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Putrada Ekadashi पर पूजा के दौरान जरूर करें श्रीहरि की आरती, घर गूंजेगी किलकारी

सावन माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी को पुत्रदा एकादशी के नाम से जाना जाता है। इस बार पुत्रदा एकादशी व्रत 16 अगस्त (Kab Hai Putrada Ekadashi 2024) को किया जाएगा। धार्मिक मान्यता है कि पुत्रदा एकादशी की पूजा के दौरान भगवान विष्णु की आरती न करने से पूजा अधूरी मानी जाती है। इसलिए प्रभु की आरती जरूर करें। इससे साधक के जीवन में खुशियों का आगमन होगा।

By Kaushik Sharma Edited By: Kaushik Sharma Updated: Fri, 16 Aug 2024 06:30 AM (IST)
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Lord Vishnu Aarti: इस आरती से भगवान विष्णु को करें प्रसन्न

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Putrada Ekadashi 2024: हर महीने में 2 बार एकादशी व्रत किया जाता है। सनातन धर्म में एकादशी तिथि जगत के पालनहार भगवान विष्णु को समर्पित है। इस दिन भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की पूजा-अर्चना करने का विधान है। साथ ही मनोवांछित फल की प्राप्ति के लिए व्रत भी किया जाता है। सावन माह में पुत्रदा एकादशी व्रत किया जाता है। धार्मिक मान्यता है कि इस व्रत को करने से सुख, समृद्धि एवं खुशहाली आती है और साधक को संतान-सुख की प्राप्ति होती है। यदि आप भी भगवान विष्णु का आशीर्वाद प्राप्त करना चाहते हैं, तो पुत्रदा एकादशी पर श्रीहरि की विधिपूर्वक पूजा-अर्चना करें और पूजा के समय ये आरती (Bhagwan Vishnu Ki Aarti) जरूर करें।

पुत्रदा एकादशी शुभ मुहूर्त

सावन माह की शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि 15 अगस्त को सुबह 10 बजकर 26 मिनट पर प्रारंभ हो रही है। वहीं, यह तिथि 16 अगस्त को सुबह 09 बजकर 39 मिनट तक रहने वाली है। ऐसे में सावन माह में पुत्रदा एकादशी का व्रत शुक्रवार, 16 अगस्त 2024 को किया जाएगा। एकादशी व्रत का पारण द्वादशी तिथि में किया जाता है। 17 अगस्त को पुत्रदा एकादशी व्रत का पारण करने का समय सुबह 05 बजकर 51 मिनट से लेकर 08 बजकर 05 मिनट के बीच में कर सकते हैं।

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श्री विष्णु आरती

ॐ जय जगदीश हरे, स्वामी जय जगदीश हरे

ॐ जय जगदीश हरे, स्वामी! जय जगदीश हरे।

भक्त जनों के संकट, क्षण में दूर करे॥

ॐ जय जगदीश हरे...

जो ध्यावे फल पावे, दुःख विनसे मन का।

स्वामी दुःख विनसे मन का।

सुख सम्पत्ति घर आवे, कष्ट मिटे तन का॥

ॐ जय जगदीश हरे...

मात-पिता तुम मेरे, शरण गहूं मैं किसकी।

स्वामी शरण गहूं मैं किसकी।

तुम बिन और न दूजा, आस करूं जिसकी॥

ॐ जय जगदीश हरे...

तुम पूरण परमात्मा, तुम अन्तर्यामी।

स्वामी तुम अन्तर्यामी।

पारब्रह्म परमेश्वर, तुम सबके स्वामी॥

ॐ जय जगदीश हरे...

तुम करुणा के सागर, तुम पालन-कर्ता।

स्वामी तुम पालन-कर्ता।

मैं मूरख खल कामी, कृपा करो भर्ता॥

ॐ जय जगदीश हरे...

तुम हो एक अगोचर, सबके प्राणपति।

स्वामी सबके प्राणपति।

किस विधि मिलूं दयामय, तुमको मैं कुमति॥

ॐ जय जगदीश हरे...

दीनबन्धु दुखहर्ता, तुम ठाकुर मेरे।

स्वामी तुम ठाकुर मेरे।

अपने हाथ उठा‌ओ, द्वार पड़ा तेरे॥

ॐ जय जगदीश हरे...

विषय-विकार मिटा‌ओ, पाप हरो देवा।

स्वामी पाप हरो देवा।

श्रद्धा-भक्ति बढ़ा‌ओ, संतन की सेवा॥

ॐ जय जगदीश हरे...

श्री जगदीशजी की आरती, जो कोई नर गावे।

स्वामी जो कोई नर गावे।

कहत शिवानन्द स्वामी, सुख संपत्ति पावे॥

ॐ जय जगदीश हरे...

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