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Paush Putrada Ekadashi 2024: इन चीजों के बिना अधूरी है पुत्रदा एकादशी की पूजा, नोट करें पूजा सामग्री लिस्ट

पौष माह के शुक्‍ल पक्ष की एकादशी को पुत्रदा एकादशी के नाम से जाना जाता है। इस बार पुत्रदा एकादशी 21 जनवरी को है। मान्यता के अनुसार एकादशी के दिन जगत के पालनहार भगवान विष्णु की पूजा और व्रत करने से साधक की मनचाही मनोकामना पूरी होती है और सुख-शांति मिलती है। साथ ही भगवान विष्णु का आशीर्वाद प्राप्त होता है।

By Kaushik SharmaEdited By: Kaushik SharmaUpdated: Thu, 18 Jan 2024 05:34 PM (IST)
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Paush Putrada Ekadashi 2024: इन चीजों के बिना अधूरी है पुत्रदा एकादशी की पूजा, नोट करें पूजा सामग्री लिस्ट
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Paush Putrada Ekadashi 2024: पौष माह के शुक्‍ल पक्ष की एकादशी को पुत्रदा एकादशी के नाम से जाना जाता है। इस बार पुत्रदा एकादशी 21 जनवरी को है। मान्यता है कि एकादशी के दिन जगत के पालनहार भगवान विष्णु की पूजा और व्रत करने से साधक की मनचाही मनोकामना पूरी होती है। साथ ही भगवान विष्णु का आशीर्वाद प्राप्त होता है। कहा जाता है कि पुत्रदा एकादशी की पूजा में विशेष चीजों को शामिल करने से पूजा सफल होती है और भगवान विष्णु प्रसन्न होते हैं। चलिए जानते हैं पुत्रदा एकादशी की पूजा थाली में किन चीजों को शामिल करना उत्तम होता है।

पुत्रदा एकादशी पूजा सामग्री लिस्ट

  • भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की प्रतिमा
  • चौकी
  • पीला कपड़ा
  • आम के पत्ते
  • कुमकुम
  • धूप
  • दीप
  • फल
  • फूल
  • मिठाई
  • अक्षत
  • पंचमेवा
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पुत्रदा एकादशी शुभ मुहूर्त

पंचांग के अनुसार, पौष माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि की शुरुआत 20 जनवरी को संध्याकाल 07 बजकर 26 मिनट से होगी और इसके अगले दिन यानी 21 जनवरी को संध्याकाल में 07 बजकर 26 मिनट पर तिथि का समापन होगा। इस बार 21 जनवरी को पौष पुत्रदा एकादशी है।

पुत्रदा एकादशी पूजा विधि

  • पुत्रदा एकादशी के दिन सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठे और स्नान कर पीले वस्त्र धारण करें।
  • इसके बाद मंदिर की साफ-सफाई करें और गंगाजल का छिड़काव कर शुद्ध करें।
  • अब चौकी पर पीला या लाल कपड़ा बिछाकर श्रीहरी की मूर्ति स्थापित करें।
  • घी का दीया जलाएं और जगत के पालनहार भगवान विष्णु को हल्दी, कुमकुम से तिलक करें।
  • अब भगवान विष्णु की विधिपूर्वक आरती करें और विष्णु चालीसा का पाठ करें।
  • इसके बाद भगवान विष्णु को तुलसी दल के साथ पंचमेवा, फल, मिठाई और खीर का भोग अर्पित करें।
  • अंत में लोगों में प्रसाद का वितरण करें।
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डिसक्लेमर: 'इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।'