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Ekadashi Vrat 2024: एकादशी के दिन चावल का सेवन क्यों वर्जित है? जानें इसका धार्मिक और वैज्ञानिक कारण

सनातन धर्म में एकादशी तिथि का बड़ा ही धार्मिक महत्व है। इस दिन भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की पूजा की जाती है। एकादशी के दिन चावल का सेवन करना वर्जित है। जो इस लोग दिन भोजन में चावल को शामिल करते हैं। शास्त्रों के अनुसार वो लोग नरकगामी कहलाए जाते हैं और चावल को खाना मांस के सेवन के बराबर माना जाता है।

By Kaushik SharmaEdited By: Kaushik SharmaUpdated: Sun, 21 Jan 2024 01:11 PM (IST)
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Ekadashi Vrat 2024: एकादशी के दिन चावल का सेवन क्यों वर्जित है? जानें इसका धार्मिक और वैज्ञानिक कारण

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Ekadashi Vrat 2024: सनातन धर्म में एकादशी तिथि का बड़ा ही धार्मिक महत्व है। इस शुभ अवसर पर जगत के पालनहार भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की पूजा-अर्चना की जाती है। इस दिन व्रत करने से साधक को शुभ फल की प्राप्ति होती है। एकादशी व्रत की शुरुआत सूर्योदय से होती है और इसके अगले दिन यानी द्वादशी तिथि को समाप्त होता है। मान्यता है कि जो साधक एकादशी के दिन भगवान विष्णु की पूजा और व्रत करते हैं, उनके सभी दुखों का अंत होता है।

एकादशी के दिन चावल का सेवन करना वर्जित है। जो लोग इस दिन भोजन में चावल को शामिल करते हैं। शास्त्रों के अनुसार, वो लोग नरकगामी कहलाए जाते हैं और चावल को खाना मांस के सेवन के बराबर माना जाता है। चलिए जानते हैं एकादशी के दिन चावल का सेवन न करने का क्या रहस्य है।

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एकादशी के दिन चावल न खाने का धार्मिक कारण

मान्यता के अनुसार, एकादशी के दिन चावल का सेवन करने से इंसान योनि से च्युत होकर उसको अगला जन्म रेंगने वाले जीव की योनि में मिलता है। विष्णु पुराण में जिक्र किया गया है कि एकादशी के दिन चावल खाने से पुण्य फल की प्राप्ति नहीं होती है। क्योंकि चावल को हविष्य अन्न (देवताओं का भोजन) कहा जाता है। यही कारण है कि देवी-देवताओं के सम्मान में एकादशी तिथि पर चावल का सेवन करना वर्जित है।

एकादशी के दिन चावल न खाने का वैज्ञानिक कारण

साइंस के अनुसार, चावल में पानी की मात्रा अधिक पाई जाती है। पानी पर चंद्रमा का अधिक प्रभाव होता है। एकादशी के दिन चावल का सेवन करने से मन चंचल हो सकता है, जिसकी वजह से आपका ध्यान पूजा-अर्चना में नहीं लग पाएगा। इसलिए इस दिन चावल खाने की मनाही है।

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