदान आदि भी नहीं रखना चाहिए। वरना इससे लक्ष्मी माता नाराज हो सकती हैं।
बढ़ सकती है नकारात्मकता
तुलसी को कभी भी गंदे या फिर जूठे हाथों से नहीं छूना चाहिए। एकादशी तिथि पर स्नान करने के बाद ही तुलसी को स्पर्श करें। साथ ही एकादशी तिथि पर तुलसी की पूजा करते समय भूल से भी काले कपड़े न पहनें। ऐसा करने से नकारात्मकता बढ़ सकती है।
यह भी पढ़ें - Devshayani Ekadashi 2024: देवशयनी एकादशी व्रत का पारण न करने से पूजा रहेगी अधूरी, जानें समय और विधि
मिलेगी विष्णु जी की कृपा
एकादशी तिथि पर भगवान विष्णु का भोग तुलसी के बिना अधूरा माना जाता है। ऐसे में विष्णु जी को तुलसी अर्पित करने के लिए उसे एक दिन पहले ही तोड़ कर रख लें। इसके बाद शाम के समय तुलसी के पास घी का दीपक जलाएं और तुलसी मंत्रों का जाप करें। इससे साधक को तुलसी के साथ-साथ भगवान विष्णु की भी कृपा प्राप्त होती है।
अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।