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Nirjala Ekadashi 2024: आखिर क्यों निर्जला एकादशी को कहा जाता है भीमसेनी एकादशी? पढ़ें इससे जुड़ी कथा

धार्मिक मान्यता है कि निर्जला एकादशी पर श्री हरि की उपासना करने से घर में खुशियों का आगमन होता है। साथ ही प्रभु की कृपा प्राप्त होती है। निर्जला एकादशी को भीमसेनी एकादशी (Bhimseni Ekadashi 2024) भी कहा जाता है। क्या आप जानते हैं कि आखिर क्यों निर्जला एकादशी को भीमसेनी एकादशी के नाम से जाना जाता है? अगर नहीं पता तो आइए जानते हैं इसके बारे में विस्तार से।

By Kaushik Sharma Edited By: Kaushik Sharma Updated: Wed, 12 Jun 2024 10:59 AM (IST)
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Nirjala Ekadashi 2024: आखिर क्यों निर्जला एकादशी को कहा जाता है भीमसेनी एकादशी? पढ़ें इससे जुड़ी कथा
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Nirjala Ekadashi 2024: सनातन धर्म में एकादशी के दिन जगत के पालनहार भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की विशेष पूजा-अर्चना की जाती है। साथ ही जीवन में सुख-शांति की प्राप्ति के लिए व्रत भी किया जाता है। हर माह में 2 बार एकादशी व्रत किया जाता है। एक कृष्ण और दूसरा शुक्ल पक्ष में। ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष में पड़ने वाली निर्जला एकादशी 18 जून (Nirjala Ekadashi 2024 Date) को है। 

 

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निर्जला एकादशी को क्यों कहा जाता है भीमसेनी एकादशी? (Nirjala Ekadashi 2024 Katha)

पौराणिक कथा के अनुसार, पांडवों में अधिक शक्तिशाली भीमसेन थे। उनको स्वादिष्ट भोजन का बहुत शौक था। उनसे अपनी भूख बर्दाश्त नहीं होती थी। इसलिए वह कभी भी एकादशी व्रत नहीं रख पाते थे। वहीं, पांडवों में भीम के अलावा सभी भाई और द्रौपदी सभी एकादशी व्रत को सच्चे मन से रखते थे। एक बार भीम अपनी इस कमजोरी के कारण परेशान हो गए। उनको ऐसा लगता था कि वह एकादशी व्रत नहीं कर पा रहे है, जिसकी वजह से श्री हरि का अपमान हो रहा है। इस समस्या का समाधान के लिए भीम महर्षि व्यास के पास पहुंच गए। महर्षि ने भीम को एकादशी व्रत अवश्य करने के लिए कहा। साथी यह भी कहा कि ज्येष्ठ माह माह में पड़ने वाली निर्जला एकादशी व्रत रखने से जातक को सभी 24 एकादशी व्रत करने से शुभ फल की प्राप्ति होती है। इसी वजह से निर्जला एकादशी व्रत को भीमसेनी एकादशी व्रत के नाम से जाना जाता है।

निर्जला एकादशी 2024 डेट और शुभ मुहूर्त (Nirjala Ekadashi 2024 Date and Shubh Muhurat)

पंचांग के अनुसार, ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि की शुरुआत 17 जून को सुबह 04 बजकर 43 मिनट से होगी। वहीं इस तिथि का समापन 18 जून को सुबह 06 बजकर 24 मिनट पर होगा। ऐसे में निर्जला एकादशी व्रत 18 जून को किया जाएगा।

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अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।