Putrada Ekadashi पर इस तरह प्राप्त करें भगवान विष्णु की कृपा, जीवन में बनी रहेगी सुख-समृद्धि
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार एकादशी तिथि पर भगवान विष्णु की पूजा-अर्चना करने से साधक को जीवन में अच्छे परिणाम देखने को मिलते हैं। कई भक्तजन इस तिथि पर व्रत आदि भी करते हैं। ऐसे में यदि आप विष्णु जी की पूजा के दौरान अच्युतस्याष्टकम् स्तोत्र का पाठ करते हैं तो इससे विष्णु जी की विशेष कृपा प्राप्त कर सकते हैं।
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। सावन माह में आने वाली एकादशी को मनोकामना पूर्ति के लिए बहुत ही खास माना जाता है। इसी प्रकार सावन में आने वाली पुत्रदा एकदाशी भी शुभ मानी गई है। पंचांग के अनुसार, पुत्रदा एकदाशी सावन की शुक्ल पक्ष की एकादशी को मनाई जाती है। वहीं पौष माह में भी पुत्रदा एकादशी का व्रत किया जाता है। एकादशी तिथि पर जगत के पालनहार प्रभु श्री हरि की पूजा-अर्चना का विधान है।
इस दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि से निवत्त हो जाएं और इसके बाद भगवान विष्णु का ध्यान करें। पूजा घर की साफ-सफाई के बाद विधि-विधानपूर्वक विष्णु जी की पूजा करें और उन्हें पंचामृत का भोग लगाएं। साथ ही आप भगवान विष्णु की पूजा के दौरान अच्युतस्याष्टकम् का पाठ कर शुभ फलों की प्राप्ति कर सकते हैं।
श्रावण पुत्रदा एकादशी शुभ मुहूर्त (Putrada Ekadashi Shubh Muhurat)
सावन माह की शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि का प्रारंभ 15 अगस्त की सुबह 10 बजकर 26 मिनट पर हो रहा है। वहीं इस तिथि का समापन 16 अगस्त सुबह 09 बजकर 39 मिनट पर होगा। ऐसे में सावन माह की पुत्रदा एकादशी का व्रत शुक्रवार, 16 अगस्त 2024 के दिन किया जाएगा।
अच्युतस्याष्टकम्
अच्युतं केशवं रामनारायणं
कृष्णदामोदरं वासुदेवं हरिम् ।
श्रीधरं माधवं गोपिकावल्लभं
जानकीनायकं रामचंद्रं भजे ॥
अच्युतं केशवं सत्यभामाधवं
माधवं श्रीधरं राधिकाराधितम् ।
इन्दिरामन्दिरं चेतसा सुन्दरं
देवकीनन्दनं नन्दजं सन्दधे ॥
विष्णवे जिष्णवे शाङ्खिने चक्रिणे
रुक्मिणिरागिणे जानकीजानये ।
बल्लवीवल्लभायार्चितायात्मने
कंसविध्वंसिने वंशिने ते नमः ॥
कृष्ण गोविन्द हे राम नारायण
श्रीपते वासुदेवाजित श्रीनिधे ।
अच्युतानन्त हे माधवाधोक्षज
द्वारकानायक द्रौपदीरक्षक ॥
राक्षसक्षोभितः सीतया शोभितो
दण्डकारण्यभूपुण्यताकारणः ।
लक्ष्मणेनान्वितो वानरौः सेवितोऽगस्तसम्पूजितो
राघव पातु माम् ॥
धेनुकारिष्टकानिष्टकृद्द्वेषिहा
केशिहा कंसहृद्वंशिकावादकः ।
पूतनाकोपकःसूरजाखेलनो
बालगोपालकः पातु मां सर्वदा ॥
विद्युदुद्योतवत्प्रस्फुरद्वाससं
प्रावृडम्भोदवत्प्रोल्लसद्विग्रहम् ।
वन्यया मालया शोभितोरःस्थलं
लोहिताङ्घ्रिद्वयं वारिजाक्षं भजे ॥
कुञ्चितैः कुन्तलैर्भ्राजमानाननं
रत्नमौलिं लसत्कुण्डलं गण्डयोः ।
हारकेयूरकं कङ्कणप्रोज्ज्वलं
किङ्किणीमञ्जुलं श्यामलं तं भजे ॥
अच्युतस्याष्टकं यः पठेदिष्टदं
प्रेमतः प्रत्यहं पूरुषः सस्पृहम् ।
वृत्ततः सुन्दरं कर्तृविश्वम्भरस्तस्य
वश्यो हरिर्जायते सत्वरम् ॥
भगवान विष्णु के मंत्र
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