Papmochani Ekadashi 2024 Vrat Katha: पापमोचनी एकादशी पर जरूर करें इस कथा का पाठ, पापों से मिलेगी मुक्ति
सनातन धर्म में एकादशी तिथि का विशेष महत्व है। चैत्र माह की पहली एकादशी को पापमोचनी एकादशी कहा जाता है। इस बार यह व्रत 05 अप्रैल को है। इस तिथि पर जगत के पालनहार भगवान विष्णु के संग धन की देवी मां लक्ष्मी की पूजा-अर्चना करने के विधान है। साथ ही जीवन में सुख-शांति के लिए व्रत भी किया जाता है।
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Papmochani Ekadashi 2024 Vrat Katha in Hindi: चैत्र माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को पापमोचनी एकादशी व्रत किया जाता है। इस बार यह व्रत 05 अप्रैल को है। इस तिथि पर जगत के पालनहार भगवान विष्णु के संग धन की देवी मां लक्ष्मी की पूजा-अर्चना करने के विधान है। साथ ही जीवन में सुख-शांति के लिए व्रत भी किया जाता है। मान्यता है कि साधक को पापमोचनी एकादशी व्रत का पूर्ण फल कथा का पाठ करने से प्राप्त होता है। इसलिए इस दिन पूजा के दौरान पापमोचनी एकादशी व्रत कथा का पाठ अवश्य करना चाहिए। ऐसे में आइए पढ़ते हैं पापमोचनी एकादशी की व्रत कथा।
यह भी पढ़ें: Papmochani Ekadashi 2024: इस साल कब है पापमोचनी एकादशी? जानें शुभ मुहूर्त, पूजा विधि एवं पूजा मंत्र
पापमोचनी एकादशी 2024 व्रत कथा
पौराणिक कथा के अनुसार, एक बार राजा मांधाता ने लोमश ऋषि से एक प्रश्न किया कि गलती से हुए पापों से मुक्ति कैसे प्राप्त की जा सकती है। तो ऐसे में लोमश ऋषि ने पापमोचनी एकादशी व्रत के बारे में बताया। कथा के अनुसार, एक बार च्यवन ऋषि के पुत्र मेधावी वन में तपस्या कर रहे थे। तभी वहां से एक अप्सरा जा रही थी। जिसका नाम मंजुघोषा था। उसकी नजर मेधावी पर पड़ी और वह उसे देखकर मोहित हो गई।
इसके पश्चात मंजुघोषा ने मेधावी को अपनी तरफ आकर्षित करने के लिए कई प्रयास किए। इस कार्य की मदद के लिए कामदेव भी आ सामने आ गए। तब मेधावी भी मंजुघोषा की तरफ आकर्षित हो गए। ऐसे में वह देवों के देव महादेव तपस्या की करना भूल गए। कुछ समय निकल जाने के बाद मेधावी को अपनी गलती का एहसास हुआ, तो उन्होंने मंजुघोषा को दोषी मानते हुए उन्हें पिशाचिनी होने का श्राप दिया, जिससे अप्सरा अधिक दुखी हुई।
इसके बाद अप्सरा ने मेधावी से माफी मांगी और इस बात को सुनकर मेधावी ने मंजुघोषा को चैत्र माह की पापमोचनी एकादशी व्रत के बारे में बताया। मेधावी के कहने पर मंजुघोषा ने विधिपूर्वक पापमोचनी एकादशी का व्रत किया। व्रत के पुण्य प्रभाव से अप्सरा को सभी पापों से छुटकारा मिल गया। इस एकादशी व्रत के प्रभाव से मंजुघोषा दोबारा से अप्सरा बन गई और स्वर्ग में वापस चली गई। मंजुघोषा के बाद मेधावी ने भी पापमोचनी एकादशी का व्रत किया और अपने पापों को दूर कर किया।
यह भी पढ़ें: Papmochani Ekadashi 2024: पापमोचनी एकादशी पर राशि अनुसार करें इन मंत्रों का जप, कट जाएंगे सारे पाप
डिसक्लेमर- इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/जयोतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेंगी।