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Narayana Stotram: षटतिला एकादशी की पूजा में करें इस स्तोत्र का पाठ, मनचाही मनोकामना होगी पूरी

माघ माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को षटतिला एकादशी के नाम से जाना जाता है। इस खास अवसर पर जगत के पालनहार भगवान विष्णु और धन की देवी मां लक्ष्मी की विधिपूर्वक पूजा-अर्चना करने का विधान है। मान्यता है कि ऐसा करने से साधक को धन ऐश्वर्य और सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है। इस दिन पूजा के दौरान नारायण स्तोत्र का पाठ करना शुभ होता है।

By Kaushik SharmaEdited By: Kaushik SharmaUpdated: Fri, 02 Feb 2024 03:00 PM (IST)
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Narayana Stotram: षटतिला एकादशी की पूजा में करें इस स्तोत्र का पाठ, मनचाही मनोकामना होगी पूरी

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Narayana Stotram: सनातन धर्म में एकादशी तिथि का अधिक महत्व है। हर माह में 2 बार एकादशी आती है। पहली कृष्ण पक्ष में और दूसरी शुक्ल पक्ष में। माघ माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को षटतिला एकादशी के नाम से जाना जाता है। षटतिला एकादशी 6 फरवरी 2024 है। इस खास अवसर पर जगत के पालनहार भगवान विष्णु और धन की देवी मां लक्ष्मी की विधिपूर्वक पूजा-अर्चना करने का विधान है। मान्यता है कि ऐसा करने से साधक को धन, ऐश्वर्य और सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है। कहा जाता है कि षटतिला एकादशी की पूजा के दौरान नारायण स्तोत्र का पाठ न करने से व्रत सफल हो नहीं होता है। इसलिए इस दिन नारायण स्तोत्र का पाठ करना चाहिए। नारायण स्तोत्र का पाठ करने से साधक की मनचाही मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं और भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं। नारायण स्तोत्र का पाठ इस प्रकार है-

॥नारायण स्तोत्र॥

नारायण नारायण जय गोपाल हरे॥

करुणापारावारा वरुणालयगम्भीरा ॥

घननीरदसंकाशा कृतकलिकल्मषनाशा॥

यमुनातीरविहारा धृतकौस्तुभमणिहारा ॥

पीताम्बरपरिधाना सुरकल्याणनिधाना॥

मंजुलगुंजा गुं भूषा मायामानुषवेषा॥

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राधाऽधरमधुरसिका रजनीकरकुलतिलका॥

मुरलीगानविनोदा वेदस्तुतभूपादा॥

बर्हिनिवर्हापीडा नटनाटकफणिक्रीडा॥

वारिजभूषाभरणा राजिवरुक्मिणिरमणा॥

जलरुहदलनिभनेत्रा जगदारम्भकसूत्रा॥

पातकरजनीसंहर करुणालय मामुद्धर॥

अधबकक्षयकंसारेकेशव कृष्ण मुरारे॥

हाटकनिभपीताम्बर अभयंकुरु मेमावर॥

दशरथराजकुमारा दानवमदस्रंहारा॥

गोवर्धनगिरिरमणा गोपीमानसहरणा॥

शरयूतीरविहारासज्जनऋषिमन्दारा॥

विश्वामित्रमखत्रा विविधपरासुचरित्रा॥

ध्वजवज्रांकुशपादा धरणीसुतस्रहमोदा॥

जनकसुताप्रतिपाला जय जय संसृतिलीला॥

दशरथवाग्घृतिभारा दण्डकवनसंचारा॥

मुष्टिकचाणूरसंहारा मुनिमानसविहारा॥

वालिविनिग्रहशौर्यावरसुग्रीवहितार्या॥

मां मुरलीकर धीवर पालय पालय श्रीधर॥

जलनिधिबन्धनधीरा रावणकण्ठविदारा॥

ताटीमददलनाढ्या नटगुणगु विविधधनाढ्या॥

गौतमपत्नीपूजन करुणाघनावलोकन॥

स्रम्भ्रमसीताहारा साकेतपुरविहारा॥

अचलोद्घृतिद्घृञ्चत्कर भक्तानुग्रहतत्पर॥

नैगमगानविनोदा रक्षःसुतप्रह्लादा॥

भारतियतिवरशंकर नामामृतमखिलान्तर॥

एकादशी व्रत मंत्र

1. श्रीकृष्ण गोविन्द हरे मुरारे।

हे नाथ नारायण वासुदेवाय।।

2. ॐ नारायणाय विद्महे।

वासुदेवाय धीमहि ।

तन्नो विष्णु प्रचोदयात्।।

3. ॐ विष्णवे नम:

धन-समृद्धि मंत्र

ॐ भूरिदा भूरि देहिनो , मा दभ्रं भूर्या भर। भूरि घेदिन्द्र दित्ससि ।

ॐ भूरिदा त्यसि श्रुत: पुरूत्रा शूर वृत्रहन्। आ नो भजस्व राधसि ।

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