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Kamika Ekadashi पर पूजा के समय करें मंगलकारी मंत्रों का जप, दूर होंगे सभी दुख एवं कष्ट

कामिका एकादशी व्रत (Kamika Ekadashi 2024) भगवान विष्णु को समर्पित होता है। इस दिन जगत के पालनहार भगवान विष्णु संग मां लक्ष्मी की विधि-विधान से पूजा की जाती है। साथ ही एकादशी तिथि पर विशेष उपाय भी किए जाते हैं। इन उपायों को करने से सकल मनोरथ सिद्ध हो जाते हैं। साथ ही घर में सुख शांति एवं खुशहाली आती है।

By Pravin KumarEdited By: Pravin KumarUpdated: Mon, 29 Jul 2024 06:35 PM (IST)
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Lord Vishnu: कब मनाई जाएगी कामिका एकादशी ?

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Kamika Ekadashi 2024: हर वर्ष सावन महीने में कामिका एकादशी मनाई जाती है। यह पर्व सावन माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को मनाया जाता है। इस दिन जगत के पालनहार भगवान विष्णु संग मां लक्ष्मी की पूजा की जाती है। साथ ही भगवान विष्णु के निमित्त एकादशी व्रत रखा जाता है। इस व्रत के पुण्य-प्रताप से सकल मनोरथ सिद्ध हो जाते हैं। साथ ही सभी प्रकार के सांसारिक सुखों की प्राप्ति होती है।

इस अवसर पर साधक श्रद्धा भाव से जगत के पालनहार भगवान विष्णु संग मां लक्ष्मी की पूजा करते हैं। साथ ही उनके निमित्त एकादशी का व्रत रखते हैं। इस व्रत को करने से साधक की सभी मनोकामानाएं पूर्ण होती हैं। इसके अलावा, घर में खुशियों का आगमन होता है। अगर आप भी भगवान विष्णु की कृपा के भागी बनना चाहते हैं, तो कामिका एकादशी पर पूजा के समय इन मंत्रों का जप अवश्य करें।

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भगवान विष्णु के मंत्र

1. शान्ताकारम् भुजगशयनम् पद्मनाभम् सुरेशम्

विश्वाधारम् गगनसदृशम् मेघवर्णम् शुभाङ्गम्।

लक्ष्मीकान्तम् कमलनयनम् योगिभिर्ध्यानगम्यम्

वन्दे विष्णुम् भवभयहरम् सर्वलोकैकनाथम्॥

2. मङ्गलम् भगवान विष्णुः, मङ्गलम् गरुणध्वजः।

मङ्गलम् पुण्डरी काक्षः, मङ्गलाय तनो हरिः॥

3. जीवश्चाङ्गिर-गोत्रतोत्तरमुखो दीर्घोत्तरा संस्थित:

पीतोश्वत्थ-समिद्ध-सिन्धुजनिश्चापो थ मीनाधिप:।

सूर्येन्दु-क्षितिज-प्रियो बुध-सितौ शत्रूसमाश्चापरे

सप्ताङ्कद्विभव: शुभ: सुरुगुरु: कुर्यात् सदा मङ्गलम्।।

4. दन्ताभये चक्र दरो दधानं, कराग्रगस्वर्णघटं त्रिनेत्रम्।

धृताब्जया लिंगितमब्धिपुत्रया लक्ष्मी गणेशं कनकाभमीडे।।

5. ॐ भूरिदा भूरि देहिनो, मा दभ्रं भूर्या भर। भूरि घेदिन्द्र दित्ससि।

ॐ भूरिदा त्यसि श्रुत: पुरूत्रा शूर वृत्रहन्। आ नो भजस्व राधसि।

6. ध्याये न्नृसिंहं तरुणार्कनेत्रं सिताम्बुजातं ज्वलिताग्रिवक्त्रम्।

अनादिमध्यान्तमजं पुराणं परात्परेशं जगतां निधानम्।।

7. “ॐ नृम नरसिंहाय शत्रुबल विदीर्नाय नमः”

8. ॐ वज्रनखाय विद्महे तीक्ष्ण दंष्ट्राय धीमहि तन्नो नरसिंह प्रचोदयात।

9. ऊँ श्री त्रिपुराय विद्महे तुलसी पत्राय धीमहि तन्नो: तुलसी प्रचोदयात।

10. तुलसी श्रीर्महालक्ष्मीर्विद्याविद्या यशस्विनी।

धर्म्या धर्मानना देवी देवीदेवमन: प्रिया ।।

लभते सुतरां भक्तिमन्ते विष्णुपदं लभेत्।

तुलसी भूर्महालक्ष्मी: पद्मिनी श्रीर्हरप्रिया ।।

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अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।