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Putrada Ekadashi 2024: पुत्रदा एकादशी पर शिववास योग का हो रहा है निर्माण, बनेंगे सारे बिगड़े काम

सावन माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि (Putrada Ekadashi 2024) भगवान विष्णु को समर्पित है। इस दिन श्रद्धा भाव से जग के नाथ भगवान विष्णु एवं मां लक्ष्मी की भक्ति आराधना की जाती है। इस व्रत के पुण्य-प्रताप से साधक की हर एक मनोकामना पूरी होती है।ज्योतिषियों की मानें तो पुत्रदा एकादशी पर प्रीति योग समेत कई शुभ संयोग बन रहे हैं।

By Pravin KumarEdited By: Pravin KumarUpdated: Sun, 11 Aug 2024 03:10 PM (IST)
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Putrada Ekadashi 2024: सावन पुत्रदा एकादशी का धार्मिक महत्व
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Putrada Ekadashi 2024: सावन माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी को पुत्रदा एकादशी कहा जाता है। इस वर्ष सावन पुत्रदा एकादशी 16 अगस्त को है। इस दिन जगत के पालनहार भगवान विष्णु संग धन की देवी मां लक्ष्मी की पूजा की जाती है। साथ ही उनके निमित्त व्रत रखा जाता है। एकादशी व्रत करने से साधक को मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है। ज्योतिषियों की मानें तो पुत्रदा एकादशी पर शिववास योग समेत कई शुभ संयोग बन रहे हैं। इन योग में भगवान विष्णु की पूजा करने से साधक को अक्षय फल की प्राप्ति होगी। आइए, शुभ मुहूर्त एवं शुभ योग जानते हैं-

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शुभ मुहूर्त

सावन माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि 15 अगस्त को सुबह 10 बजकर 26 मिनट पर शुरू होगी और 16 अगस्त को सुबह 09 बजकर 39 मिनट पर समाप्त होगी। साधक 16 अगस्त को पुत्रदा एकादशी का व्रत रख सकते हैं। वहीं, पारण 17 अगस्त को सुबह 06 बजकर 04 मिनट से लेकर 08 बजकर 05 मिनट के मध्य कर सकते हैं।

शुभ योग

ज्योतिषियों की मानें तो पुत्रदा एकादशी पर प्रीति योग का निर्माण हो रहा है। इस योग का निर्माण दोपहर 01 बजकर 13 मिनट से हो रहा है। इस योग में भगवान विष्णु की पूजा कर सकते हैं। इस योग का समापन 17 अगस्त को सुबह 10 बजकर 48 मिनट पर हो रहा है। वहीं, बव एवं बालव करण के योग बन रहे हैं। इन योग में भगवान विष्णु एवं मां लक्ष्मी की पूजा करने से साधक को मनोवांछित फल की प्राप्ति होगी।  

शिववास

ज्योतिषियों की मानें तो सावन माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि पर शिववास योग का निर्माण हो रहा है। इस योग का निर्माण सुबह 09 बजकर 40 मिनट से हो रहा है। भगवान शिव कैलाश पर जगत की देवी मां पार्वती के साथ विराजमान रहेंगे। इस समय में भगवान शिव का अभिषेक करने और लक्ष्मी नारायण जी की पूजा करने से सुख और सौभाग्य में वृद्धि होती है।

पंचांग

सूर्योदय - सुबह 06 बजकर 04 मिनट पर

सूर्यास्त - शाम 06 बजकर 58 मिनट पर

चन्द्रोदय- शाम 04 बजकर 22 मिनट पर

चंद्रास्त- देर रात 03 बजकर 03 मिनट पर ( 17 अगस्त)

ब्रह्म मुहूर्त - सुबह 04 बजकर 35 मिनट से 05 बजकर 19 मिनट तक

विजय मुहूर्त - दोपहर 02 बजकर 40 मिनट से 03 बजकर 32 मिनट तक

गोधूलि मुहूर्त - शाम 06 बजकर 58 मिनट से 07 बजकर 21 मिनट तक

निशिता मुहूर्त - रात्रि 12 बजकर 09 मिनट से 12 बजकर 53 मिनट तक

अशुभ समय

राहुकाल - सुबह 10 बजकर 54 मिनट से 12 बजकर 31 मिनट तक

गुलिक काल - सुबह 07 बजकर 40 मिनट से 09 बजकर 17 मिनट तक

दिशा शूल - पश्चिम

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अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।