Kamika Ekadashi 2024: भगवान विष्णु की पूजा में करें मंगलकारी मंत्रों का जप एवं आरती
एकादशी को सबसे महत्वपूर्ण तिथियों में से एक माना जाता है। इस दिन मुख्य रूप से जगत के पालनहार भगवान विष्णु की पूजा-अर्चना की जाती है। विष्णु जी की कृपा प्राप्ति के लिए इस दिन कई साधक एकादशी का व्रत भी करते हैं। ऐसे में विष्णु जी की पूजा के दौरान विष्णु जी की आरती और उनके मंत्रों का पाठ अवश्य करना चाहिए।
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। सावन माह में आने वाले व्रत-त्योहारों का विशेष महत्व माना जाता है। ऐसे में सावन में आने वाली एकदाशी भी विशेष महत्व रखती है। पंचांग के अनुसार, हर साल सावन माह की कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि पर कामिका एकादशी का व्रत किया जाता है। ऐसे में इस साल कामिका एकादशी का व्रत बुधवार, 31 जुलाई 2024 को किया जाएगा। तो चलिए पढ़ते हैं विष्णु जी की आरती और मंत्र।
भगवान विष्णु की आरती (Vishnu ji ki Aarti)
ॐ जय जगदीश हरे
स्वामी जय जगदीश हरे ।
भक्त जनों के संकट,दास जनों के संकट,
क्षण में दूर करे ॥॥ ॐ जय जगदीश हरे..॥जो ध्यावे फल पावे,दुःख बिनसे मन का,स्वामी दुःख बिनसे मन का ।सुख सम्पति घर आवे,सुख सम्पति घर आवे,कष्ट मिटे तन का ॥॥ ॐ जय जगदीश हरे..॥मात पिता तुम मेरे,शरण गहूं किसकी,स्वामी शरण गहूं मैं किसकी ।
तुम बिन और न दूजा,तुम बिन और न दूजा,आस करूं मैं जिसकी ॥॥ ॐ जय जगदीश हरे..॥तुम पूरण परमात्मा,तुम अन्तर्यामी,स्वामी तुम अन्तर्यामी ।पारब्रह्म परमेश्वर,पारब्रह्म परमेश्वर,तुम सब के स्वामी ॥॥ ॐ जय जगदीश हरे..॥तुम करुणा के सागर,तुम पालनकर्ता,स्वामी तुम पालनकर्ता ।मैं मूरख फलकामी,मैं सेवक तुम स्वामी,
कृपा करो भर्ता॥॥ ॐ जय जगदीश हरे..॥तुम हो एक अगोचर,सबके प्राणपति,स्वामी सबके प्राणपति ।किस विधि मिलूं दयामय,किस विधि मिलूं दयामय,तुमको मैं कुमति ॥॥ ॐ जय जगदीश हरे..॥दीन-बन्धु दुःख-हर्ता,ठाकुर तुम मेरे,स्वामी रक्षक तुम मेरे ।अपने हाथ उठाओ,अपने शरण लगाओ,द्वार पड़ा तेरे ॥॥ ॐ जय जगदीश हरे..॥
विषय-विकार मिटाओ,पाप हरो देवा,स्वमी पाप(कष्ट) हरो देवा ।श्रद्धा भक्ति बढ़ाओ,श्रद्धा भक्ति बढ़ाओ,सन्तन की सेवा ॥ॐ जय जगदीश हरे,स्वामी जय जगदीश हरे ।भक्त जनों के संकट,दास जनों के संकट,क्षण में दूर करे ॥यह भी पढ़ें - Kamika Ekadashi 2024: कामिका एकादशी व्रत इस कथा के बिना है अधूरा, सभी मनोकामनाएं होंगी पूरी
विष्णु जी के मंत्र
ॐ नमोः नारायणाय॥विष्णु भगवते वासुदेवाये मंत्रॐ नमोः भगवते वासुदेवाय॥विष्णु गायत्री मंत्र
ॐ श्री विष्णवे च विद्महे वासुदेवाय धीमहि।
तन्नो विष्णुः प्रचोदयात्॥
विष्णु शान्ताकारम मंत्र
शान्ताकारम् भुजगशयनम् पद्मनाभम् सुरेशम्विश्वाधारम् गगनसदृशम् मेघवर्णम् शुभाङ्गम्। लक्ष्मीकान्तम् कमलनयनम् योगिभिर्ध्यानगम्यम् वन्दे विष्णुम् भवभयहरम् सर्वलोकैकनाथम्॥