Papmochani Ekadashi 2024: पापमोचिनी एकादशी पर करें इस स्तोत्र का पाठ, जीवन में नहीं आएगा कोई कष्ट
हर साल चैत्र माह की कृष्ण एकादशी तिथि पर पापमोचिनी एकादशी का व्रत किया जाता है। इस दिन का हिंदू धर्म में विशेष महत्व माना गया है। जैसा कि नाम से ही प्रतीत होता है पापमोचिनी एकादशी व्यक्ति के सभी पापों का नाश कर सकती है। ऐसे में आइए पढ़ते हैं पापमोचिनी एकादशी का शुभ मुहूर्त और प्रभु श्री हरि की कृपा प्राप्ति के लिए स्तोत्र।
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Papmochani Ekadashi 2024 Date: हिंदू धर्म में पापमोचिनी एकादशी विशेष महत्व रखती है। यह तिथि मुख्य रूप में भगवान विष्णु की पूजा-अर्चना के लिए समर्पित मानी गई है। शास्त्रों में माना गया है कि पापमोचिनी एकादशी का व्रत करने से साधक को जाने-अनजाने में किए गए पापों से छुटकारा मिल सकता है। साथ ही इस व्रत को करने से सभी प्रकार की समस्याएं भी दूर हो जाते हैं।
एकादशी शुभ मुहूर्त (Ekadashi Shubh Muhurat)
पंचांग के अनुसार, चैत्र माह की कृष्ण एकादशी तिथि का प्रारम्भ 04 अप्रैल को दोपहर 04 बजकर 14 मिनट पर हो रहा है। वहीं, इस तिथि का समापन 05 अप्रैल को दोपहर 01 बजकर 28 मिनट पर होगा। ऐसे में उदया तिथि के अनुसार, पापमोचनी एकादशी का व्रत 05 अप्रैल, शुक्रवार के दिन किया जाएगा।
श्री हरि स्तोत्र (Shri Hari Stotram)
जगज्जालपालं चलत्कण्ठमालंशरच्चन्द्रभालं महादैत्यकालंनभोनीलकायं दुरावारमायं
सुपद्मासहायम् भजेऽहं भजेऽहं ॥1सदाम्भोधिवासं गलत्पुष्पहासंजगत्सन्निवासं शतादित्यभासंगदाचक्रशस्त्रं लसत्पीतवस्त्रंहसच्चारुवक्त्रं भजेऽहं भजेऽहं ॥2रमाकण्ठहारं श्रुतिव्रातसारंजलान्तर्विहारं धराभारहारं
चिदानन्दरूपं मनोज्ञस्वरूपंध्रुतानेकरूपं भजेऽहं भजेऽहं ॥3जराजन्महीनं परानन्दपीनंसमाधानलीनं सदैवानवीनंजगज्जन्महेतुं सुरानीककेतुंत्रिलोकैकसेतुं भजेऽहं भजेऽहं ॥4कृताम्नायगानं खगाधीशयानंविमुक्तेर्निदानं हरारातिमानंस्वभक्तानुकूलं जगद्व्रुक्षमूलंनिरस्तार्तशूलं भजेऽहं भजेऽहं ॥5समस्तामरेशं द्विरेफाभकेशंजगद्विम्बलेशं ह्रुदाकाशदेशं
सदा दिव्यदेहं विमुक्ताखिलेहंसुवैकुण्ठगेहं भजेऽहं भजेऽहं ॥6सुरालिबलिष्ठं त्रिलोकीवरिष्ठंगुरूणां गरिष्ठं स्वरूपैकनिष्ठंसदा युद्धधीरं महावीरवीरंमहाम्भोधितीरं भजेऽहं भजेऽहं ॥7रमावामभागं तलानग्रनागंकृताधीनयागं गतारागरागंमुनीन्द्रैः सुगीतं सुरैः संपरीतंगुणौधैरतीतं भजेऽहं भजेऽहं ॥8फलश्रुतिइदं यस्तु नित्यं समाधाय चित्तं
पठेदष्टकं कण्ठहारम् मुरारे:स विष्णोर्विशोकं ध्रुवं याति लोकंजराजन्मशोकं पुनर्विन्दते नो ॥
ॐ नारायणाय विद्महे।वासुदेवाय धीमहि ।तन्नो विष्णु प्रचोदयात्।।
एकादशी व्रत के प्रभावशाली मंत्र
श्रीकृष्ण गोविन्द हरे मुरारे।हे नाथ नारायण वासुदेवाय।।ॐ नारायणाय विद्महे।वासुदेवाय धीमहि ।तन्नो विष्णु प्रचोदयात्।।