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Yogini Ekadashi 2024: योगिनी एकादशी पर इस विधि से करें भगवान विष्णु की पूजा, जीवन सदैव रहेगा खुशहाल

एकादशी पर भगवान विष्णु की पूजा होती है। धार्मिक मान्यता है कि ऐसा करने से घर में सुख समृद्धि का आगमन होता है और जातक का जीवन सदैव खुशहाल रहता है। ऐसा माना जाता है कि एकादशी पर भगवान विष्णु की विधिपूर्वक पूजा-अर्चना करने से इंसान को शुभ फल की प्राप्ति होती है। आइए जानते हैं योगिनी एकादशी पर श्री हरि की उपासना किस तरह करनी चाहिए?

By Kaushik Sharma Edited By: Kaushik Sharma Published: Sat, 29 Jun 2024 12:19 PM (IST)Updated: Sat, 29 Jun 2024 12:19 PM (IST)
Yogini Ekadashi 2024: योगिनी एकादशी पर श्री हरि को ऐसे करें प्रसन्न

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Yogini Ekadashi 2024 Shubh Muhurat: पंचांग के अनुसार, 02 जुलाई को योगिनी एकादशी व्रत किया जाएगा। एकादशी तिथि जगत के पालनहार भगवान विष्णु को समर्पित है। इस तिथि पर श्री हरि और मां लक्ष्मी की पूजा-अर्चना करने का विधान है। साथ ही पापों से मुक्ति पाने के लिए व्रत भी किया जाता है।

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योगिनी एकादशी 2024 डेट और शुभ मुहूर्त (Yogini Ekadashi 2024 Date and Shubh Muhurat)

पंचांग के अनुसार, आषाढ़ माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि की शुरुआत 01 जुलाई को सुबह 10 बजकर 26 मिनट पर शुरू होगी। वहीं, इसका समापन 02 जुलाई को सुबह 08 बजकर 42 मिनट पर पर होगा। ऐसे में 02 जुलाई को योगिनी एकादशी व्रत किया जाएगा।

योगिनी एकादशी पूजा विधि (Yogini Ekadashi Puja Vidhi)

योगिनी एकादशी के दिन ब्रह्म बेला में उठकर घर की साफ-सफाई करें।

इसके पश्चात स्नान कर पीले वस्त्र धारण करें, क्योंकि श्री हरि को पीला रंग प्रिय है।

अब मंदिर की सफाई करें और गंगाजल का छिड़काव कर शुद्ध करें।

भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की प्रतिमा विराजमान करें।

अब उन्हें चंदन और हल्दी कुमकुम से तिलक लगाएं और मां लक्ष्मी को श्रृंगार की चीजें अर्पित करें।

इसके बाद देशी घी का दीपक जलाकर आरती करें और विष्णु चालीसा का पाठ करें।

पूजा के दौरान श्री हरि के मंत्रों का जप करना फलदायी होता है।

अंत में फल, पंचामृत का भोग लगाएं। भोग में तुलसी दल को अवश्य शामिल

लोगों में प्रसाद का वितरण करें।

इन मंत्रों का करें जप

विष्णु गायत्री मंत्र

ॐ श्री विष्णवे च विद्महे वासुदेवाय धीमहि।

तन्नो विष्णुः प्रचोदयात्॥

विष्णु मंगल मंत्र

मङ्गलम् भगवान विष्णुः, मङ्गलम् गरुणध्वजः।

मङ्गलम् पुण्डरी काक्षः, मङ्गलाय तनो हरिः॥

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अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।


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