Jaya Ekadashi 2024: जया एकादशी की पूजा में इन मंत्रों का जरूर करें जाप, मनचाही मनोकामनाएं होंगी पूरी
जया एकादशी के दिन भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की विधिपूर्वक पूजा की जाती है। धार्मिक मान्यता है कि ऐसा करने से साधक के सभी कार्य सफल होते हैं। साथ ही जीवन में व्याप्त सभी परेशानियों से छुटकारा मिलता है। माघ माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को जया एकादशी के नाम से जाना जाता है। इस बार जया एकादशी का व्रत 20 फरवरी को रखा जाएगा।
By Kaushik SharmaEdited By: Kaushik SharmaUpdated: Sat, 17 Feb 2024 01:46 PM (IST)
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Jaya Ekadashi 2024 Mantra: एकादशी तिथि जगत के पालनहार भगवान विष्णु को समर्पित है। हर महीने के कृष्ण और शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि पर एकादशी व्रत किया जाता है। साथ ही भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की विधिपूर्वक पूजा की जाती है। धार्मिक मान्यता है कि ऐसा करने से साधक के सभी कार्य सफल होते हैं और जीवन में व्याप्त सभी परेशानियों से छुटकारा मिलता है। माघ माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को जया एकादशी के नाम से जाना जाता है। इस बार जया एकादशी का व्रत 20 फरवरी को रखा जाएगा। यदि आप भी भगवान श्रीहरि की कृपा प्राप्त करना चाहते हैं, तो जया एकादशी की पूजा के दौरान इन मंत्रों का जाप जरूर करें। इन विशेष मंत्रों के जाप से इंसान की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं।
भगवान विष्णु के मंत्र
शान्ताकारं भुजगशयनं पद्मनाभं सुरेशंविश्वाधारं गगनसदृशं मेघवर्ण शुभाङ्गम्।
लक्ष्मीकान्तं कमलनयनं योगिभिर्ध्यानगम्यम्वन्दे विष्णुं भवभयहरं सर्वलोकैकनाथम्॥
विष्णु गायत्री मंत्र
ॐ श्री विष्णवे च विद्महे वासुदेवाय धीमहि।तन्नो विष्णुः प्रचोदयात्॥यह भी पढ़ें: Jaya Ekadashi 2024: पापों से मुक्ति दिला सकता है जया एकादशी का व्रत, जानिए महत्व और पूजा विधि
विष्णु मंगल मंत्रमङ्गलम् भगवान विष्णुः, मङ्गलम् गरुणध्वजः।मङ्गलम् पुण्डरी काक्षः, मङ्गलाय तनो हरिः॥दुख नाशक मंत्रकृष्णाय वासुदेवाय हरये परमात्मने ।प्रणत क्लेश नाशाय गोविन्दाय नमो नमः।धन्वंतरि मंत्रॐ नमो भगवते महासुदर्शनाय वासुदेवाय धन्वंतराये:अमृतकलश हस्ताय सर्वभय विनाशाय सर्वरोगनिवारणाय
त्रिलोकपथाय त्रिलोकनाथाय श्री महाविष्णुस्वरूपश्री धनवंतरी स्वरूप श्री श्री श्री औषधचक्र नारायणाय नमः॥ॐ नमो भगवते धन्वन्तरये अमृत कलश हस्ताय सर्व आमयविनाशनाय त्रिलोकनाथाय श्री महाविष्णवे नमः ||धन-समृद्धि मंत्रॐ भूरिदा भूरि देहिनो , मा दभ्रं भूर्या भर। भूरि घेदिन्द्र दित्ससि ।ॐ भूरिदा त्यसि श्रुत: पुरूत्रा शूर वृत्रहन्। आ नो भजस्व राधसि ।
लक्ष्मी विनायक मंत्रदन्ता भये चक्र दरो दधानं,कराग्रगस्वर्णघटं त्रिनेत्रम्।धृता ब्जया लिंगितमब्धि पुत्रया,लक्ष्मी गणेशं कनकाभमीडे।।विष्णु के पंचरूप मंत्रॐ अं वासुदेवाय नम:।।ॐ आं संकर्षणाय नम:।।ॐ अं प्रद्युम्नाय नम:।।ॐ अ: अनिरुद्धाय नम:।।ॐ नारायणाय नम:।।ॐ ह्रीं कार्तविर्यार्जुनो नाम राजा बाहु सहस्त्रवान। यस्य स्मरेण मात्रेण ह्रतं नष्टं च लभ्यते।।
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