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Rangbhari Ekadashi 2024 Date: 20 या 21 मार्च, कब है रंगभरी एकादशी? एक क्लिक में दूर करें कन्फ्यूजन

हर वर्ष फाल्गुन माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी को रंगभरी एकादशी व्रत किया जाता है। इस एकादशी को आमलकी एकादशी के नाम से भी जाना जाता है। रंगभरी एकादशी के दिन भगवान विष्णु के संग भगवान शिव और मां पार्वती की पूजा-व्रत करने का विधान है। मान्यता है कि ऐसा करने से सुख-शांति की प्राप्ति होती है और भगवान विष्णु और भगवान महादेव प्रसन्न होते हैं।

By Kaushik Sharma Edited By: Kaushik Sharma Updated: Sat, 16 Mar 2024 07:00 PM (IST)
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Rangbhari Ekadashi 2024 Date: 20 या 21 मार्च, कब है रंगभरी एकादशी?
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Rangbhari Ekadashi 2024 Date: भगवान विष्णु को समर्पित एकादशी तिथि का अधिक महत्व है। हर वर्ष फाल्गुन माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी को रंगभरी एकादशी व्रत किया जाता है। इस एकादशी को आमलकी एकादशी के नाम से भी जाना जाता है। रंगभरी एकादशी के दिन भगवान विष्णु के संग भगवान शिव और मां पार्वती की पूजा-व्रत करने का विधान है। मान्यता है कि ऐसा करने से सुख-शांति की प्राप्ति होती है और भगवान विष्णु और भगवान महादेव प्रसन्न होते हैं। धार्मिक मान्यता है कि फाल्गुन माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि के दिन भगवान शिव और मां पार्वती काशी गए थे। इसलिए इस एकादशी को बेहद उत्साह के साथ मनाया जाता है।

इस बार रंगभरी एकादशी की डेट को लेकर लोग अधिक कन्फ्यूज हो रहे हैं। कुछ लोग रंगभरी एकादशी 20 मार्च की बता रहे हैं, तो वहीं कुछ लोग रंगभरी एकादशी 21 मार्च को मनाने की बात कह रहे हैं। आइए इस लेख में हम आपको हिंदू पंचांग के अनुसार बताएंगे कि रंगभरी एकादशी व्रत किस तारीख को है।

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ये है सही तारीख

पंचांग के अनुसार, रंगभरी एकादशी तिथि की शुरुआत 20 मार्च को रात 12 बजकर 21 मिनट से होगी और इसका समापन 21 मार्च को सुबह 02 बजकर 22 मिनट पर होगा। ऐसे में रंगभरी एकादशी व्रत 20 मार्च को किया जाएगा।

रंगभरी एकादशी पूजा विधि

  • रंगभरी एकादशी के दिन सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठें और दिन की शुरुआत श्री हरि और भगवान शिव के ध्यान से करें।
  • इसके बाद स्नान कर साफ वस्त्र धारण करें और सूर्य देव को जल अर्पित करें।
  • अब भगवान विष्णु का विधिपूर्वक गंगाजल से अभिषेक करें।
  • साथ ही भगवान शिव और मां पार्वती का जल से अभिषेक करें।
  • इसके बाद भगवान विष्णु, भगवान शिव और मां पार्वती को पुष्प अर्पित करें।
  • अब देशी घी का दीपक जलाएं और भगवान की आरती करें।
  • विशेष चीजों का भोग लगाएं। श्री हरि के भोग में तुलसी दल को जरूर शामिल करना चाहिए।
  • अंत में लोगों में प्रसाद का वितरण करें और खुद भी ग्रहण करें।
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डिसक्लेमर- इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/जयोतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेंगी।