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Kamika Ekadashi 2024: कामिका एकादशी व्रत इस कथा के बिना है अधूरा, सभी मनोकामनाएं होंगी पूरी

सावन माह के कृष्ण पक्ष में पड़ने वाली एकादशी को कामिका एकादशी के नाम से जाना जाता है। धार्मिक मत है कि इस व्रत को करने से जातक को सभी पापों से छुटकारा मिलता है और जीवन में खुशियों का आगमन होता है। इस व्रत की पूजा के दौरान कथा (Kamika Ekadashi Vrat Katha) का पाठ करना जरूर करना चाहिए।

By Kaushik Sharma Edited By: Kaushik Sharma Updated: Tue, 30 Jul 2024 05:47 PM (IST)
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Kamika Ekadashi Ki Vrat Katha: कामिका एकादशी की व्रत कथा

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Kamika Ekadashi 2024 Vrat Katha: सनातन धर्म में एकदशी तिथि को अधिक महत्वपूर्ण माना जाता है। हर माह कृष्ण और शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि के अगले दिन एकादशी मनाई जाती है। पंचांग के अनुसार, इस साल सावन माह के कृष्ण पक्ष में पड़ने वाली कामिका एकादशी 31 जुलाई (Kamika Ekadashi 2024 Date) को है। इस शुभ तिथि पर भगवान विष्णु और धन की देवी मां लक्ष्मी की पूजा-अर्चना की जाती है। साथ ही जीवन में सफलता प्राप्ति के लिए व्रत भी किया जाता है। मान्यता है कि ऐसा करने से साधक को हर क्षेत्र में सफलता प्राप्त होती है। साथ ही सभी सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं।

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कामिका एकादशी की व्रत कथा (Kamika Ekadashi Vrat Katha)

पौराणिक कथा के अनुसार के अनुसार, प्राचीन समय में एक गांव में पहलवान रहता था। वह दिल का बेहद अच्छा इंसान था, लेकिन उसका स्वभाव बहुत क्रोध करने वाला था। इसलिए उसकी कभी-कभी किसी से बहस हो जाती थी। एक बार उसने ब्राह्मण से झगड़ा कर लिया। वह सामने वाले पर इतना क्रोधित हो गया कि उसने ब्राह्मण की हत्या कर दी, जिसकी वजह से पहलवान पर ब्राह्मण हत्या का दोष लग गया। इस दोष से बचाव और पश्चाताप के लिए उसके अंतिम संस्कार में शामिल हुआ, लेकिन पंडितों ने पहलवान को वहां से भगा दिया।

इसके बाद पंडितों ने ब्राह्मण की हत्या का दोषी मानकर पहलवान का सामाजिक बहिष्कार कर दिया। साथ ही ब्राह्मणों ने पहलवान के घर के सभी तरह के धार्मिक कार्य करने से इंकार कर दिया।  

इसके बाद पहलवान बेहद परेशान हुआ और उसने एक साधु से पूछा कि वह कैसे ब्राह्मण की हत्या के दोष से मुक्त हो सकता है? ऐसे में साधु ने सावन के माह में पड़ने वाली कामिका एकादशी व्रत करने की सलाह दी। पहलवान ने कामिका एकादशी व्रत का विधि विधान से पालन किया।

इसके बाद एक बार पहलवान रात को श्रीहरि की मूर्ति को पास में रख कर सो रहा था। उसे नींद में भगवान विष्णु के दर्शन हुए और उसने सपने में देखा कि भगवान उसे ब्राह्मण हत्या के दोष से मुक्त कर दिया है। तभी से कामिका एकादशी व्रत की शुरुआत हुई।

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अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्नमाध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।