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Papmochani Ekadashi 2024: पापमोचिनी एकादशी पर करें इस स्तोत्र का पाठ, जीवन में नहीं आएगा कोई कष्ट

हर साल चैत्र माह की कृष्ण एकादशी तिथि पर पापमोचिनी एकादशी का व्रत किया जाता है। इस दिन का हिंदू धर्म में विशेष महत्व माना गया है। जैसा कि नाम से ही प्रतीत होता है पापमोचिनी एकादशी व्यक्ति के सभी पापों का नाश कर सकती है। ऐसे में आइए पढ़ते हैं पापमोचिनी एकादशी का शुभ मुहूर्त और प्रभु श्री हरि की कृपा प्राप्ति के लिए स्तोत्र।

By Suman Saini Edited By: Suman Saini Updated: Tue, 26 Mar 2024 06:38 PM (IST)
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Papmochani Ekadashi 2024 पापमोचिनी एकादशी पर करें इस स्तोत्र का पाठ।

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Papmochani Ekadashi 2024 Date: हिंदू धर्म में पापमोचिनी एकादशी विशेष महत्व रखती है। यह तिथि मुख्य रूप में भगवान विष्णु की पूजा-अर्चना के लिए समर्पित मानी गई है। शास्त्रों में माना गया है कि पापमोचिनी एकादशी का व्रत करने से साधक को जाने-अनजाने में किए गए पापों से छुटकारा मिल सकता है। साथ ही इस व्रत को करने से सभी प्रकार की समस्याएं भी दूर हो जाते हैं।

एकादशी शुभ मुहूर्त (Ekadashi Shubh Muhurat)

पंचांग के अनुसार, चैत्र माह की कृष्ण एकादशी तिथि का प्रारम्भ 04 अप्रैल को दोपहर 04 बजकर 14 मिनट पर हो रहा है। वहीं, इस तिथि का समापन 05 अप्रैल को दोपहर 01 बजकर 28 मिनट पर होगा। ऐसे में उदया तिथि के अनुसार, पापमोचनी एकादशी का व्रत 05 अप्रैल, शुक्रवार के दिन किया जाएगा।

श्री हरि स्तोत्र (Shri Hari Stotram)

जगज्जालपालं चलत्कण्ठमालं

शरच्चन्द्रभालं महादैत्यकालं

नभोनीलकायं दुरावारमायं

सुपद्मासहायम् भजेऽहं भजेऽहं ॥1

सदाम्भोधिवासं गलत्पुष्पहासं

जगत्सन्निवासं शतादित्यभासं

गदाचक्रशस्त्रं लसत्पीतवस्त्रं

हसच्चारुवक्त्रं भजेऽहं भजेऽहं ॥2

रमाकण्ठहारं श्रुतिव्रातसारं

जलान्तर्विहारं धराभारहारं

चिदानन्दरूपं मनोज्ञस्वरूपं

ध्रुतानेकरूपं भजेऽहं भजेऽहं ॥3

जराजन्महीनं परानन्दपीनं

समाधानलीनं सदैवानवीनं

जगज्जन्महेतुं सुरानीककेतुं

त्रिलोकैकसेतुं भजेऽहं भजेऽहं ॥4

कृताम्नायगानं खगाधीशयानं

विमुक्तेर्निदानं हरारातिमानं

स्वभक्तानुकूलं जगद्व्रुक्षमूलं

निरस्तार्तशूलं भजेऽहं भजेऽहं ॥5

समस्तामरेशं द्विरेफाभकेशं

जगद्विम्बलेशं ह्रुदाकाशदेशं

सदा दिव्यदेहं विमुक्ताखिलेहं

सुवैकुण्ठगेहं भजेऽहं भजेऽहं ॥6

सुरालिबलिष्ठं त्रिलोकीवरिष्ठं

गुरूणां गरिष्ठं स्वरूपैकनिष्ठं

सदा युद्धधीरं महावीरवीरं

महाम्भोधितीरं भजेऽहं भजेऽहं ॥7

रमावामभागं तलानग्रनागं

कृताधीनयागं गतारागरागं

मुनीन्द्रैः सुगीतं सुरैः संपरीतं

गुणौधैरतीतं भजेऽहं भजेऽहं ॥8

फलश्रुति

इदं यस्तु नित्यं समाधाय चित्तं

पठेदष्टकं कण्ठहारम् मुरारे:

स विष्णोर्विशोकं ध्रुवं याति लोकं

जराजन्मशोकं पुनर्विन्दते नो ॥

एकादशी व्रत के प्रभावशाली मंत्र

श्रीकृष्ण गोविन्द हरे मुरारे।

हे नाथ नारायण वासुदेवाय।।


ॐ नारायणाय विद्महे।

वासुदेवाय धीमहि ।

तन्नो विष्णु प्रचोदयात्।।


धन-समृद्धि मंत्र

ॐ भूरिदा भूरि देहिनो , मा दभ्रं भूर्या भर। भूरि घेदिन्द्र दित्ससि ।

ॐ भूरिदा त्यसि श्रुत: पुरूत्रा शूर वृत्रहन्। आ नो भजस्व राधसि ।

लक्ष्मी विनायक मंत्र

दन्ता भये चक्र दरो दधानं,

कराग्रगस्वर्णघटं त्रिनेत्रम्।

धृता ब्जया लिंगितमब्धि पुत्रया,

लक्ष्मी गणेशं कनकाभमीडे।।

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विष्णु के पंचरूप मंत्र

ॐ अं वासुदेवाय नम:।।

ॐ आं संकर्षणाय नम:।।

ॐ अं प्रद्युम्नाय नम:।।

ॐ अ: अनिरुद्धाय नम:।।

ॐ नारायणाय नम:।।

ॐ ह्रीं कार्तविर्यार्जुनो नाम राजा बाहु सहस्त्रवान। यस्य स्मरेण मात्रेण ह्रतं नष्‍टं च लभ्यते।।

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