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Putrada Ekadashi 2024: इस कथा के बिना अधूरा है पुत्रदा एकादशी व्रत, संतान की होगी प्राप्ति

हर महीने में 2 बार एकादशी व्रत किया जाता है। सावन माह की पुत्रदा एकादशी का व्रत 16 अगस्त 2024 (Putrada Ekadashi 2024 Date) को किया जाएगा। धार्मिक मान्यता है कि पुत्रदा एकादशी व्रत करने से संतान प्राप्ति और बच्चे की तरक्की से जुड़ी सभी तरह की परेशानियों से मुक्ति मिलती है। यह व्रत बिना अधूरा कथा पाठ करने से अधूरा माना जाता है ।

By Kaushik Sharma Edited By: Kaushik Sharma Updated: Fri, 16 Aug 2024 11:19 AM (IST)
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Putrada Ekadashi Vrat: भगवान विष्णु को समर्पित है एकादशी व्रत

धर्म डेस्क,नई दिल्ली। Putrada Ekadashi 2024 Vrat Katha: एकादशी तिथि पर विधिपूर्वक भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की पूजा-अर्चना करने का विधान है। धार्मिक मत है कि पुत्रदा एकादशी व्रत करने से साधक को भगवान विष्णु की कृपा मिलती है और संतान की प्राप्ति होती है। साथ ही यश कीर्ति सुख और समृद्धि में भी वृद्धि होती है। अगर आप भी संतान की प्राप्ति चाहते हैं, तो सावन की पुत्रदा एकादशी का व्रत करें और पूजा के दौरान व्रत कथा का पाठ करें। इससे साधक के जीवन में खुशियों का आगमन होगा। आइए पढ़ते हैं पुत्रदा एकादशी व्रत कथा।

पुत्रदा एकादशी व्रत कथा (Putrada Ekadashi Vrat Katha)

प्राचीन कथा के अनुसार, द्वापर युग के शुरुआत में एक नगरी थी, जिसका नाम महिरूपति था। इस नगरी में महीजित नाम का राजा राज्य करता था। लेकिन उसको पुत्र न होने की वजह से राजा को राज्य सुखदायक नहीं लगता था।

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पुत्र की प्राप्ति के लिए राजा ने कई तरह के उपाय किए। लेकिन पुत्र सुख प्राप्त नहीं हुआ। एक बार राजा ने सभी ऋषि-मुनियों, सन्यासियों और विद्वानों को बुलाया और उनसे पुत्र प्राप्ति के उपाय पूछे। सभी ने राजा की समस्या को सुनकर कहा कि हे राजन तुमने पूर्व जन्म में सावन माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी के दिन तालाब से एक गाय को जल नहीं पीने दिया था, जिसकी वजह से गाय ने तुम्हे संतान न होने का श्राप दिया था। इसकी वजह से तुम पुत्र की प्राप्ति से वंचित हो।

इसके पश्चात ऋषि-मुनियों ने कहा कि अगर तुम सावन की एकादशी का व्रत विधिपूर्वक करोगे, तो इस श्राप से मुक्ति पा सकते हो। जिसके बाद तुम्हें संतान की प्राप्ति हो सकती है। इसके बाद राजा न सच्चे मन से सावन की एकादशी का व्रत किया। इस व्रत के पुण्य से राजा की पत्नी गर्भवती हुई और पुत्र को जन्म दिया। धार्मिक मान्यता है कि पुत्रदा एकादशी व्रत को करने से भगवान विष्णु प्रसन्न होते हैं और साधक की सभी मुरादें पूरी होती हैं।

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अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।