Falgun Ekadashi 2024 Date: फाल्गुन माह में कब है विजया एकादशी और रंगभरी एकादशी? नोट करें शुभ मुहूर्त
एकादशी तिथि पर जगत के पालनहार भगवान विष्णु जी की विधिपूर्वक पूजा-अर्चना और व्रत किया जाता है। मान्यता है कि इस दिन उपवास रखने से जीवन में शांति और आध्यात्मिक उर्जा आती है और भगवान श्री हरि का आशीर्वाद प्राप्त होता है। फाल्गुन माह की शुरुआत 25 फरवरी से होगी। इस माह में विजया एकादशी और रंगभरी एकादशी व्रत है।
By Kaushik SharmaEdited By: Kaushik SharmaUpdated: Sat, 24 Feb 2024 09:58 AM (IST)
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Falgun Ekadashi 2024 Date: सनातन धर्म में एकादशी तिथि का अधिक महत्व है। प्रत्येक महीने में एकादशी दो बार आती है। एक कृष्ण पक्ष में और दूसरी शुक्ल पक्ष में। इस खास अवसर पर जगत के पालनहार भगवान विष्णु जी की पूजा-अर्चना और व्रत किया जाता है। मान्यता है कि इस दिन उपवास रखने से जीवन में शांति और आध्यात्मिक उर्जा आती है और भगवान श्री हरि का आशीर्वाद प्राप्त होता है। फाल्गुन माह की शुरुआत 25 फरवरी से होगी । इस माह में विजया एकादशी और रंगभरी एकादशी व्रत है। आइए आपको इस लेख में बताएंगे फाल्गुन माह की एकादशी डेट, शुभ मुहूर्त और पूजा विधि के बारे में।
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फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी को विजया एकादशी के नाम से जाना जाता है। पंचांग के अनुसार, विजया एकादशी तिथि की शुरुआत 06 मार्च को सुबह 06 बजकर 30 मिनट से होगी और इसके अगले दिन यानी 07 मार्च को सुबह 04 बजकर 13 मिनट पर तिथि का समापन होगा। इस बार विजया एकादशी व्रत 06 मार्च को है।
रंगभरी एकादशी 2024 डेट और शुभ मुहूर्तफाल्गुन माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी को रंगभरी एकादशी के नाम से जाना जाता है। पंचांग के अनुसार, रंगभरी एकादशी तिथि का आरंभ 20 मार्च को रात 12 बजकर 21 मिनट से होगा और इसके अगले दिन यानी 21 मार्च को सुबह 02 बजकर 22 मिनट पर तिथि का समापन होगा। व्रती 20 मार्च को भगवान श्रीहरि विष्णु की पूजा-व्रत कर सकते हैं।इस एकादशी को आमलकी एकादशी के नाम से भी जाना जाता है।
एकादशी पूजा विधि
- एकादशी के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान कर साफ वस्त्र धारण करें।
- अब मंदिर की सफाई करें और गंगाजल का छिड़काव कर शुद्ध करें।
- चौकी पर पीला या लाल कपड़ा बिछाकर भगवान विष्णु की प्रतिमा स्थापित करें।
- दीया जलाएं, पीले चंदन और हल्दी कुमकुम से तिलक करें।
- इसके बाद विष्णु चालीसा का पाठ और आरती करें।
- अब खीर, फल और मिठाई का भोग लगाएं। भोग में तुलसी दल को शामिल करें।
- इसके पश्चात लोगों में प्रसाद का वितरण करें।