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Mokshada Ekadashi 2023: मोक्षदा एकादशी पर करें भगवान विष्णु की ये आरती, पूजा होगी सफल

मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को मोक्षदा एकादशी है। मान्यता है कि इस दिन जगत के पालनहार भगवान विष्णु की पूजा-व्रत करने से साधक को शुभ फल मिलता है। इसके अलावा भगवान विष्णु जी का आशीर्वाद प्राप्त होता है। धार्मिक मत है कि एकादशी पूजा के दौरान भगवान विष्णु की आरती करने से साधक को जीवन की सभी परेशानियों से निजात मिलती है।

By Jagran NewsEdited By: Pravin KumarUpdated: Thu, 21 Dec 2023 12:51 PM (IST)
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Mokshada Ekadashi 2023: मोक्षदा एकादशी पर करें ये आरती, भगवान विष्णु होंगे प्रसन्न

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Mokshada Ekadashi 2023: हर महीने में 2 एकादशी होती है। एक कृष्ण पक्ष में और दूसरी शुल्क पक्ष में। मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को मोक्षदा एकादशी है। इस बार मोक्षदा एकादशी 22 दिसंबर को है। मान्यता है कि इस दिन जगत के पालनहार भगवान विष्णु की पूजा-व्रत करने से साधक को शुभ फल मिलता है। इसके अलावा भगवान विष्णु जी का आशीर्वाद प्राप्त होता है। धार्मिक मत है कि एकादशी पूजा के दौरान भगवान विष्णु की आरती करने से साधक को जीवन की सभी परेशानियों से निजात मिलती है और घर में मां लक्ष्मी का वास होता है। एकादशी पूजा के दौरान भगवान विष्णु आरती का पाठ करने से भक्तों को बेहद लाभ होता है और उनके सभी दुःख-दर्द दूर हो जाते हैं।

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एकादशी पर करें ये आरती

ॐ जय जगदीश हरे, स्वामी ! जय जगदीश हरे।

भक्त जनों के संकट, क्षण में दूर करे॥

ॐ जय जगदीश हरे।

जो ध्यावे फल पावे, दुःख विनसे मन का।

स्वामी दुःख विनसे मन का।

सुख सम्पत्ति घर आवे, कष्ट मिटे तन का॥

ॐ जय जगदीश हरे।

मात-पिता तुम मेरे, शरण गहूँ मैं किसकी।

स्वामी शरण गहूँ मैं किसकी।

तुम बिन और न दूजा, आस करूँ जिसकी॥

ॐ जय जगदीश हरे।

तुम पूरण परमात्मा, तुम अन्तर्यामी।

स्वामी तुम अन्तर्यामी।

पारब्रह्म परमेश्वर, तुम सबके स्वामी॥

ॐ जय जगदीश हरे।

तुम करुणा के सागर, तुम पालन-कर्ता।

स्वामी तुम पालन-कर्ता।

मैं मूरख खल कामी, कृपा करो भर्ता॥

ॐ जय जगदीश हरे।

तुम हो एक अगोचर, सबके प्राणपति।

स्वामी सबके प्राणपति।

किस विधि मिलूँ दयामय, तुमको मैं कुमति॥

ॐ जय जगदीश हरे।

दीनबन्धु दुखहर्ता, तुम ठाकुर मेरे।

स्वामी तुम ठाकुर मेरे।

अपने हाथ उठा‌ओ, द्वार पड़ा तेरे॥

ॐ जय जगदीश हरे।

विषय-विकार मिटा‌ओ, पाप हरो देवा।

स्वमी पाप हरो देवा।

श्रद्धा-भक्ति बढ़ा‌ओ, सन्तन की सेवा॥

ॐ जय जगदीश हरे।

श्री जगदीशजी की आरती, जो कोई नर गावे।

स्वामी जो कोई नर गावे।

कहत शिवानन्द स्वामी, सुख संपत्ति पावे॥

ॐ जय जगदीश हरे।

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Author- Kaushik Sharma

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