Papankusha Ekadashi के दिन इन मंत्रों के जप से जीवन को बनाएं खुशहाल, कभी नहीं होगी धन की कमी
सनातन धर्म में जीवन के दुख और संकट को दूर करने के लिए एकादशी व्रत को शुभ माना जाता है। हर माह माह के कृष्ण और शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि पर यह व्रत किया जाता है। धार्मिक मत है कि एकादशी पर सच्चे मन से पूजा और दान करने से जातक का जीवन खुशहाल होता है। साथ ही मंत्रो का जप भी करना चाहिए।
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। पंचांग के अनुसार, आश्विन माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को पापांकुशा एकादशी के नाम से जाना जाता है। इस बार यह व्रत 13 अक्टूबर (Papankusha Ekadashi 2024 Date) को किया जाएगा। इस शुभ तिथि पर जगत के जगत के पालनहार भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की पूजा-अर्चना करने का विधान है। यदि आप भी अपने जीवन में सुख-समृद्धि की प्राप्ति चाहते हैं, तो पापांकुशा एकादशी की पूजा के दौरान इस लेख में दिए मंत्रों का जप करें। ऐसा करने से दुख और संकट से छुटकारा मिलेगा। साथ ही जीवन में कभी कभी भी धन की कमी नहीं होगी।
मां लक्ष्मी के मंत्र
1. या रक्ताम्बुजवासिनी विलासिनी चण्डांशु तेजस्विनी।या रक्ता रुधिराम्बरा हरिसखी या श्री मनोल्हादिनी॥या रत्नाकरमन्थनात्प्रगटिता विष्णोस्वया गेहिनी।
सा मां पातु मनोरमा भगवती लक्ष्मीश्च पद्मावती ॥यह भी पढ़ें: Papankusha Ekadashi 2024: कब है आश्विन माह की पापांकुशा एकादशी? जानें पूजन विधि
2. ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं त्रिभुवन महालक्ष्म्यै अस्मांक दारिद्र्य नाशय प्रचुर धन देहि देहि क्लीं ह्रीं श्रीं ॐ ।3. ॐ श्री महालक्ष्म्यै च विद्महे विष्णु पत्न्यै च धीमहि तन्नो लक्ष्मी प्रचोदयात् ॐ ।।4. ॐ सर्वाबाधा विनिर्मुक्तो, धन धान्यः सुतान्वितः।मनुष्यो मत्प्रसादेन भविष्यति न संशयः ॐ ।।ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं महालक्ष्मयै नम:॥
5. ॐ ह्रीं क्ष्रौं श्रीं लक्ष्मी नृसिंहाय नमः ।ॐ क्लीन क्ष्रौं श्रीं लक्ष्मी देव्यै नमः ।।6. ॐ ह्री श्रीं क्रीं श्रीं क्रीं क्लीं श्रीं महालक्ष्मी मम गृहे धनं पूरय पूरय चिंतायै दूरय दूरय स्वाहा ।7. ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं ऐं सौं ॐ ह्रीं क ए ई ल ह्रीं ह स क ह ल ह्रीं सकल ह्रीं सौं ऐं क्लीं ह्रीं श्री ॐ।8. ॐ यक्षाय कुबेराय वैश्रवणाय धनधान्याधिपतयेधनधान्यसमृद्धिं मे देहि दापय स्वाहा॥
9. ऊँ हिमकुन्दमृणालाभं दैत्यानां परमं गुरुम सर्वशास्त्रप्रवक्तारं भार्गवं प्रणमाम्यहम ।।10. लक्ष्मी ध्यानमसिन्दूरारुणकान्तिमब्जवसतिं सौन्दर्यवारांनिधिं,कॊटीराङ्गदहारकुण्डलकटीसूत्रादिभिर्भूषिताम् ।हस्ताब्जैर्वसुपत्रमब्जयुगलादर्शंवहन्तीं परां,आवीतां परिवारिकाभिरनिशं ध्याये प्रियां शार्ङ्गिणः ॥भूयात् भूयो द्विपद्माभयवरदकरा तप्तकार्तस्वराभा,
रत्नौघाबद्धमौलिर्विमलतरदुकूलार्तवालेपनाढ्या ।नाना कल्पाभिरामा स्मितमधुरमुखी सर्वगीर्वाणवनद्या,पद्माक्षी पद्मनाभोरसिकृतवसतिः पद्मगा श्री श्रिये वः ॥वन्दे पद्मकरां प्रसन्नवदनां सौभाग्यदां भाग्यदां,हस्ताभ्यामभयप्रदां मणिगणैर्नानाविधैर्भूषिताम् ।भक्ताभीष्टफलप्रदां हरिहरब्रह्मादिभिस्सेवितां,पार्श्वे पङ्कजशङ्खपद्मनिधिभिर्युक्तां सदा शक्तिभिः ॥
यह भी पढ़ें: Papankusha Ekadashi 2024: इस दिन मनाई जाएगी एकादशी, जरूर करें विष्णु चालीसा का पाठअस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।