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Mokshada Ekadashi 2023: मोक्षदा एकादशी के दिन क्या करें और क्या नहीं? जानें

मोक्षदा एकादशी के दिन जगत के पालनहार भगवान विष्णु जी की विशेष पूजा-अर्चना की जाती है। मान्यता है कि इस दिन पूजा और व्रत करने से साधक को भगवान विष्णु जी का आशीर्वाद प्राप्त होता है। इसके अलावा इस दिन कुछ कार्यों को करने की मनाही है। जिनको करने से जीवन में कई प्रकार की समस्याओं का सामना करना पड़ता है।

By Jagran NewsEdited By: Pravin KumarPublished: Thu, 14 Dec 2023 10:15 AM (IST)Updated: Thu, 14 Dec 2023 10:15 AM (IST)
Mokshada Ekadashi 2023: मोक्षदा एकादशी के दिन क्या करें और क्या नहीं? जानें

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Mokshada Ekadashi 2023: साल में कुल 24 एकादशी होती है और मोक्षदा एकादशी वर्ष की अंतिम एकादशी होती है। मार्गशीर्ष महीने के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को मोक्षदा एकादशी के नाम से जाना जाता है। सनातन पंचांग के अनुसार, इस बार मोक्षदा एकादशी 22 दिसंबर को है। इस दिन जगत के पालनहार भगवान विष्णु जी की विशेष पूजा-अर्चना की जाती है। मान्यता है कि इस दिन पूजा और व्रत करने से साधक को भगवान विष्णु जी का आशीर्वाद प्राप्त होता है। इसके अलावा इस दिन कुछ कार्यों को करने की मनाही है। जिनको करने से जीवन में कई प्रकार की समस्याओं का सामना करना पड़ता है। आइए, मोक्षदा एकादशी के दिन क्या करें और क्या नहीं के बारे में जानते हैं-

मोक्षदा एकादशी के दिन क्या करें

एकादशी के दिन सुबह उठकर स्नान करने के बाद भगवान विष्णु जी की पूजा करें।

तुलसी में जल अर्पित करें और परिक्रमा लगाएं।

गरीब लोगों को श्रद्धानुसार दान करना चाहिए।

इसके अलावा भजन-कीर्तन करना चाहिए।

व्रत के दौरान दिनभर कुछ भी नहीं खाना चाहिए। अगर संभव न हो सके तो फलाहार कर सकते हैं।

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मोक्षदा एकादशी के दिन क्या न करें।

एकादशी के दिन चावल का सेवन नहीं करना चाहिए।

एकादशी के दिन बाल कटवाना अशुभ माना गया है।

व्रत करने वाले साधक को सुबह देर तक नहीं सोना चाहिए।

इस दिन चोरी, हिंसा और क्रोध करने से बचना चाहिए।

साथ ही किसी पेड़ की पत्ती या फूल को नहीं तोडना चाहिए।

मोक्षदा एकादशी का महत्व

मान्यता है कि मोक्षदा एकादशी व्रत रखने से और जगत के पालनहार भगवान विष्णु जी की विधिपूर्वक पूजा-अर्चना करने से पूर्वजों को मोक्ष की प्राप्ति होती है। धार्मिक मत के अनुसार, मोक्षदा एकादशी के दिन भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को गीता का उपदेश दिया था। यही वजह है कि इस दिन गीता जयंती भी मनाई जाती है। इस अवसर पर गीता का पाठ करना या सुनने से शुभ फल की प्राप्ति होती है।

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Author- Kaushik Sharma

डिसक्लेमर: 'इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।'


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