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Papmochani Ekadashi 2024: इस साल कब है पापमोचनी एकादशी? जानें शुभ मुहूर्त, पूजा विधि एवं पूजा मंत्र

पंचांग के अनुसार चैत्र माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि 04 अप्रैल को शाम 04 बजकर 14 मिनट पर शुरू होगी और अगले दिन 05 अप्रैल को दोपहर 01 बजकर 28 मिनट पर समाप्त होगी। उदया तिथि मान होने के चलते 05 अप्रैल को पापमोचनी एकादशी मनाई जाएगी। इस दिन जगत के पालनहार भगवान विष्णु संग माता लक्ष्मी की विशेष पूजा-अर्चना की जाती है।

By Pravin KumarEdited By: Pravin KumarUpdated: Sat, 30 Mar 2024 04:11 PM (IST)
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Papmochani Ekadashi 2024: इस साल कब है पापमोचनी एकादशी?

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Papmochani Ekadashi 2024: हर वर्ष चैत्र माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को पापमोचनी एकादशी मनाई जाती है। तदनुसार, इस प्रकार वर्ष 2024 में 05 अप्रैल को पापमोचनी एकादशी है। इस दिन जगत के पालनहार भगवान विष्णु संग माता लक्ष्मी की विशेष पूजा-अर्चना की जाती है। साथ ही उनके निमित्त व्रत-उपवास रखा जाता है। धार्मिक मत है कि पापमोचनी एकादशी व्रत करने से व्यक्ति के जन्म-जन्मांतर में किए गए सारे पाप कट जाते हैं। साथ ही सुख, सौभाग्य और आय में वृद्धि होती है। अतः साधक श्रद्धा भाव से पापमोचनी एकादशी पर भगवान विष्णु की पूजा-उपासना करते हैं। आइए, पापमोचनी की तिथि, शुभ मुहूर्त एवं पूजा विधि जानते हैं-

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शुभ मुहूर्त

पंचांग के अनुसार, चैत्र माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि 04 अप्रैल को शाम 04 बजकर 14 मिनट पर शुरू होगी और अगले दिन 05 अप्रैल को दोपहर 01 बजकर 28 मिनट पर समाप्त होगी। उदया तिथि मान होने के चलते 05 अप्रैल को पापमोचनी एकादशी मनाई जाएगी।

पारण का समय

साधक 06 अप्रैल को सुबह 06 बजकर 05 मिनट से लेकर 08 बजकर 37 मिनट के मध्य व्रत खोल सकते हैं। इस दौरान स्नान-ध्यान कर सबसे पहले भगवान विष्णु की पूजा करें। इसके पश्चात ब्राह्मणों को दान देकर व्रत खोलें।

पूजा विधि

पापमोचनी एकादशी के दिन सुबह सूर्योदय से पहले उठें। इस समय भगवान विष्णु का ध्यान कर दिन की शुरुआत करें। इसके पश्चात दैनिक कार्यों से निवृत होकर गंगाजल युक्त पानी से स्नान करें। इस समय आचमन कर अपने आप को शुद्ध करें। इसके बाद पीले वस्त्र धारण कर सूर्य देव को अर्घ्य दें। अब पूजा घर में चौकी पर पीला वस्त्र बिछाकर भगवान की प्रतिमा स्थापित करें और पंचोपचार कर विधि-विधान से भगवान विष्णु की पूजा करें। पूजा के समय विष्णु चालीसा का पाठ और मंत्र जाप करें। अंत में आरती कर सुख, समृद्धि और धन वृद्धि की कामना करें। दिन भर उपवास रखें। संध्याकाल में आरती कर फलाहार करें। अगले दिन पूजा-पाठ कर व्रत खोलें।

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डिसक्लेमर- इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/जयोतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेंगी।