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Mohini Ekadashi 2024: मोहिनी एकादशी पर भगवान विष्णु को इस तरह करें प्रसन्न, पुण्य फल की होगी प्राप्ति

एकादशी तिथि का हिंदू धर्म में विशेष महत्व बताया गया है। हर साल वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि पर मोहिनी एकादशी व्रत किया जाता है। इस बार मोहिनी एकादशी 19 मई को है। धार्मिक मान्यता के अनुसार एकादशी के अवसर पर भगवान विष्णु की पूजा करने से जातक को सभी तरह के दुख से छुटकारा मिलता है।

By Kaushik Sharma Edited By: Kaushik Sharma Updated: Sun, 12 May 2024 05:45 PM (IST)
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Mohini Ekadashi 2024: मोहिनी एकादशी पर भगवान विष्णु को इस तरह करें प्रसन्न, पुण्य फल की होगी प्राप्ति

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Shri Hari Stotram Ka Path: जगत के पालनहार भगवान विष्णु को एकादशी तिथि समर्पित है। हर महीने के कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि पर भगवान विष्णु के संग मां लक्ष्मी की पूजा और व्रत किया जाता है। इस बार वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि 19 मई को है। इस एकादशी तिथि को मोहिनी एकादशी के नाम से जाना जाता है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, एकादशी के अवसर पर भगवान विष्णु की पूजा करने से जातक को सभी तरह के दुख से छुटकारा मिलता है। अगर आप भी भगवान विष्णु को प्रसन्न करना चाहते हैं, तो मोहिनी एकादशी के दिन पूजा के दौरान श्री हरि स्तोत्र का पाठ जरूर करें। इससे जातक को पुण्य फल की प्राप्ति होगी। आइए, पढ़ते हैं श्री हरि स्तोत्र।

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।।श्री हरि स्तोत्र।।

जगज्जालपालं चलत्कण्ठमालं

शरच्चन्द्रभालं महादैत्यकालं

नभोनीलकायं दुरावारमायं

सुपद्मासहायम् भजेऽहं भजेऽहं ॥

सदाम्भोधिवासं गलत्पुष्पहासं

जगत्सन्निवासं शतादित्यभासं

गदाचक्रशस्त्रं लसत्पीतवस्त्रं

हसच्चारुवक्त्रं भजेऽहं भजेऽहं ॥

रमाकण्ठहारं श्रुतिव्रातसारं

जलान्तर्विहारं धराभारहारं

चिदानन्दरूपं मनोज्ञस्वरूपं

ध्रुतानेकरूपं भजेऽहं भजेऽहं ॥

जराजन्महीनं परानन्दपीनं

समाधानलीनं सदैवानवीनं

जगज्जन्महेतुं सुरानीककेतुं

त्रिलोकैकसेतुं भजेऽहं भजेऽहं ॥

कृताम्नायगानं खगाधीशयानं

विमुक्तेर्निदानं हरारातिमानं

स्वभक्तानुकूलं जगद्व्रुक्षमूलं

निरस्तार्तशूलं भजेऽहं भजेऽहं ॥

समस्तामरेशं द्विरेफाभकेशं

जगद्विम्बलेशं ह्रुदाकाशदेशं

सदा दिव्यदेहं विमुक्ताखिलेहं

सुवैकुण्ठगेहं भजेऽहं भजेऽहं ॥

सुरालिबलिष्ठं त्रिलोकीवरिष्ठं

गुरूणां गरिष्ठं स्वरूपैकनिष्ठं

सदा युद्धधीरं महावीरवीरं

महाम्भोधितीरं भजेऽहं भजेऽहं ॥

रमावामभागं तलानग्रनागं

कृताधीनयागं गतारागरागं

मुनीन्द्रैः सुगीतं सुरैः संपरीतं

गुणौधैरतीतं भजेऽहं भजेऽहं ॥

फलश्रुति

इदं यस्तु नित्यं समाधाय चित्तं

पठेदष्टकं कण्ठहारम् मुरारे:

स विष्णोर्विशोकं ध्रुवं याति लोकं

जराजन्मशोकं पुनर्विन्दते नो ॥

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अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।