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Indira Ekadashi 2024: इस स्तुति के बिना अधूरी है इंदिरा एकादशी की पूजा, खुशियों से भर जाएगा जीवन

हर माह के कृष्ण और शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि पर व्रत किया जाता है। पंचांग के अनुसार आश्विन माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी को इंदिरा एकादशी के नाम से जाना जाता है। इस बार यह एकादशी 28 सितंबर (Indira Ekadashi 2024) को है। मान्यता है कि इस दिन विष्णु स्तुति का पाठ न करने से साधक शुभ फल की प्राप्ति से वंचित रहता है।

By Kaushik Sharma Edited By: Kaushik Sharma Updated: Sat, 21 Sep 2024 05:57 PM (IST)
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Lord Vishnu: इंदिरा एकादशी व्रत से दुख होंगे दूर
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। सनातन धर्म में सभी एकादशी तिथि को महत्वपूर्ण माना जाता है। मान्यता है कि एकादशी व्रत करने से साधक को पुण्य फल प्राप्त होता है। वहीं, इस दिन भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की पूजा करने से जीवन के सभी तरह के पापों से छुटकारा मिलता है। ऐसे में आश्विन माह की इंदिरा एकादशी (Indira Ekadashi 2024) के दिन पूजा के दौरान विष्णु स्तुति का पाठ जरूर करें। मान्यता है कि इसका पाठ करने से साधक का जीवन खुशियों से भर जाता है और विष्णु जी की कृपा प्राप्त होती है।

इंदिरा एकादशी डेट और शुभ मुहूर्त (Indira Ekadashi 2024 Date and Shubh Muhurat)

पंचांग के अनुसार, आश्विन माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि 27 सितंबर (Indira Ekadashi 2024 Shubh Muhurat) को दोपहर 01 बजकर 20 मिनट पर शुरू होगी। वहीं, इसका समापन 28 सितंबर को दोपहर 02 बजकर 49 मिनट पर होगा। ऐसे में 28 सितंबर को इंदिरा एकादशी व्रत किया जाएगा। इसके अगले दिन 29 सितंबर को सुबह 06 बजकर 13 मिनट से लेकर 08 बजकर 36 मिनट तक पारण करने का शुभ मुहूर्त है।

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॥ विष्णु स्तुति॥

शांताकारं भुजगशयनं पद्मनाभं सुरेशम्,

विश्वाधारं गगनसदृशं मेघवर्णं शुभाङ्गम्।।

लक्ष्मीकान्तं कमलनयनं योगिभिर्ध्यानगम्यम्,

वन्दे विष्णुं भवभयहरं सर्वलोकैकनाथम्।।

यं ब्रह्मा वरुणैन्द्रु रुद्रमरुत: स्तुन्वानि दिव्यै स्तवैवेदे:।

सांग पदक्रमोपनिषदै गार्यन्ति यं सामगा:।

ध्यानावस्थित तद्गतेन मनसा पश्यति यं योगिनो

यस्यातं न विदु: सुरासुरगणा दैवाय तस्मै नम:।।

॥श्री नारायण स्तोत्र॥

नारायण नारायण जय गोपाल हरे॥

करुणापारावारा वरुणालयगम्भीरा ॥

घननीरदसंकाशा कृतकलिकल्मषनाशा॥

यमुनातीरविहारा धृतकौस्तुभमणिहारा ॥

पीताम्बरपरिधाना सुरकल्याणनिधाना॥

मंजुलगुंजा गुं भूषा मायामानुषवेषा॥

राधाऽधरमधुरसिका रजनीकरकुलतिलका॥

मुरलीगानविनोदा वेदस्तुतभूपादा॥

बर्हिनिवर्हापीडा नटनाटकफणिक्रीडा॥

वारिजभूषाभरणा राजिवरुक्मिणिरमणा॥

जलरुहदलनिभनेत्रा जगदारम्भकसूत्रा॥

पातकरजनीसंहर करुणालय मामुद्धर॥

अधबकक्षयकंसारेकेशव कृष्ण मुरारे॥

हाटकनिभपीताम्बर अभयंकुरु मेमावर॥

दशरथराजकुमारा दानवमदस्रंहारा॥

गोवर्धनगिरिरमणा गोपीमानसहरणा॥

शरयूतीरविहारासज्जनऋषिमन्दारा॥

विश्वामित्रमखत्रा विविधपरासुचरित्रा॥

ध्वजवज्रांकुशपादा धरणीसुतस्रहमोदा॥

जनकसुताप्रतिपाला जय जय संसृतिलीला॥

दशरथवाग्घृतिभारा दण्डकवनसंचारा॥

मुष्टिकचाणूरसंहारा मुनिमानसविहारा॥

वालिविनिग्रहशौर्यावरसुग्रीवहितार्या॥

मां मुरलीकर धीवर पालय पालय श्रीधर॥

जलनिधिबन्धनधीरा रावणकण्ठविदारा॥

ताटीमददलनाढ्या नटगुणगु विविधधनाढ्या॥

गौतमपत्नीपूजन करुणाघनावलोकन॥

स्रम्भ्रमसीताहारा साकेतपुरविहारा॥

अचलोद्घृतिद्घृञ्चत्कर भक्तानुग्रहतत्पर॥

नैगमगानविनोदा रक्षःसुतप्रह्लादा॥

भारतियतिवरशंकर नामामृतमखिलान्तर॥

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अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।