Move to Jagran APP
5/5शेष फ्री लेख

Kamika Ekadashi 2024: कामिका एकादशी की पूजा के समय करें विष्णु स्तुति का पाठ, हर क्षेत्र में मिलेगी सफलता

सावन माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी को कामिका एकादशी के नाम से जाता है।यह एकादशी व्रत 31 जुलाई (Kamika Ekadashi 2024 Date) को किया जाएगा। इस दिन पूजा के दौरान भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की पूजा को प्रिय चीजों का भोग लगाकर सच्चे मन से विष्णु स्तुति का पाठ करना चाहिए। इससे जातक को हर क्षेत्र में सफलता प्राप्त होती है। आइए पढ़ते हैं विष्णु स्तुति।

By Kaushik Sharma Edited By: Kaushik Sharma Updated: Sat, 27 Jul 2024 02:30 PM (IST)
Hero Image
Kamika Ekadashi 2024: सावन में मनाई जाती है कामिका एकादशी

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Kamika Ekadashi 2024 Date: सावन माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को कामिका एकादशी मनाई जाती है। इस शुभ दिन पर जगत के पालनहार भगवान विष्णु एवं मां लक्ष्मी की पूजा की जाती है। मान्यता है कि ऐसा करने से जातक को सभी पापों से मुक्ति मिलती है। साथ ही मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। ऐसा माना जाता है कि एकादशी व्रत के दौरान विष्णु स्तुति का पाठ न करने से पूजा अधूरी रहती है।

यह भी पढ़ें: Kamika Ekadashi 2024: कामिका एकादशी पर इस सरल विधि से करें भगवान विष्णु की पूजा, बिगड़े काम होंगे पूरे

॥ विष्णु स्तुति॥

शांताकारं भुजगशयनं पद्मनाभं सुरेशम्,

विश्वाधारं गगनसदृशं मेघवर्णं शुभाङ्गम्।।

लक्ष्मीकान्तं कमलनयनं योगिभिर्ध्यानगम्यम्,

वन्दे विष्णुं भवभयहरं सर्वलोकैकनाथम्।।

यं ब्रह्मा वरुणैन्द्रु रुद्रमरुत: स्तुन्वानि दिव्यै स्तवैवेदे:।

सांग पदक्रमोपनिषदै गार्यन्ति यं सामगा:।

ध्यानावस्थित तद्गतेन मनसा पश्यति यं योगिनो

यस्यातं न विदु: सुरासुरगणा दैवाय तस्मै नम:।।

॥श्री नारायण स्तोत्र॥

नारायण नारायण जय गोपाल हरे॥

करुणापारावारा वरुणालयगम्भीरा ॥

घननीरदसंकाशा कृतकलिकल्मषनाशा॥

यमुनातीरविहारा धृतकौस्तुभमणिहारा ॥

पीताम्बरपरिधाना सुरकल्याणनिधाना॥

मंजुलगुंजा गुं भूषा मायामानुषवेषा॥

राधाऽधरमधुरसिका रजनीकरकुलतिलका॥

मुरलीगानविनोदा वेदस्तुतभूपादा॥

बर्हिनिवर्हापीडा नटनाटकफणिक्रीडा॥

वारिजभूषाभरणा राजिवरुक्मिणिरमणा॥

जलरुहदलनिभनेत्रा जगदारम्भकसूत्रा॥

पातकरजनीसंहर करुणालय मामुद्धर॥

अधबकक्षयकंसारेकेशव कृष्ण मुरारे॥

हाटकनिभपीताम्बर अभयंकुरु मेमावर॥

दशरथराजकुमारा दानवमदस्रंहारा॥

गोवर्धनगिरिरमणा गोपीमानसहरणा॥

शरयूतीरविहारासज्जनऋषिमन्दारा॥

विश्वामित्रमखत्रा विविधपरासुचरित्रा॥

ध्वजवज्रांकुशपादा धरणीसुतस्रहमोदा॥

जनकसुताप्रतिपाला जय जय संसृतिलीला॥

दशरथवाग्घृतिभारा दण्डकवनसंचारा॥

मुष्टिकचाणूरसंहारा मुनिमानसविहारा॥

वालिविनिग्रहशौर्यावरसुग्रीवहितार्या॥

मां मुरलीकर धीवर पालय पालय श्रीधर॥

जलनिधिबन्धनधीरा रावणकण्ठविदारा॥

ताटीमददलनाढ्या नटगुणगु विविधधनाढ्या॥

गौतमपत्नीपूजन करुणाघनावलोकन॥

स्रम्भ्रमसीताहारा साकेतपुरविहारा॥

अचलोद्घृतिद्घृञ्चत्कर भक्तानुग्रहतत्पर॥

नैगमगानविनोदा रक्षःसुतप्रह्लादा॥

भारतियतिवरशंकर नामामृतमखिलान्तर॥

यह भी पढ़ें: Kamika Ekadashi 2024: भगवान विष्णु को अत्यंत प्रिय हैं ये भोग, चढ़ाने से मिलेगा मनचाहा फल!

अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।