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Parivartini Ekadashi Vrat पर जरूर करें ये आरती, प्रसन्न होंगे श्रीहरि, देंगे समृद्धि का आशीर्वाद

भाद्रपद में आने वाली परिवर्तिनी एकादशी (Parivartini Ekadashi Vrat Niyam) पर आप व्रत और विधि-विधान पूर्वक विष्णु जी की पूजा-अर्चना द्वारा शुभ फलों की प्राप्ति कर सकते हैं। ऐसे में यदि आप भी एकादशी का व्रत करते हैं तो पूजा के दौरान एकादशी माता की आरती का पाठ जरूर करें ताकि आपको इस व्रत का पूर्ण फल प्राप्त हो सके।

By Suman Saini Edited By: Suman Saini Updated: Sat, 14 Sep 2024 07:00 AM (IST)
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Parivartini Ekadashi Vrat पर जरूर करें ये आरती।

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। हिंदू धर्म में एकादशी (Parivartini Ekadashi 2024 Vrat) तिथि को विशेष महत्व दिया जाता है। कई साधक इस तिथि पर भगवान विष्णु के निमित्त व्रत भी करते हैं, जिसका पुण्य फल प्राप्त होता है। वहीं भाद्रपद के शुक्ल पक्ष में आने वाली परिवर्तिनी  या जलझूलनी एकादशी को भी बेहद खास माना जाता है। इस बार परिवर्तिनी एकादशी का व्रत शनिवार, 14 सितंबर को किया जाएगा। एकादशी माता की आरती के बिना यह व्रत अधूरा है। ऐसे में आइए पढ़ते हैं एकादशी माता का आरती।

एकादशी माता की आरती (Ekadashi Mata Aarti)

ओम जय एकादशी माता, मैया जय जय एकादशी माता।

विष्णु पूजा व्रत को धारण कर, शक्ति मुक्ति पाता ।। ओम जय एकादशी माता।।

तेरे नाम गिनाऊं देवी, भक्ति प्रदान करनी ।

गण गौरव की देनी माता, शास्त्रों में वरनी ।।ओम।।

मार्गशीर्ष के कृष्णपक्ष की उत्पन्ना, विश्वतारनी जन्मी।

शुक्ल पक्ष में हुई मोक्षदा, मुक्तिदाता बन आई।। ओम।।

पौष के कृष्ण पक्ष की, सफला नामक है,

शुक्ल पक्ष में होय पुत्रदा, आनन्द अधिक रहै ।। ओम ।।

नाम षटतिला माघ मास में, कृष्णपक्ष आवै।

शुक्लपक्ष में जया, कहावै, विजय सदा पावै ।। ओम ।।

विजया फागुन कृष्णपक्ष में शुक्ला आमलकी,

पापमोचनी कृष्ण पक्ष में, चैत्र महाबलि की ।। ओम ।।

चैत्र शुक्ल में नाम कामदा, धन देने वाली,

नाम बरुथिनी कृष्णपक्ष में, वैसाख माह वाली ।। ओम ।।

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शुक्ल पक्ष में होय मोहिनी अपरा ज्येष्ठ कृष्णपक्षी,

नाम निर्जला सब सुख करनी, शुक्लपक्ष रखी।। ओम ।।

योगिनी नाम आषाढ में जानों, कृष्णपक्ष करनी।

देवशयनी नाम कहायो, शुक्लपक्ष धरनी ।। ओम ।।

कामिका श्रावण मास में आवै, कृष्णपक्ष कहिए।

श्रावण शुक्ला होय पवित्रा आनन्द से रहिए।। ओम ।।

अजा भाद्रपद कृष्णपक्ष की, परिवर्तिनी शुक्ला

इन्द्रा आश्चिन कृष्णपक्ष में, व्रत से भवसागर निकला।। ओम ।।

पापांकुशा है शुक्ल पक्ष में, आप हरनहारी।

रमा मास कार्तिक में आवै, सुखदायक भारी ।। ओम ।।

देवोत्थानी शुक्लपक्ष की, दुखनाशक मैया।

पावन मास में करूं विनती पार करो नैया ।। ओम ।।

परमा कृष्ण पक्ष में होती, जन मंगल करनी।।

शुक्ल मास में होय पद्मिनी दुख दारिद्रय हरनी ।। ओम ।।

जो कोई आरती एकादशी की, भक्ति सहित गावै।

जन गुरदिता स्वर्ग का वासा, निश्चय वह पावै।। ओम ।।

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अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।