Ekadashi Vrat Niyam: एकादशी पर गलती से खा लिए हैं चावल? तो बुरे परिणामों से बचने के लिए करें ये काम
हिंदू शास्त्रों में एकादशी व्रत के कई नियमों का भी वर्णन किया गया है। इन्हीं में से एक नियम है एकादशी के दिन किसी भी रूप में चावल का सेवन न करना। माना जाता है कि ऐसा करने से व्यक्ति को नकारात्मक परिणाम झेलने पड़ सकते हैं। लेकिन अगर आपने गलती से चावल खा लिए हैं तो इन कार्यों द्वारा बुरे परिणामों से बच सकते हैं।
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Ekadashi Vrat 2024: एकादशी तिथि का हिंदू धर्म में विशेष महत्व बताया गया है। माना जाता है कि एकादशी का व्रत करने से साधक पर भगवान विष्णु की कृपा बनी रहती है, जिससे जीवन में सुख-समृद्धि का वास भी बना रहता है। पंचांग के अनुसार हर महीने की शुक्ल और कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि पर एकादशी का व्रत किया जाता है और विधि-विधान पूर्वक भगवान विष्णु की पूजा की जाती है।
क्या है मान्यता
एक पौराणिक कथा के अनुसार, प्राचीन काल में महर्षि मेधा ने एक बार यज्ञ में आए हुए एक भिक्षुक का अपमान किया। जिस कारण माता दुर्गा उनसे रुष्ट हो गईं। ऐसे में माता को मनाने के लिए महर्षि मेधा ने अपने शरीर का त्याग कर दिया। शरीर त्यागने के बाद उनके शरीर के अंश धरती में समा गए। कुछ ही दिन बाद उसी स्थान पर महर्षि मेधा चावल और जौ के रूप में उत्पन्न हुए।
उनके इस त्याग से माता प्रसन्न हुईं और उन्होंने महर्षि को यह आशीष दिया कि उनके अंग भविष्य में अन्न के रूप में धरती से उगेंगे। माना जाता है कि जिस दिन महर्षि मेधा धरती में समाए थे, उस दिन एकादशी थी तिथि थी। इसलिए एकादशी के दिन चावल का सेवन करना महर्षि मेधा के मांस और खून के सेवन करने के समान माना गया है। यही वजह है कि एकादशी पर चावल खाने से मनाही होती है।
करें ये काम
अगर आपके भूल से एकादशी तिथि पर चावल खा लिए हैं, तो इसके लिए सर्वप्रथम भगवान विष्णु का ध्यान करें और उनसे क्षमा याचना करें। साथ ही प्रण लें कि आगे से आप ऐसी गलती नहीं करेंगे।कई मान्यताओं के अनुसार, पुरी में स्थित जगन्नाथ मंदिर में दर्शन करने से भी एकादशी के दिन चावल खाने का दोष समाप्त हो सकता है। इसके लिए जरूरी नहीं है कि एकादशी तिथि पर ही मंदिर जाया जाए। आपको अपने जीवन में जब भी समय मिले, आप जगन्नाथ मंदिर के दर्शन कर इस भूल के लिए क्षमा मांग सकते हैं। इससे एकादशी पर चावल खाने से उत्पन्न दोष खत्म हो जाता है।
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